जंगल की कहानी : गधेपन की हरकत Hindi Kids Story : गधेपन की हरकत - कालू सियार आज नदी पर बहुत ताव खा रहा था। गुस्से से उसके नथुने फड़क रहे थे। पर नदी तो नदी थी। वह तो वैसे ही मुस्कुराती बह रही थी। कालू नदी को बराबर कोसे जा रहा था और साथ में उसे देख लेने की धमकी भी दिये जा रहा था बात यह थी कि कुछ दिनों से कालू को नदी में केकड़े खाने को नहीं मिल रहे थे। उसे नदी पर शक था कि उसने केकड़ों को पानी के भीतर छिपा लिया हैं। यही वजह थी जिससे कालू नदी पर गुस्सा कर रहा था। कालू ने नदी से बदला लेने की सोच रखी थी। उसने काला रंग नदी को काला करने के लिए छोड़ दिया था। By Lotpot 10 Oct 2023 | Updated On 12 Oct 2023 18:20 IST in Jungle Stories Moral Stories New Update Hindi Kids Story : गधेपन की हरकत - कालू सियार आज नदी पर बहुत ताव खा रहा था। गुस्से से उसके नथुने फड़क रहे थे। पर नदी तो नदी थी। वह तो वैसे ही मुस्कुराती बह रही थी। कालू नदी को बराबर कोसे जा रहा था और साथ में उसे देख लेने की धमकी भी दिये जा रहा था बात यह थी कि कुछ दिनों से कालू को नदी में केकड़े खाने को नहीं मिल रहे थे। उसे नदी पर शक था कि उसने केकड़ों को पानी के भीतर छिपा लिया हैं। यही वजह थी जिससे कालू नदी पर गुस्सा कर रहा था। कालू ने नदी से बदला लेने की सोच रखी थी। उसने काला रंग नदी को काला करने के लिए छोड़ दिया था। काला रंग नदी में विलीन हो गया। नदी वैसी ही चमचमाती बहती रही। Hindi Kids Story और पढ़ें : बाल कहानी : तिरंगे का सम्मान कालू ने लाल रंग, फिर पीला रंग भी डाला। तमाम अच्छाइयों में जैसे एकाध बुराई कोई मायने नहीं रखती। उसी तरह यह रंग भी नदी पर अपना कोई भी दुष्प्रभाव नहीं जमा पाये। सब रंग नदी के गर्भ में समा गये। और नदी बहती रही दूधिया और आसमानी रंग की मिली-जुली एक तस्वीर-सी, चांदी जैसा रंग और सितारों जैसी झिलमिलाहट। कालू ने गुस्से में अपने सिर के बाल नोंच लिए। उसे यह समझ में नही आ रहा था कि वह नदी से बदला ले तो कैसे। तभी एक बूढ़े मगर ने नदी के बाहर सिर निकालकर कालू से कहा। मित्र कालू, क्यों हल्कान हुए जा रहे हो? दयालु और हितैषी नदी ने आखिर तुम्हारा क्या बिगाड़ा हैं। इसने केकड़े छुपा लिए हैं, कालू गुर्राया। तुमने सारे केकड़े खा लिए तो नदी क्या करे। बचे-कुचेे केकड़े तो अब तुम्हारी परछाई से भी डरते हैं। भैया, वे तो तुम्हें देखते ही बिलों में घुस जाते हैं। आप जंगल में जाकर बेर-भाजी क्यों नहीं खाते हो। बेचारे केकड़ों के पीछे हाथ धोकर क्यों पड़े हो। अच्छा तुम आए, केकड़ों के वकील। अपना काम देखो और मुझे अपने हाल पर छोड़ दो। नदी का तो तुम कुछ बिगाड़ नहीं सके। उल्टा अपना मुंह कितना गंदा कर लिया है। कालू ने गुस्से में बचा-कुचा रंग नदी में डाल दिया। उसकी इस हरकत पर मगर हंसने लगा। और पढ़ें : बाल कहानी : आलस का फल उसने कालू से कहा। अब जाकर अपना मुंह नदी में धो डालो। जंगल में जाओगे तो सारे जानवर तुम्हें देखकर हंसेगे। कालू को नदी से क्षमा मांगनी पड़ी और मुंह धोने के लिए नदी के तट पर आना ही पड़ा। उधर मगर कह रहा था। बिरादर, नदी सब प्रणियों पर समान रूप से प्यार लुटाती है। उसका जल हमेशा उपकार के लिए हैं। वह पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों, नर तन धारियों को अपना पानी पिलाकर मां के समान पालती है और तुम उसे गंदा करने का प्रयत्न कर रहे थे। छींः छींः अपने स्वार्थ के लिए तुम कितना गिर गये थे कालू। कालू भाव से मुस्कुराया फिर बोला, ब्रदर, बात तो तुमने पते की कही हैं। भला बताओ, कहाँ निस्वार्थ साधु स्वभाव की नदी और कहां स्वार्थी मैं। मुझे केवल अपने पेट की पड़ी थी और उसे तो सभी की चिंता है। मैं उस पर क्रोध कर रहा था। छींः छींः उल्टा उसके पानी को प्रदूषित कर दिया था। हमारे जानवर भाई ही उसका पानी पीकर बीमार पड़ते। और मैं यह कर रहा था न मैं गधेपन जैसी हरकत। और मैं अपने भाईयों का ही गला काट रहा था। हां कालू, तुमने बिल्कुल ठीक कहा है नदी सभी की मां है उसे सारी संतानें प्रिय है। उसे गंदा करने का ख्याल सचमुच में तुम्हें स्वयं अपनी ही नजर में कहाँ तक गिरा गया है। है ना! कालू को जैसे अपनी गलती का अहसास हो गया था। Facebook Page #हिंदी कहानी #शिक्षाप्रद कहानियां #लोटपोट #रोचक कहानियां #बाल कहानी #बच्चों की कहानी #जंगल कहानियां #Motivational Story #Moral Story #Mazedaar Kahani #Lotpot ki Kahani #Kids Story #Jungle Story #Inspirational Story #Hindi Story #Best Hindi Kahani #Bacchon Ki Kahani #Acchi Kahaniyan #बच्चों के लिए कहानियां #बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ #बच्चों की नई नई कहानियां #बच्चों की कहानियाँ पिटारा #बच्चों की कहानियां कार्टून #बच्चों की अच्छी अच्छी कहानियां You May Also like Read the Next Article