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Inspirational story for children - Lessons of birds
बच्चों के लिए कहानियाँ न केवल मनोरंजन करती हैं, बल्कि उन्हें जीवन के मूल्यवान सबक भी सिखाती हैं। आज हम आपके लिए एक नई और दिलचस्प कहानी लेकर आए हैं - "चिड़ियों का सबक"। यह कहानी एक छोटे बच्चे और जंगल की चिड़ियों के बीच की मुलाकात पर आधारित है, जो संतुष्टि और खुशी के महत्व को सिखाती है। यह https://www.lotpot.com पर बच्चों और माता-पिता के लिए खास तौर पर लिखी गई बेस्ट हिंदी स्टोरी है, जो मोटिवेशनल स्टोरी के रूप में भी यादगार रहेगी।
कहानी: चिड़ियों का सबक
एक सुबह रमेश बहुत उत्साहित था। आज उसका स्कूल पिकनिक के लिए जा रहा था, और वह अपने सारे दोस्तों के साथ मस्ती करने को तैयार था। रमेश ने पिछली रात अपनी मम्मी से कहा था, "मम्मी, कल पिकनिक में मैं चाउमीन ले जाना चाहता हूँ, प्लीज बनाना!" मम्मी ने हामी भरी, लेकिन सुबह का कामकाज इतना बढ़ गया कि चाउमीन बनाने की बात दिमाग से निकल गई। आखिर में उन्होंने रमेश को ताजा पराठे और आलू की सब्जी का डिब्बा दे दिया।
स्कूल की बस पिकनिक स्थल पर पहुँchi। यह एक खूबसूरत घाटी थी, जहाँ चारों तरफ रंग-बिरंगे फूल खिले थे और हरे-भरे पेड़ लहरा रहे थे। रमेश और उसके दोस्तों ने टीचर के साथ खेल-खेल में समय बिताया, नृत्य किया, गीत गाए और खूब हंसी-मजाक किया। थोड़ी देर बाद लंच का वक्त आया। सभी बच्चों ने अपने लंच बॉक्स खोले। एक के पास पिज्जा था, दूसरे के पास समोसा, तो किसी ने चाट और बर्गर निकाला। हर तरफ स्वादिष्ट खुशबू फैल गई।
रमेश ने भी उत्साह से अपना डिब्बा खोला। लेकिन जैसे ही उसने पराठे और सब्जी देखी, उसका चेहरा लटक गया। "अरे! मैंने तो चाउमीन माँगा था, और ये क्या है? सारे दोस्त टेस्टी चीजें खा रहे हैं, और मुझे ये सादी चीजें!" वह नाराज होकर डिब्बा बंद कर बैग में रख दिया और उदास होकर इधर-उधर भटकने लगा।
तभी उसकी नजर एक आम के पेड़ पर पड़ी, जहाँ दो चिड़ियाँ बैठी थीं। एक चिड़िया फल तोड़कर जल्दी-जल्दी खा रही थी। अगर फल मीठा होता, तो वह खुश हो जाती, और अगर खट्टा होता, तो नाक-भौंह चढ़ा लेती। दूसरी चिड़िया चुपचाप बैठी थी, बिना किसी हड़बड़ी के। रमेश उसकी तरफ गया और पूछा, "अरे, तुम फल क्यों नहीं खा रही हो? भूख नहीं लगी क्या?"
चिड़िया ने प्यारी सी मुस्कान के साथ जवाब दिया, "भाई, मुझे फल खाने की कोई जल्दी नहीं। मैं बिना फल खाए भी खुश रहती हूँ। मुझे हर पल का आनंद लेना अच्छा लगता है।"
रमेश ने फिर पूछा, "लेकिन अगर तुम्हें खट्टा फल मिले, तो दुखी नहीं होगी?"
चिड़िया हंसते हुए बोली, "नहीं भाई, चाहे मीठा हो या खट्टा, मेरी खुशी हमेशा बनी रहती है। यह मेरी आदत है।"
चिड़िया की बातें रमेश के दिल को छू गईं। उसने सोचा, "अगर ये चिड़िया बिना कुछ माँगे खुश रह सकती है, तो मैं क्यों नहीं?" वह वापस अपने दोस्तों के पास गया, डिब्बा खोला और मम्मी के हाथ के बने पराठे-سب्जी को बड़े चाव से खाया। स्वाद इतना अच्छा लगा कि उसने दोस्तों से भी शेयर किया। दोस्तों ने कहा, "वाह रमेश, तेरी मम्मी की ये रेसिपी तो कमाल की है!" रमेश मुस्कुराया और सोचा, "मम्मी ने जो बनाया, वही मेरे लिए सबसे अच्छा है।"
उस दिन से रमेश ने तय कर लिया कि उसे जो भी मिले, उसमें खुश रहना सीखेगा। पिकनिक के बाद वह घर आया और मम्मी को गले से लगा लिया, कहते हुए, "मम्मी, आज मैंने सीखा कि जो हमारे पास है, उसी में खुशी ढूंढनी चाहिए।" मम्मी ने उसकी पीठ थपथपाई और कहा, "बेटा, यह जिंदगी का सबसे बड़ा सबक है।"
कुछ दिन बाद, रमेश ने अपने दोस्तों को जंगल की उस चिड़िया की कहानी सुनाई। सभी ने हंसते-हंसते वादा किया कि वे भी संतुष्ट रहना सीखेंगे। एक दिन स्कूल में एक ड्रॉइंग प्रतियोगिता हुई, जिसमें रमेश ने चिड़िया और आम के पेड़ का चित्र बनाया। उसकी ड्रॉइंग को पहला पुरस्कार मिला, और टीचर ने कहा, "रमेश, तुम्हारी सोच बहुत खूबसूरत है!"
सीख (Lesson)
यह कहानी हमें बताती है कि संतुष्ट रहना और जो हमारे पास है उसकी कदर करना जिंदगी का सबसे बड़ा सबक है। चाहे हालात अच्छे हों या बुरे, खुश रहने की कोशिश हमें मजबूत बनाती है।
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