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Lesson of true friendship Ramesh and Sohan story
"सच्ची दोस्ती का सबक" कहानी में रमेश और सोहन गहरे दोस्त हैं। वे नदी पर नहाने जाते हैं, लेकिन बारिश में सोहन की ज़िद के कारण वह डूबने लगता है। रमेश उसे बचाता है, लेकिन बाद में सोहन गुस्से में रमेश को मार देता है। अंत में सोहन को अपनी गलती का एहसास होता है और दोनों फिर से दोस्त बन जाते हैं। (Dosti Ki Kahani, Hindi Friendship Story)
कहानी: दोस्ती की कीमत (The Story: The Value of Friendship)
एक छोटे से गाँव में रमेश और सोहन नाम के दो बच्चे रहते थे। दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। हर दिन वे साथ में स्कूल जाते, साथ में खेलते और एक-दूसरे की हर बात साझा करते। एक दिन स्कूल की छुट्टी थी। सोहन रमेश के घर पहुँचा और उत्साह से बोला, "रमेश, चलो आज गाँव के पास वाली नदी पर चलते हैं। वहाँ नहाएँगे, बहुत मज़ा आएगा!"
रमेश ने डरते हुए कहा, "नदी में तो बहुत गहरा पानी होता है, सोहन। हम अभी छोटे हैं, कहीं डूब गए तो? मुझे डर लगता है।" सोहन ने हँसते हुए जवाब दिया, "अरे, डरने की क्या बात है? मैंने कई बार बड़ों को वहाँ नहाते देखा है। घाट पर हमेशा कोई न कोई होता है। कुछ हुआ तो मदद माँग लेंगे।"
रमेश ने कहा, "फिर भी, मुझे माँ से पूछना होगा।" सोहन ने उसे रोकते हुए कहा, "नहीं-नहीं, माँ को बताया तो वो हमें कभी नहीं जाने देंगी। बस एक बार चलकर देखते हैं। अगर सब ठीक रहा तो फिर रोज़ जाएँगे। धीरे-धीरे तैरना भी सीख जाएँगे।"
नदी पर पहला अनुभव (First Experience at the River)
रमेश कुछ हिचकिचाते हुए सोहन के साथ नदी पर चला गया। दोनों ने अपने-अपने कपड़े बदले और नदी के किनारे नहाने लगे। वहाँ कुछ गाँव की औरतें कपड़े धो रही थीं। सोहन ने रमेश को उकसाते हुए कहा, "थोड़ा और आगे चल, यहाँ पानी बिल्कुल कम है। डर मत!"
रमेश ने मना किया, "नहीं सोहन, आगे पानी गहरा हो सकता है। अगर पैर फिसल गया तो? यहीं नहा लेते हैं।" लेकिन सोहन नहीं माना। वह आगे चला गया और मज़े से नहाने लगा। कुछ देर बाद उसने रमेश को आवाज़ दी, "रमेश, आ जा! यहाँ बहुत मज़ा आ रहा है। पानी बिल्कुल ठीक है।" रमेश उसकी बात मानकर आगे चला गया। दोनों ने पहली बार नदी में नहाकर बहुत मज़ा किया।
नहाने के बाद वे बाहर आए, कपड़े बदले और नदी के किनारे बैठकर बातें करने लगे। सोहन ने कहा, "देखा, मैंने कहा था ना, कितना मज़ा आया!" रमेश ने हँसते हुए जवाब दिया, "हाँ, मज़ा तो बहुत आया, लेकिन मुझे फिर भी थोड़ा डर लग रहा था।" सोहन ने उसे चिढ़ाया, "तू तो बस डरपोक है। अब बोल, अगली बार डर लगेगा?" रमेश ने कहा, "शायद नहीं, लेकिन हमें घरवालों को नहीं बताना चाहिए।"
नदी का खतरनाक मोड़ (The Dangerous Turn at the River)
