जंगल कहानी : बुद्धिमान खरगोश

"बुद्धिमान खरगोश" कहानी में एक खूंखार शेर जंगल के जानवरों को मारकर खाता था, लेकिन बुढ़ापे में कमज़ोर होकर मरे जानवरों का मांस खाने लगा। एक चतुर खरगोश ने शेर को साधु बनने की सलाह दी और फल खाने को कहा।

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"बुद्धिमान खरगोश" कहानी में एक खूंखार शेर जंगल के जानवरों को मारकर खाता था, लेकिन बुढ़ापे में कमज़ोर होकर मरे जानवरों का मांस खाने लगा। एक चतुर खरगोश ने शेर को साधु बनने की सलाह दी और फल खाने को कहा। शेर मान गया और साधु बनकर कुटिया में रहने लगा। खरगोश उसे फल लाता, लेकिन शेर कमज़ोर होता गया। खरगोश ने चालाकी से शेर को स्वर्ग भेजने का बहाना बनाया, उसे रस्सी से बाँधा और फल देना बंद कर दिया। अंत में, शेर भूख से मर गया, और जंगल के जानवर खुशहाल हो गए। (Buddhiman Khargosh Story Summary, Hindi Moral Tale)

बुद्धिमान खरगोश- एक जंगल में एक शेर रहता था। शेर इतना खूँखार था कि उसकी एक दहाड़ से सारे जंगल के जानवर काँप उठते थे। शेर अपने सामने जिस किसी को पाता, उसे मारकर खा जाता था।

धीरे-धीरे शेर बूढ़ा हो चला और उसमें न तो पहले जैसी ताकत रही, न ही हिम्मत। शिकार कर पाना अब शेर के बस की बात नहीं रही। ऐसे में, शेर जंगल के मरे हुए जानवरों को खाकर अपना पेट भरता था। एक दिन शेर एक मरे हुए गधे का माँस खा रहा था।

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उसी वक्त एक खरगोश उधर से गुज़र रहा था। खरगोश ने रुककर शेर से पूछा, "महाराज, आपको इस मरे हुए गधे का माँस खाते अच्छा लग रहा है? आपको तो ताज़ा माँस खाना चाहिए।"

खरगोश की बात सुनकर शेर बोला, "क्यों, खरगोश भाई, क्या तुम मेरी हँसी उड़ा रहे हो? जीने के लिए यह भी न खाऊँ तो क्या मैं ज़िंदा रह सकता हूँ? सोचो, क्या मैं भूखा मर जाऊँ?"

शेर की बातें सुनकर खरगोश बोला, "शेर महाराज, आप मेरी बात मानें तो अब आप साधु बन जाइए और जंगल के फल खाइए। इससे आप अपने किए पापों का प्रायश्चित भी कर सकते हैं। मैं आपके इस काम में पूरी मदद कर सकता हूँ। मैं आपके लिए प्रतिदिन फल भेज सकता हूँ, खाने के लिए।"

खरगोश की बातें सुनकर शेर बोला, "तुम ठीक कहते हो, खरगोश भाई। मुझे अब साधु बन जाना चाहिए, इसी में हमारी भलाई है।" इतना कहकर शेर अपने घर की ओर चल दिया।

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दूसरे दिन, शेर ने साधु का रूप बनाकर हाथ में रुद्राक्ष की माला लेकर एक छोटी सी कुटिया में बैठकर 'राम-राम' नाम का जप करने लगा। सुबह से शाम हो गई, मगर अब तक कोई जानवर फल लेकर नहीं आया। कुछ देर बाद खरगोश अपने मित्र हिरन के साथ फलों की एक थैली लेकर वहाँ पहुँचा और शेर के सामने रखकर बोला, "शेर महाराज, आप इसे खा लीजिएगा। हम अब चलते हैं।" इतना कहकर खरगोश अपने मित्र हिरन के साथ चल दिया।

