बाल कहानी : तिरंगे का सम्मान तिरंगे का सम्मान: स्वतंत्रता दिवस का एक दिन शेष था। विद्यालय में बच्चों ने दिनभर 15 अगस्त के कार्यक्रमों की तैयारी की। शशांक भी पूरे दिन की तैयारी से थक कर लौटा था। सोते समय वह माँ से कहने लगा- ‘माँ! मैं सोने के लिए जा रहा हूँ। सुबह मुझे जल्दी जगा देना, ‘वह थका तो था ही, बिस्तर पर जाते ही उसे गहरी नींद आ गयी। By Lotpot 15 May 2020 | Updated On 15 May 2020 10:50 IST in Stories Moral Stories New Update बाल कहानी (Kid Story): तिरंगे का सम्मान: स्वतंत्रता दिवस का एक दिन शेष था। विद्यालय में बच्चों ने दिनभर 15 अगस्त के कार्यक्रमों की तैयारी की। शशांक भी पूरे दिन की तैयारी से थक कर लौटा था। सोते समय वह माँ से कहने लगा- ‘माँ! मैं सोने के लिए जा रहा हूँ। सुबह मुझे जल्दी जगा देना, ‘वह थका तो था ही, बिस्तर पर जाते ही उसे गहरी नींद आ गयी। प्रायः लोग दिन में जैसे काम तथा बातें करते हैं वहीं बातें सपने में दिखती हैं। शशांक ने देखा कि, अपने सहपाठियों के साथ प्रभातफेरी की पंक्ति में वह भी शहीद स्मारक के सामने की सड़क से होकर विद्यालय की तरफ बढ़ रहा है। सभी बच्चे ज़ोर-ज़ोर से ‘स्वतंत्रता दिवस अमर रहे’ तथा ‘भारत माता की जय’ का नारा लगाते हुए विद्यालय के निकट पहुँच चुके थे। और पढ़ें : बाल कहानी : धूर्त ओझा को सबक शशांक को अपने हाथ में लिया ध्वज अब बेकार की चीज़ लग रही थी, अतः उसने झंडा सड़क के किनारे फेंक दिया, परंतु प्रभातफेरी के पीछे-पीछे चल रहे कक्षा अध्यापक मिश्राजी की नज़रों ने उसे देख लिया था। वहाँ पर पहुँचते ही मिश्राजी ने सड़क पर गिरा झंडा उठा लिया। विद्यालय में ध्वजारोहण तथा राष्ट्रगान के बाद अन्य कार्यक्रमों के शुरु होने में विलम्ब था, तभी मिश्राजी ने एक तरफ बुलाकर पूछा- ‘तुम्हारे पास प्रभातफेरी के समय जो झंडा था, वह कहाँ गया?’ गुरूजी का प्रश्न शशांक को अटपटा ज़रूर लगा, लेकिन उसने सहज सा उत्तर दिया- ‘गुरूजी! वह झंडा मैंने प्रभातफेरी की समाप्ति के कुछ क्षण पूर्व फेंक दिया था।’ और पढ़ें : बाल कहानी : लालच का नतीजा अपने छात्र की बात सुनकर मिश्राजी झल्लाए अवश्य, किंतु दूसरे ही पल उन्होंने शशांक की नादानी पर उसे प्यार से समझाया- ‘बेटा! यही तिरंगा हमारे राष्ट्र की शान है। इसकी रक्षा की खातिर अनेक लोग शहीद हुए। हमें झंडे का सम्मान करना सीखना चाहिए, भूलकर भी इसका अपमान मत करना। ध्यान रखना कि गंदा व फटा हुआ झण्डा नहीं फहराया जाता है। राष्ट्रध्वज हमेशा सीधा, खड़ा तथा ऊँचाई पर फहराया जाता है। तुम्हें यह भी मालूम होना चाहिए कि राष्ट्रीय शोक में राष्ट्रध्वज आधे डंडे पर फहराया जाता है, इसे ही ‘झण्डा झुकाना’ कहते हैं।’ ‘शशांक! उठो! प्रभातफेरी में जाने के लिए तैयार हो जाओ।’ माँ की आवाज़ सुनकर शशांक की नींद खुली। घर से विद्यालय को जाते समय शशांक को अपने हाथ में पकड़े झण्डे को देखकर गुरूजी की बताई बातें याद आ रही थी, उसने तय कर लिया कि राष्ट्रध्वज तिरंगे के सम्मान की बातें अपने साथियों को भी समझाएगा। और पढ़ें : बाल कहानी : चमगादड़ को सबक Facebook Page #Acchi Kahaniyan #Bacchon Ki Kahani #Best Hindi Kahani #Hindi Story #Inspirational Story #Jungle Story #Kids Story #Lotpot ki Kahani #Mazedaar Kahani #Moral Story #Motivational Story #जंगल कहानियां #बच्चों की कहानी #बाल कहानी #रोचक कहानियां #लोटपोट #शिक्षाप्रद कहानियां #हिंदी कहानी #बच्चों की अच्छी अच्छी कहानियां #बच्चों की कहानियां कार्टून #बच्चों की कहानियाँ पिटारा #बच्चों की नई नई कहानियां #बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ #बच्चों के लिए कहानियां You May Also like Read the Next Article