अगले कुछ दिनों तक दोनों छुप-छुपकर नदी पर नहाने जाने लगे। धीरे-धीरे उन्हें मज़ा आने लगा और वे नदी के बीच तक जाने लगे। लेकिन तभी बारिश का मौसम शुरू हो गया। नदी में पानी बहुत बढ़ गया और बहाव तेज़ हो गया।
एक दिन सोहन ने रमेश को फिर उकसाया, "रमेश, चल ना, कई दिन हो गए नदी पर नहीं गए। आज फिर चलते हैं।" रमेश ने डरते हुए कहा, "सोहन, तुझे पता है ना कि नदी में बाढ़ आ गई है। गाँव में कोई भी वहाँ नहीं जा रहा। ये बहुत खतरनाक है।" सोहन ने हँसते हुए कहा, "अरे, हम तो इतने दिन से नहा रहे हैं। कुछ नहीं होगा। बस किनारे पर नहाएँगे।"
रमेश ने सख्ती से मना कर दिया, "नहीं सोहन, मैं बिल्कुल नहीं जाऊँगा। बारिश रुकने के बाद पानी कम होगा, तब चलेंगे।" लेकिन सोहन नहीं माना। उसने रमेश को जबरदस्ती खींच लिया। नदी के पास पहुँचकर दोनों ने देखा कि पानी बहुत तेज़ बह रहा था। पूरा घाट डूब चुका था।
रमेश ने डरते हुए कहा, "देख सोहन, पानी कितना तेज़ है। हमें यहाँ नहीं नहाना चाहिए।" सोहन ने हल्के से जवाब दिया, "अरे, बस किनारे पर ही नहाएँगे। बीच में नहीं जाएँगे।" रमेश ने फिर मना किया, "नहीं, मैं नहीं नहाऊँगा। तुझे जाना है तो जा।"
हादसा और रमेश की समझदारी (The Accident and Ramesh’s Wisdom)
सोहन अकेले नदी में उतर गया, और रमेश किनारे पर बैठकर उसे देखने लगा। तभी अचानक सोहन का पैर फिसल गया। वह तेज़ बहाव में बहने लगा। सोहन चिल्लाने लगा, "रमेश, मुझे बचा! मैं डूब रहा हूँ!" रमेश घबरा गया। उसने सोहन को बचाने की कोशिश की, लेकिन सोहन बहाव में दूर चला गया।
रमेश ने जोर-जोर से शोर मचाया, "कोई मदद करो! मेरा दोस्त डूब रहा है!" पास के खेत में काम कर रहे दो लोग उसकी आवाज़ सुनकर दौड़े आए। उनमें से एक को तैरना आता था। उसने नदी में छलांग लगाई और सोहन को बाहर निकाल लिया। सोहन को किनारे पर लिटाया गया। वह होश में आ गया, लेकिन बहुत डरा हुआ था।
रमेश रोते हुए सोहन के पास बैठ गया। खेत से आए एक अंकल ने रमेश से कहा, "बेटा, तुम दोनों नदी में क्यों गए? तुम्हें नहीं पता कि बाढ़ आ गई है? जल्दी सोहन के मम्मी-पापा को बुलाओ।" रमेश दौड़कर सोहन के घर गया और उसके माता-पिता को लेकर आया।
माता-पिता की डाँट और दोस्ती में दरार (Parents’ Scolding and a Rift in Friendship)
सोहन के मम्मी-पापा उसे देखकर बहुत डर गए। उसकी मम्मी ने उसे गले लगाकर कहा, "सोहन, तुम ठीक तो हो ना?" लेकिन उसके पापा बहुत गुस्सा हो गए। उन्होंने दोनों को खूब डाँटा, "तुम दोनों को अक्ल नहीं है? इतने तेज़ बहाव में नदी में गए? अगर कुछ हो जाता तो?" रमेश के माता-पिता को भी बुलाया गया। दोनों को बहुत डाँट पड़ी।
सोहन के पापा ने कहा, "अब तुम दोनों एक-दूसरे से नहीं मिलोगे। ये दोस्ती तुम्हें गलत रास्ते पर ले जा रही है।" रमेश के मम्मी-पापा ने भी यही कहा। स्कूल में भी रमेश ने सोहन से बात करना बंद कर दिया। सोहन ने कई बार कोशिश की, लेकिन रमेश नहीं माना।
