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एक ऐसी शख्सियत जिन्होंने देश को नया रास्ता दिखाया
क्या आपने कभी सोचा है कि एक डॉक्टर, जिसे जानवरों की देखभाल करनी थी, वह देश के सबसे बड़े सामाजिक संगठन का मुखिया बन गया? यह कहानी है मोहन भागवत की, जिनका जीवन हमें दिखाता है कि अगर आप सच्चे मन से किसी काम में लग जाएँ, तो कोई भी रास्ता मुश्किल नहीं होता।
शुरुआती जीवन और शिक्षा (Early Life and Education)
मोहन भागवत का जन्म 11 सितंबर 1950 को महाराष्ट्र के चंद्रपुर शहर में हुआ था। उनका परिवार पहले से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ा था। उनके पिताजी, माधुकरराव भागवत, और माताजी, मालती भागवत, भी संघ के कामों में बहुत सक्रिय थे। बचपन से ही मोहन जी पढ़ाई में बहुत अच्छे और खेलकूद में बहुत तेज थे। उनका शांत स्वभाव और अनुशासन उन्हें सबसे अलग बनाता था।
उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई चंद्रपुर के लोकमान्य तिलक विद्यालय से पूरी की। इसके बाद, उन्होंने नागपुर के वेटरनरी कॉलेज से पशु-चिकित्सा (veterinary science) की पढ़ाई की। वे एक काबिल डॉक्टर बन सकते थे, लेकिन उनके मन में कुछ और ही था। उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, एक पशु-चिकित्सक के रूप में अपना करियर शुरू नहीं किया, बल्कि देश-सेवा का रास्ता चुना और 1975 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक कार्यकर्ता (प्रचारक) बन गए।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में उनका सफर (Journey in RSS)
मोहन भागवत का RSS में सफर एक साधारण कार्यकर्ता से शुरू होकर संगठन के मुखिया तक पहुँचा, जो उनके समर्पण को दिखाता है।
1977 में: उन्हें अकोला का प्रचारक बनाया गया। यह उनका पहला महत्वपूर्ण पद था।
1991 से 1999 तक: उन्होंने शारीरिक प्रमुख के रूप में काम किया। इस पद पर रहकर उन्होंने युवाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए काम किया, जिसमें उन्हें व्यायाम, योग और अनुशासन सिखाया जाता था।
2000 में: वे सरकार्यवाह (Sarkaryavah) बने, जो RSS के संगठन का प्रमुख सचिव होता है। इस पद पर रहते हुए उन्होंने RSS की गतिविधियों को पूरे देश में और भी ज़्यादा फैलाया।
2009 में: वे RSS के सरसंघचालक (Sarsanghchalak) बने, यानी पूरे संगठन के मुखिया। वे इस पद पर सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे, जो उनकी योग्यता और लोकप्रियता को दर्शाता है।
उनके विचार और समाज के लिए संदेश (Thoughts and Message for Society)
मोहन भागवत अक्सर देशभर में भाषण देते हैं और लोगों से मिलते हैं। उनके विचारों का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है एकजुटता (unity) और आपसी भाईचारा (brotherhood)। वे हमेशा इस बात पर जोर देते हैं कि हमें एक-दूसरे की विविधताओं (differences) को स्वीकार करना चाहिए, फिर चाहे वह धर्म, जाति या भाषा से जुड़ी हो। उनका मानना है कि हम सब एक ही देश के नागरिक हैं और मिलकर काम करने से ही भारत एक मजबूत राष्ट्र बन सकता है।
वे समाज की बेहतरी के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा को हर किसी के लिए सस्ता और आसान बनाने की बात भी करते हैं। उनका मानना है कि एक मजबूत और स्वस्थ समाज ही एक मजबूत देश का निर्माण कर सकता है।
रोचक बातें और सम्मान (Interesting Facts and Honors)
सुरक्षा: साल 2015 में, उन्हें Z+ सुरक्षा मिली, जो भारत में बहुत महत्वपूर्ण लोगों को दी जाती है।
मानद उपाधि: 2017 में, उन्हें डॉ. डी.वाई. पाटिल विद्यापीठ द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी गई, जो उनके सामाजिक योगदान को सम्मान देता है।
सरल जीवन: वे हमेशा साधारण कपड़े पहनते हैं और उनका जीवन बहुत ही सरल और अनुशासित है। वे हमेशा कहते हैं कि बाहरी दिखावे से ज़्यादा अंदर की सादगी और विचारों की स्पष्टता ज़रूरी होती है।
बच्चों के लिए सीख (Lessons for Children)
मोहन भागवत की जिंदगी से बच्चे यह सीख सकते हैं कि:
कठिन परिश्रम: अगर आप किसी काम में मेहनत और लगन से लगे रहें, तो आपको सफलता ज़रूर मिलेगी।
अनुशासन: जीवन में अनुशासन का बहुत महत्व है। यह हमें सही रास्ते पर चलने और अपने लक्ष्य को पाने में मदद करता है।
देश-प्रेम: अपने देश से प्यार करना और समाज के लिए कुछ करना हर इंसान का फर्ज है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1. RSS का पूरा नाम क्या है?A. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ।
Q2. मोहन भागवत किस पद पर हैं?A. वे RSS के सरसंघचालक हैं।
Q3. उनका मुख्य संदेश क्या है?A. वे समाज में एकता, भाईचारे और अनुशासन पर जोर देते हैं।
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