हंसती हंसाती एक जंगल की कहानी : लंबू जिराफ का कद (जंगल की कहानी) लंबू जिराफ का कद :- लंबू जिराफ अपने कद को लेकर बहुत पेरशान था। पेरशानी तो थी ही। चीकू खरगोश, चिंटू बंदर टीकू लोमड़ सभी उसे लंबू-लंबू कहकर चिढ़ाते रहते थे, कक्षा में भी उसकी मुसीबत थी। सब तो आगे की बैंच पर बैठते पर लंबू को सबसे पीछे बैठना पड़ता था। By Lotpot 10 Oct 2023 | Updated On 12 Oct 2023 17:30 IST in Jungle Stories Moral Stories New Update (जंगल की कहानी) लंबू जिराफ का कद :- लंबू जिराफ अपने कद को लेकर बहुत पेरशान था। पेरशानी तो थी ही। चीकू खरगोश, चिंटू बंदर टीकू लोमड़ सभी उसे लंबू-लंबू कहकर चिढ़ाते रहते थे, कक्षा में भी उसकी मुसीबत थी। सब तो आगे की बैंच पर बैठते पर लंबू को सबसे पीछे बैठना पड़ता था। उस दिन कक्षा में कालू भालू पढ़ा रहा था चिंटू ने जाने कहाँ से ढेर-सी मंूगफलियाँ ले आया था। उसने चीकू की तरफ भी कुछ खिसका दी थीं। दोनों मजे से मूंगफलियाँ चबा रहे थे। लंबू ने तो बस गर्दन घुमाकर देखा ही था कि कालू ने उसे डांटा। लंबू खड़े हो जाओ, कहाँ ध्यान है तुम्हारा? सकपकाया-सा लंबू खड़ा हो गया था। उसे रोना आ गया कि जो लोग शैतानियाँ कर रहे थे वे तो बच गए और उसने नाहक डांट खाई। न वह इतना लंबा होता और न सबकी निगाहों में रहता। उस दिन पिंकी लोमड़ी के बाग में भी यही हुआ था। शरारत की योजना तो चिंटू ने ही बनाई थी कि किस तरह आमों के बाग में घुसा जाएगा चीकू ने भी उत्साह दिखाया था, टीकू तो इस तरह के कामों में आगे रहता ही है। लंबू के भी सब पीछे पड़ गए थे कि उसे भी चलना होगा। चिंटू लपक कर पेड़ पर चढ़ा था और डालियाँ हिला-हिला कर कच्चे-पक्के आम गिराने शुरू कर दिए चीकू और टीकू उन्हें बीन रहे थे। लंबू को तो पहरेदार बनाकर दूर पर खड़ा किया गया था। तभी न जाने कैसे एक आम टूटकर पिंकी पर गिर गया था और फुर्ती से अपना डंडा उठाकर वह चीखी थी। चोर.... चोर... भागो.... चीकू चीखा। चिंटू तो पेड़ों पर उछलता हुआ ही आनन फानन बाहर हो गया था। चीकू और टीकू सरपट दौड़ गए थे झाड़ियों में पर लंबू को तो संभलते-संभलते भी दो चार डंडे लग ही गये थे। इसी लंबू की सारी कारिस्तानी है। मैं समझती हूँ पिंकी चीख रही थी। फिर स्कूल में भी उसकी शिकायत की गई, चिंटू, चीकू और टीकू ने बजाय सहानूभूति दिखलाने के खुद भी उसका मजाक उड़ाया था। इस बार लंबू ने सोच लिया था कि अब वह कभी भी इन शरारती लोगों का साथ नहीं देगा जो मौका पड़ते ही बदल जाते हैं। स्कूल की छुट्टी हो चुकी है सब लोग अपने-अपने घरों को लौट रहे थे। घनघोर बादल थे और बारिश कभी भी हो सकती थी। लंबे रास्ते से न होकर सबने नाला पार करके जाने की सोची। यह रास्ता छोटा सा नाले में पानी भी कम देखकर सब मजे से चल दिए। पर यह क्या... आधे रास्ते पर पहुँचकर लगा कि नाला तो गहरा होता जा रहा है। इधर बारिश भी शुरू हो गई थी। अब तो इधर के रहे और न उधर के। इस तरह तो हम डूब जाएंगे... सब... चिल्लाए पर लंबू कैसे मजे से चला आ रहा था। उसने भी देखा कि चिंटू, टीकू चीकू सब के गले तक पानी आ रहा है। लंबू हमें बचाओं... वे कहकर स्वर में चिल्ला रहे थे। लंबू क्षण भर में ही सारी दुश्मनी भूल गया था। लपक कर उसने सबको पीठ पर बिठा लिया और नाला पार कर लिया। आज पहली बार उसे अपने लंबे कद पर गर्व हुआ था। और अब सब उसके सच्चे दोस्त बन चुके थे। बाल कहानी : जाॅनी और परी बाल कहानी : मूर्खता की सजा बाल कहानी : दूध का दूध और पानी का पानी Like us : Facebook Page #गल की कहानी You May Also like Read the Next Article