खरगोश के जाने के बाद शेर ने फलों में से एक-दो फल खाए, मगर उसे अच्छे नहीं लगे। इसी तरह कई सप्ताह गुजर गए। शेर पहले से ज्यादा कमजोर हो गया और उसका चलना-फिरना दूभर हो गया। इधर जंगल के सारे जानवर खरगोश की बुद्धिमानी की तारीफ कर रहे थे, क्योंकि सबके मन से शेर का डर समाप्त हो गया था।

एक दिन सुबह खरगोश शेर महाराज के पास पहुँचकर बोला, "शेर महाराज, सारे जंगल में आपके साधु बन जाने की जय-जयकार हो रही है तथा सारे जानवर आपके नाम की माला जप रहे हैं। आज मैं आपको एक खुशखबरी देने आया हूँ। जंगल के सारे जानवरों का कहना है कि आपको स्वर्ग में जाना चाहिए, क्योंकि आपके लिए स्वर्ग जाने का रास्ता साफ हो गया है। आपके सारे पाप धुल गए हैं।"

'मगर यह बताओ, मैं स्वर्ग जाऊँगा कैसे?' शेर पूछ पड़ा।

इतना सुन खरगोश बोला, "महाराज, आज मैं सारी व्यवस्था करके आया हूँ। आपको बस 'हाँ' कहना है। अगर आप स्वर्ग जाना चाहते हो, तो?"

'हाँ-हाँ, मैं स्वर्ग जरूर जाना चाहता हूँ,' शेर बोल पड़ा।

इतना सुन खरगोश बोला, "महाराज, मैं आज अपने साथ एक बड़ी रस्सी लाया हूँ। इस रस्सी से मैं आपको बाँध देता हूँ, फिर आपको स्वर्गदूत रस्सी सहित स्वर्ग में उठा लेंगे।"

"महाराज जी, आप चिंता मत कीजिएगा। मैं आपको अपने हाथों से फल खिलाता रहूँगा।" इतना कहकर खरगोश वहाँ से चल दिया।

भालू, सियार, गीदड़, हाथी, बकरी और गिलहरी एक पेड़ की आड़ में छुपकर यह सब देख रहे थे। खरगोश जैसे ही उन सबके बीच पहुँचा, तो सारे जानवर खरगोश की जय-जयकार करने लगे।

"जायेंगे क्यों? मेरी बात मंजूर है आपको?" खरगोश ने पूछा।
"हाँ-हाँ, तुम्हारी हर बात मंजूर है," शेर ने कहा।

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उसके बाद खरगोश ने शेर के हाथ-पाँव को कसकर बाँध दिया और बोला, "शेर महाराज..." यह सारा खेल जंगल के दूसरे जानवर जैसे हिरन, भालू आदि देख रहे थे।

दूसरे दिन से खरगोश ने शेर को फल खिलाना बंद कर दिया। कुछ दिनों के बाद शेर भूख-प्यास से तड़पकर मर गया।

उस दिन सारे जंगल में शेर की मौत पर खुशियाँ मनाई गईं तथा खरगोश को जंगल का प्रधानमंत्री बना दिया गया। उस दिन से जंगल के सारे जानवर सुख-चैन से रहने लगे।

सीख (Moral of the Story)

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि बुद्धिमानी और चतुराई से बड़ी-बड़ी मुश्किलों को हल किया जा सकता है। खरगोश ने अपनी अक्ल से शेर जैसे ताकतवर दुश्मन को हराकर जंगल को सुरक्षित बनाया। यह कहानी हमें सिखाती है कि ताकत से ज़्यादा दिमाग का इस्तेमाल करना ज़रूरी है। साथ ही, हमें यह भी समझना चाहिए कि दूसरों को नुकसान पहुँचाने की आदत हमें अंत में खुद नुकसान दे सकती है, जैसे शेर को अपनी हरकतों की वजह से अंत में भूखा मरना पड़ा। (Lesson on Wisdom, Power of Intelligence)

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