जंगल की कहानी : झुमकू ने चोर पकड़ा:- झुमकू बन्दर अक्सर जासूसी की किताबें पढता रहता था। वह चाहता था कि वह एक महान जासूस बने उसका सारी दुनिया में नाम हो और एक रात उसे जासूसी करने का अवसर हाथ लग ही गया । उस रात वह अपने दोस्त के घर से जन्मदिन की पार्टी से लौट रहा था। काफी देर हो चुकी थी, चारों ओर अँधेरा व सन्नाटा था। तभी सन्नाटे की आवाज से झुमकू चैंक उठा। इतनी रात व अंधेरे में कौन ये आवाज कर रहा है। देखने के लिए झुमकू आवाज की ओर बढ़ चला। तभी उसने देखा कि डिप्सी हिरन के घर के पीछे की दीवार में कोई हथौड़े व छेनी से छेद कर रहा था। छेद करने वाला कौन था। झुमकू को उसके पास जाते समय तो डर लगा, शायद उसके पास कोई हथियार भी हो, उसने सोचा छिपकर देखना चाहिए कि वह क्या करता है तथा कहाँ जाता है।
झुमकू एक दूर के पेड़ पर चढ़कर बैठ गया पास वाले पेड़ पर तो उसे डर लग रहा था पर दूर से भी वह छेद करने वाले पर नजर रख सकता था। वह मन ही मन सोच रहा था, ‘अभी दो तीन दिन पहले ही तो डिप्सी नेे नया घर लिया है उसमें सेंध लगाकर कोई चोरी कर रहा है तो उस बेचारे को तो बड़ा दुःख पहुँचेगा मुझे चोर को पकड़वाना ही होगा।’
झुमकू ने देखा थोड़ी देर तो चोर छेद करता रहा। फिर उसने छेद में हाथ डाल डाल कर कुछ निकाला तथा उसे एक लिफाफे में डालता गया फिर वह उस लिफाफे को लेकर उधर चला गया जहाँ कूड़ा फेंका जाता था जब वह लौट कर आया तो उसके पास लिफाफा नहीं था। अच्छा तो इसने माल निकाल कर कूडे के पास कहीं छिपाया गाड़ दिया है जिससे किसी को संदेह न हो, झुुमकू नेे सोचा। फिर चोर डिप्सी के पड़ोसी हब्बी लोमड़ के घर में घुस गया। जब थोड़ी देर तक हब्बी के घर से चोर बाहर नहीं निकला तो झुमकू समझ गया कि या तो हब्बी खुद ही चोर है या चोर से मिला हुआ है। कितना चालाक है माल को अपने घर में न रखकर कूड़े के पास छिपाया है।
झुमकू ने फैसला किया कि सुबह वह हब्बी को सीधे शेर के सामने माल के साथ पकड़वाएगा क्योंकि यदि इस समय उसने हब्बी से पूछताछ की तो हो सकता है रात भर में हब्बी माल गायब कर दे।अतः झुमकू उस रात अपने घर लौट आया। रात को झुमकू को नींद नहीं आई वह बहुत खुश था कि कल जब वह चोर पकड़वाएगा तो उसका पूरे वन में खूब नाम होगा आदर किया जाएगा । डिप्सी और महाराज शायद उसे कुछ इनाम भी दे। इन्हीं बातों को सोचते सोचते दिन निकल आया और झुमकू उठ कर सीधा शेर महाराज के दरबार में जा पहुँचा।
झुमकू बडे़ उत्साह से बोला, महाराज महाराज कल रात को हब्बी लोमड़ ने डिप्सी हिरन के घर में सेंध लगाकर चोरी कर ली मैंने अपनी आँखो से देखा है।‘ हमारे राज्य में चोरी? फौरन हब्बी को दरबार में पेश किया जाए। शेर महाराज दहाड़े।
झुमकू खुशी खुशी हब्बी को बुलाने चल पड़ा। हब्बी के पास डिप्सी भी मिल गया। दोनों अपने घरों के बीच वाले बगीचे में खडे बातें कर रहे थे। झुमकू ने मन ही मन सोचा, ‘बेचारा डिप्सी अपने घर में चोरी की खबर हब्बी को ही सुना रहा है उसे क्या पता कि हब्बी ही चोर है।खैर थोड़ी ही देर की बात है। फिर तो हब्बी पकड़ा ही जाएगा।’ हब्बी तुरंत झुमकू के साथ चल पड़ा।
झुमकू ने डिप्सी को भी साथ ले लिया। रास्ते भर झुमकू ने चोरी के विषय में कोई बात नहीं की क्योंकि वह एक कुशल जासूस था हो सकता है हब्बी को पता चल जाए कि उसकी चोेरी पकड़ी गई है तो वह रास्ते में से ही भाग जाए। महाराज के पास पहुँचते ही वो जोर से दहाड़े, ‘हब्बी तुमने कल रात डिप्सी के घर में चोरी क्यों की ।’
‘महाराज मैंने तो कोई चोरी नहीं की, हब्बी सकपका गया। झुमकू तपाक से बोला, ‘ये झूठ बोल रहा है महाराज मैंने अपनी आंखों से देखा है। कल रात पहले इसने छैनी हथौड़े से डिप्सी के घर के पीछे की दीवार में छेद किया फिर उसमें से माल निकाल कर एक लिफाफे में भरा और फिर उसे वहां छिपा आया जहाँ कूड़ा फेंका जाता है आप चाहे तो वहाँ से माल बरामद कर सकते है। इतना सुनते ही डिप्सी बुरी तरह पेट पकड़-2 कर हँसने लगा।
सभी हैरानी से उसकी ओर देखने लगे पर उसकी हँसी थी कि रूक ही नहीं रही थी। ‘क्या बात है डिप्सी तुम इतना हँस क्यों रहे हो?’ महाराज ने पूछा। डिप्सी कठिनाई से हँसी रोकते हुए बोला, ‘महाराज मेरे घर में कोई चोरी नही हुई है। आप तो जानते ही हैें मैंने नया मकान लिया है, पीछे की ओर मेरे स्नानघर है, वहाँ की नाली में कुछ सीमेन्ट व रेत जम गया था जिससे नाली को तोड़ा था।’
‘पर तुमने उसमें से निकाल कर लिफाफे में क्या भरा था, झुमकू अब भी मानने को तैयार न था। अपने घर के पिछवाडे़ में मैंने फूलों व सब्जियों का बगीचा बनाया है वह गंदा न हो इसलिए मैंने नाली में से रेत व सीमेन्ट निकाल कर लिफाफे में भर लिया तथा उसे कूडे़ में फेंक आया। पर मैंने चोर को अपनी आँखों से हब्बी के घर में घुसते देखा था। हां भाई मैंनेे छैनी व हथौड़ा हब्बी से ही मांगा था वही लौटाने मैं उसके घर गया था फिर हब्बी ने जोर देकर एक प्याला चाय पिलाने को मुझे अपनी घर में रोक लिया इसलिए मैं काफी देर बाद अपने घर लौट पाया। अब तो दरबार में मौजूद सभी हँसने लगे, झुमकू बौखला गया।
महाराज ने कहा, किसी नतीजे पर पहुँचने से पहले अच्छी तरह पता लगा लेना चाहिए कि वास्तविकता क्या है। झुमकू खिसियाकर वहाँ से भाग लिया और भविष्य में जासूसी करने से तौबा कर ली ।
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