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जातक कहानी - लालची आदमी - एक बार भगवान बुद्ध ने हिमालय के जंगलों में सफेद हाथी बोधीसत्व के रूप में जन्म लिया, लेकिन हाथियों के जिस झुंड में ये सफेद हाथी रहता था, वे लोग बहुत ही निदर्यी थे, वे मासूम लोगों की बेवजह हत्या कर देते थे। लेकिन एक बार सफेद हाथी उस झुंड से अलग हो गया और दूसरे पशुओं की मदद करने लगा। एक दिन उसने देखा कि एक छोटा सा बंदर रो रहा है, हाथी ने पूछा कि क्या हुआ है। बंदर ने जवाब दिया,‘मेरे दोस्त मुझे ये कहकर चिढ़ाते हैं कि मैं कमजोर और छोटा हूं ’। बोधी ने सारे बंदरों को बुलाकर खूब डांटा और कहा, तुम लोगों को शर्म नहीं आती है क्या? तुम लोग क्यों अपने छोटे भाई जैसे बंदर को डांटते हो, तुम्हे तो इसकी रक्षा करनी चाहिए। बंदरों को अपनी गलती का एहसास हुआ और वे खुशी-खुशी साथ रहने लगे।
एक दिन वो सफेद हाथी इसी तरह से सबकी मदद करते करते हाथियों का राजा बन गया। एक दिन वाराणसी से एक वन अधिकारी अपना रास्ता भटक गया, अंधेरा होने को था और वो बहुत ही घबरा गया था। वो चिल्लाने लगा कि अब क्या होगा? तभी उसने किसी के पैरों की आवाज सुनी और घबरा गया,लेकिन जब पीछे मुड़कर देखा तो वही सफेद हाथी खड़ा था। अधिकारी डर के मारे भागने लगा, हाथी ने उसका पीछा किया और इंसान की आवाज में कहा,‘मैं तुम्हारी चिल्लाने की आवाज सुनकर आया हूं, तुम्हें किसी मदद की जरूरत है? अधिकारी ने कहा कि, मैं रास्ता भूल गया हूं मुझे वापस वाराणसी जाना है’। हाथी ने उसकी मदद की और उसे अपनी गुफा में ले गया। वहीं तीन चार दिन रखा। अधिकारी को खूब मजा आया। उसके बाद हाथी ने उसे वाराणसी छोड़ दिया। एक दिन अधिकारी एक गजदंत की दुकान पर गया और उसने वहां बहुत ही खूबसूरत और महंगी नक्काशी की चीजें देखी। दुकान दार ने अधिकारी से बताया कि, जिंदा हाथी के दांत इससे भी ज्यादा महंगे होंगे। अधिकारी के मन में लालच आ गया और वह दोबारा उसी जंगल में गया और हाथी से मिला। उसने हाथी से कहा कि,‘ मैं बहुत दुखी हूं क्योंकि मुझ पर कर्ज का बोझ है। हाथी ने उसे मदद करने की ठानी। अधिकारी ने हाथी से कहा कि, उसके दांत उसे कर्ज में डूबने से बचा सकते है। हाथी अपने दांत देने को तैयार हो गया। उसे बहुत दर्द हुआ लेकिन अपने दोस्त को मदद करके खुशी भी हुई।
वाराणसी जाकर अधिकारी ने अपने परिवार के लिए सारे कीमती सामान खरीद लिए, उसके बाद उसके पास कुछ नहीं बचा, लेकिन उसका लालच खत्म नहीं हुआ। वो फिर से जंगल में गया और हाथी से मदद मांगी। इस बार उसने कहा कि, कर्ज तो उतर गया लेकिन अब परिवार चलाने के लिए और अधिक पैसे चाहिए। हाथी सोच में पड़ गया लेकिन उसने अपने बाकी के दांत देकर अधिकारी की मदद की थी। अधिकारी जैसे ही बैग में दांत पैक करके जाने लगा,हाथी के मुंह से एक शब्द भी नहीं निकला। तभी अचानक धरती फट गई और आग ने उसे चारों तरफ से घेर लिया। अधिकरी को समझ आ गया कि उसकी लालच की सजा उसे मिल रही है। लेकिन जब तक उसे यह समझ आता तब तक बहुत देर हो चुकी थी,वो आग की गिरफ्त में आ चुका था। हाथी खुशी-खुशी अपना जीवन व्यतीत करने लगा।
सीख - कृतघ्न व्यक्ति जितना भी मिल जाए, कभी संतुष्ट नहीं होता है।