सोहन की गलती और पछतावा (Sohan’s Mistake and Regret)
सोहन को रमेश की बेरुखी से बहुत गुस्सा आया। उसने सोचा, "मैंने कुछ गलत नहीं किया, फिर रमेश मुझसे बात क्यों नहीं कर रहा? मैं इसे सबक सिखाऊँगा।" एक दिन स्कूल के बाद सोहन ने अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर रमेश को रास्ते में रोक लिया।
सोहन ने गुस्से में कहा, "रमेश, तुझे लगता है तू बहुत समझदार है? मैं नदी में डूबते-डूबते बचा और तू मुझसे बात नहीं कर रहा? बोल, मेरे दोस्त बनोगे या नहीं?" रमेश ने डरते हुए कहा, "सोहन, मेरे मम्मी-पापा ने मना किया है। और तू बहुत ज़िद्दी है। तुझे अपनी गलती समझ ही नहीं आती। मैं तुझसे दोस्ती नहीं कर सकता।"
सोहन का गुस्सा और बढ़ गया। उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर रमेश को बहुत मारा। रमेश ज़ख्मी होकर ज़मीन पर गिर गया। सोहन और उसके दोस्त वहाँ से भाग गए।
रमेश की हालत और सच्ची दोस्ती (Ramesh’s Condition and True Friendship)
रमेश के माता-पिता को जब इसकी खबर मिली, तो वे उसे तुरंत अस्पताल ले गए। रमेश को कई दिनों तक इलाज की ज़रूरत पड़ी। उसके पापा ने पूछा, "बेटा, बता किसने मारा तुझे?" रमेश ने आँखों में आँसू भरकर कहा, "पापा, मुझे नहीं पता। कुछ लड़के पीछे से आए और मुझे मारने लगे। मैंने उनकी शक्ल नहीं देखी।"
उधर, सोहन को जब रमेश की हालत का पता चला, तो उसे बहुत डर लगा। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। कुछ दिन बाद, जब रमेश थोड़ा ठीक हुआ, तो सोहन उसके घर गया। उस दिन रमेश के मम्मी-पापा खेत पर गए थे। सोहन ने रमेश को देखते ही कहा, "रमेश, मुझे माफ कर दे। मैंने बहुत बड़ी गलती की। मुझे गुस्सा आ गया था। लेकिन तू मेरा सच्चा दोस्त है। तूने मेरा नाम नहीं बताया, वरना मुझे पुलिस पकड़ लेती।"
रमेश ने मुस्कुराकर कहा, "सोहन, मैं तुझे सुधारना चाहता था। अगर मैं तेरा नाम बता देता, तो तू अपराधी बन जाता। और तेरे मम्मी-पापा को कितना दुख होता। मैं ऐसा नहीं चाहता था।" सोहन उसकी बात सुनकर रोने लगा। उसने कहा, "रमेश, तू सच में बहुत अच्छा है। मुझे माफ कर दे।"
रमेश ने कहा, "चल, अब रो मत। अगले हफ्ते से स्कूल साथ चलेंगे। मैंने मम्मी-पापा से बात कर ली है।" सोहन खुश हो गया। अगले हफ्ते से दोनों फिर से साथ स्कूल जाने लगे और उनकी दोस्ती पहले से भी गहरी हो गई।
सीख (Moral of the Story)
बच्चों, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची दोस्ती में एक-दूसरे की गलतियों को माफ करना और सुधारना चाहिए। रमेश ने सोहन को बचाया और उसकी गलती को माफ किया। हमें भी अपने दोस्तों का ध्यान रखना चाहिए और उनकी गलत आदतों को प्यार से सुधारना चाहिए। (Lesson on True Friendship, Motivational Story for Kids)
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