मिंकी खरगोश और चुनमुन कछुए की जंगल कहानी : सही फैसला जंगल की कहानी (Jungle Story) : सही फैसला - मिंकी खरगोश और चुनमुन कछुए में गहरी दोस्ती थी। दोनों एक साथ रहते थे। खेलते कूदते थे और सैर सपाटा करते थे। यूं तो दोनों में बहुत पक्की दोस्ती थी। परन्तु कभी कभी किसी बात को लेकर काफी बहस हो जाया करती थी और वह बहस फिर लड़ाई का रूप ले लेती थी। और इसके बाद फिर आपस में घुलमिल जाते थे और सब कुछ भूल जाते थे। उन दोनों के इस व्यवहार तथा आदत से सब अच्छी तरह परिचित थे, By Lotpot 10 Oct 2023 | Updated On 12 Oct 2023 18:16 IST in Jungle Stories Moral Stories New Update जंगल की कहानी (Jungle Story) : सही फैसला - मिंकी खरगोश और चुनमुन कछुए में गहरी दोस्ती थी। दोनों एक साथ रहते थे। खेलते कूदते थे और सैर सपाटा करते थे। यूं तो दोनों में बहुत पक्की दोस्ती थी। परन्तु कभी कभी किसी बात को लेकर काफी बहस हो जाया करती थी और वह बहस फिर लड़ाई का रूप ले लेती थी। और इसके बाद फिर आपस में घुलमिल जाते थे और सब कुछ भूल जाते थे। उन दोनों के इस व्यवहार तथा आदत से सब अच्छी तरह परिचित थे, सो उनके विवाद पर कोई बहुत अधिक ध्यान नहीं देता था। दोनों में ही शेखी बघारने की आदत थी। तथा अपनी बात को सही साबित करने का प्रयास करते थे। और पढ़ें Jungle Story: जंगल की मज़ेदार कहानी : बीस रूपये के चीकू एक बार की बात है मिंकी खरगोश ने बहस के दौरान ही कहा, अरे चुनमुन भला तुम्हारा हमारा क्या मुकाबला हम खरगोश, तुम कछुए। हम बहुत तेज, फुर्तीले तथा चपल और तुम बेहद धीमे तथा सुस्त सो, मैं तुमसे बहुत श्रेष्ठ हूँ। मिंकी की बात सुनकर चुनमुन कछुआ भला चुप कहाँ रहने वाला था। फौरन बोल पड़ा, अरे जाओ मिंकी, भूल गए पहले की घटना, जब हमारे पूर्वज ने तुम्हारे पूर्वज को दौड़ में हरा दिया था। बड़े आए तेजी फुर्ती की बात करने वाले। हारे तो आखिर हम कछुओं से ही। इस तरह दोनों में काफी देर तक विवाद चलता रहा। दोनों अपनी अपनी बढ़ाई तथा दूसरे को गलत साबित करने में लग गए। अंतत, दोनों में फैसला यह हुआ कि भोलू हाथी दादा के पास जाकर अपनी बात कही जाए, निर्णय वे ही दे देंगे। दोनों आपस में ऐसा तय करके भोलू हाथी के पास पहुँचे। और पढ़ें Jungle Story:जंगल की कहानी : पानी की उपयोगिता दोनों की बहस की बात सुनकर भोलू हाथी को उनकी बेवकूफी पर जोर की हँसी आ गई। दादा आप हँसी क्यों रहे हैं मिंकी ने अचरज से पूछा। तुम लोगों की बात पर हँसू ना तो और क्या करूँ, तुम दोनों अपनी अपनी श्रेष्ठता की बात करते हो, मैं तो कहता हूँ कि तुम दोनों से बड़ा मूर्ख कोई नहीं, हाथी दादा ने हँसतेे हुए कहा। वह कैसे, दोनों की आँखें अचरज से फैल गई। और पढ़ें Jungle Story: जंगल कहानी : जंगल में स्कूल भोलू हाथी बोला, बड़ों की बातें सबक लेने के लिए होती हैं उनसे शिक्षा ली जाती है न कि बड़े होने, श्रेष्ठ होने की शेखी बघारी जाती है। तुम दोनों ने ही अपने पूर्वजों से कुछ नहीं सीखा और शेखी बघारते हो बड़ा होने की, श्रेष्ठ होने की। मिंकी तुम्हें तो अपने पूर्वजों से यह सीखना चाहिए था कि कभी भी किसी काम को हल्का फुल्का व महत्त्वहीन नहीं समझना चाहिए। किसी भी काम के प्रति लापरवाही का भाव नहीं रखना चाहिए, बताओ लिया तुमने कोई सबक अपने पूर्वजों से, और तुम चुनमुन, तुमने क्या सीखा अपने पूर्वजों से तुमको तो यह शिक्षा लेनी चाहिए थी कि मेहनत, लगन व तन्मयता के साथ कोई भी कार्य किया जाए तो सफलता मिलती ही है। अपने लक्ष्य के प्रति दृढ संकल्प रहना चाहिए। कड़ी मेहनत व विश्वास से हर कठिन से कठिन लक्ष्य भी हासिल किया जा सकता है। सो, जरूरत तो इस बात की है कि तुम दोनों व्यर्थ की बहस बाजी को छोड़ों और अतीत से कुछ प्रेरणा लो। इस प्र्रेरणा से ही तुम इस योग्य हो पाओगे कि जीवन में कोई बड़ा काम कर पाओ, और तुम्हें सब कोई बड़ा व महान कहेगा। तुम्हे अपने मुँह से सिद्ध करने की जरूरत ही नहीं पडे़गी। भोलू दादा की बात सुनकर उन दोनों का सिर झुक गए। उन्हें अपनी गलती का अहसास हो गया। दोनों ने फिर कभी भी ऐसी बात न करने की कसम खाई। फिर दोनों ने एक दूसरे को शैतानी भरी निगाहों से देखा और भोलू दादा का शुक्रिया अदा कर भाग खड़े हुए। Facebook Page #Kids Story #Best Hindi Story #Lotpot Ki Kahania #Lotpot Jungle Story You May Also like Read the Next Article