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चेनाब ब्रिज: एक सपने का साकार होना और माधवी लता का योगदान
जब चेनाब ब्रिज पर ट्रेन 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ी, तो यह केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं थी, बल्कि एक ऐतिहासिक सपने का पूरा होना था। इस शानदार पल के पीछे एक नाम जो चमकता है, वह है माधवी लता—एक ऐसी इंजीनियर, जिन्होंने अपने 17 सालों के अथक प्रयास से इस असंभव-से लगने वाले कार्य को मूर्त रूप दिया। भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) बेंगलुरु में रॉक मैकेनिक्स की विशेषज्ञ और सिविल इंजीनियरिंग विभाग की प्रोफेसर, माधवी लता ने चेनाब ब्रिज परियोजना की जटिलताओं को सुलझाकर इसे विश्व का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज बनाया।
माधवी लता का सफर शुरू हुआ एनआईटी वारंगल से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई और आईआईटी मद्रास से पीएचडी के साथ। 2005 में अफकॉन द्वारा परियोजना सलाहकार के रूप में उनकी नियुक्ति ने उन्हें एक ऐसे मिशन से जोड़ा, जो उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया। चेनाब नदी की खड़ी घाटियों और भूकंपप्रवण क्षेत्र में, जहाँ हर पल नई चुनौतियाँ पैदा होती थीं, उन्होंने "डिज़ाइन-एज़-यू-गो" (निर्माण के साथ डिज़ाइन) का अनोखा दृष्टिकोण अपनाया। यह दृष्टिकोण परियोजना की सफलता का आधार बना, क्योंकि भूगर्भीय अनिश्चितताओं जैसे टूटे चट्टानों और छिपी खाइयों का सामना करने के लिए त्वरित समाधान की जरूरत थी।
तकनीकी चमत्कार: चेनाब ब्रिज की खासियत
चेनाब ब्रिज, जो उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक (USBRL) का हिस्सा है, 359 मीटर की ऊंचाई पर खड़ा है, जो एफिल टावर से 35 मीटर ऊंचा है। इसकी बनावट में 28,660 टन स्टील और 66,000 क्यूबिक मीटर कंक्रीट का उपयोग हुआ, जो चार एफिल टावरों के बराबर है। भारी मशीनरी को लाने के लिए 26 किलोमीटर सड़कें बनाई गईं। यह पुल 120 साल तक चलने और 260 किमी प्रति घंटे की हवा का सामना करने में सक्षम है। सबसे रोचक बात यह है कि अगर इसके आठ खंभों में से एक खराब हो जाए, तो भी यह 30 किमी प्रति घंटे की गति से काम कर सकता है। माधवी लता की अगुआई में उनकी टीम ने पारंपरिक कोड से हटकर नवाचार के रास्ते अपनाए, जो इस संरचना को अनूठा बनाता है।
प्रेरणा का स्रोत: एक साधारण व्यक्तित्व
परियोजना के पूरा होने पर माधवी लता का कहना है, "यह मेरे लिए देश की एक सफल परियोजना है, जिसमें मैंने योगदान दिया।" उनकी विनम्रता और समर्पण उन्हें एक सच्चे राष्ट्रनायक बनाता है। एक महिला इंजीनियर के रूप में, जिन्होंने आईआईएससी में महिलाओं के लिए शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए भी संघर्ष किया, उनका सफर प्रेरणा का स्रोत है। आज, वह युवाओं, खासकर लड़कियों को सिखाती हैं कि कठिनाइयों के बावजूद सपनों को हकीकत में बदला जा सकता है।
चेनाब ब्रिज केवल एक पुल नहीं, बल्कि भारत की इंजीनियरिंग प्रतिभा और मानवीय संकल्प का प्रतीक है। माधवी लता की मेहनत और दूरदर्शिता ने इसे संभव बनाया। उनका योगदान न केवल तकनीकी क्षेत्र में, बल्कि समाज में समानता और प्रेरणा के लिए भी एक मिसाल है। भारत को उनकी तरह के दिग्गजों पर गर्व है, और यह विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
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