/lotpot/media/media_files/2025/06/10/bbszAEmoQ0126WzUUIFy.jpg)
Little Turtle and its mistake: a lesson full story
"नन्हा कछुआ और उसकी गलती" कहानी में नन्हा नाम का एक कछुआ अपने मजबूत कवच को भारी समझकर उतार देता है। हिरणों के झुंड से उसे चोट लगती है, जिससे उसे अपनी गलती का एहसास होता है। वह फिर से कवच पहनता है और प्रकृति के उपहार का सम्मान करना सीखता है। (Kachhua Ki Kahani, Hindi Moral Story for Kids)
कहानी: कछुए की मूर्खता का सबक (The Story: The Lesson of the Turtle’s Folly)
एक सुंदर तालाब के किनारे नन्हा नाम का एक कछुआ रहता था। नन्हा का कवच बहुत मजबूत था, जो उसे हर खतरे से बचाता था। चाहे पानी में मछलियाँ हों या जंगल के जानवर, नन्हा का कवच उसकी जान की ढाल था। एक बार की बात है, एक बड़ा सा भालू तालाब पर पानी पीने आया। भालू का भारी पंजा गलती से नन्हा पर पड़ गया। नन्हा डर गया, लेकिन उसका कवच इतना मजबूत था कि उसे एक खरोंच तक नहीं आई।
नन्हा ने खुश होकर अपने दोस्त मछली से कहा, "देखा मछली, मेरा कवच कितना कमाल का है! इसने फिर से मेरी जान बचा ली।" मछली ने हँसते हुए कहा, "हाँ नन्हा, तेरा कवच तो तुझे सुपरहीरो बनाता है। कभी मत छोड़ना इसे।" नन्हा ने सिर हिलाया और अपने कवच पर गर्व करने लगा।
कवच से परेशानी (Trouble with the Shell)
लेकिन कुछ दिनों बाद नन्हा को अपना कवच भारी लगने लगा। उसे लगने लगा कि वह अब बड़ा और ताकतवर हो गया है। उसने सोचा, "यह कवच तो बस मेरा वजन बढ़ाता है। मैं अब इतना बलवान हूँ कि मुझे इसकी जरूरत ही नहीं। बिना कवच के मैं ज्यादा तेजी से चल सकूँगा और जंगल की सैर करूँगा।"
अगले दिन नन्हा ने अपने कवच को उतार दिया। उसने कवच को तालाब के किनारे एक पत्थर पर रखा और बोला, "अब मैं आजाद हूँ! चलो, जंगल की सैर पर चलते हैं।" वह खुशी-खुशी तालाब के आसपास घूमने लगा। उसे बहुत हल्का महसूस हो रहा था।
हिरणों का झुंड और नन्हा की गलती (The Herd of Deer and Nanha’s Mistake)
उसी दिन दोपहर में तालाब पर हिरणों का एक झुंड पानी पीने आया। हिरणियाँ अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ तालाब के किनारे खेल रही थीं। नन्हा बिना कवच के वहीं पास में घूम रहा था। अचानक एक हिरणी का पैर नन्हा पर पड़ गया। नन्हा चिल्ला उठा, "आह! मुझे चोट लगी!" बिना कवच के उसका नन्हा सा शरीर बहुत नाजुक था। हिरणों के झुंड में और भी पैरों से उसे चोट लगी। वह दर्द से कराहने लगा।
एक हिरणी ने उसे देखा और कहा, "अरे छोटे कछुए, तुमने अपना कवच क्यों उतार दिया? यह तो तुम्हारी रक्षा करता है।" नन्हा रोते हुए बोला, "मुझे लगा मैं अब बड़ा और ताकतवर हूँ। लेकिन मैं गलत था।"
नन्हा का सबक (Nanha’s Lesson)
नन्हा लंगड़ाता हुआ तालाब के किनारे पहुँचा। उसने जल्दी से अपना कवच उठाया और उसे वापस पहन लिया। कवच पहनते ही उसे राहत महसूस हुई। उसने सोचा, "मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी। यह कवच मेरी ताकत है, इसे मैंने बेकार समझा।"
उसके दोस्त मछली ने उसे देखा और पूछा, "नन्हा, क्या हुआ? तुम रो क्यों रहे हो?" नन्हा ने सारी बात बताई और कहा, "मछली, मैंने अपना कवच उतारकर बहुत बड़ी भूल की। अब मैं इसे कभी नहीं उतारूँगा।" मछली ने मुस्कुराकर कहा, "अच्छा हुआ, तुम्हें अपनी गलती का एहसास हो गया। प्रकृति ने हमें जो दिया है, उसका सम्मान करना चाहिए।"
एक नई शुरुआत (A New Beginning)
उस दिन के बाद नन्हा ने अपने कवच को अपनी ताकत समझा। वह हर दिन तालाब के आसपास घूमता, लेकिन अपने कवच को कभी नहीं उतारता। उसने अपने नए दोस्तों—हिरणों और मछलियों—को भी अपनी कहानी सुनाई। सबने उसकी हिम्मत की तारीफ की और कहा, "नन्हा, तुमने एक बड़ा सबक सीखा।" नन्हा ने हँसते हुए कहा, "हाँ, अब मैं समझ गया हूँ कि प्रकृति की हर चीज अनमोल है।"
सीख (Moral of the Story)
बच्चों, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि प्रकृति ने हमें जो खास चीजें दी हैं, जैसे नन्हा का कवच, हमें उनका सम्मान करना चाहिए। हमें अपनी ताकत को कम नहीं आंकना चाहिए, वरना मुसीबत में पड़ सकते हैं। हमेशा अपनी खूबियों को अपनाएँ। (Lesson on Respecting Nature, Motivational Story for Kids)
टैग्स: नन्हा कछुआ की कहानी, कवच का महत्व, बच्चों के लिए प्रेरक कहानी, प्रकृति का सम्मान, Best Hindi Story for Kids, Motivational Story in Hindi, Kachhua Ki Kahani, Respect Nature Moral Story, Hindi Inspirational Stories, Learning from Mistakes for Kids.
और पढ़ें
बाज का पछतावा – जंगल की अनमोल सीख