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नीरजा भनोट: ‘हीरोइन ऑफ़ हाईजैक’ का अमर बलिदान और प्रेरक जीवन गाथा

नीरजा भनोट की कहानी पढ़ें – 23 साल की उम्र में 360 यात्रियों की जान बचाते हुए शहीद हुईं पैन एम फ्लाइट की वीरांगना। जानिए उनके जीवन, अशोक चक्र सम्मान और साहस के अद्भुत किस्से।

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नीरजा भनोट केवल एक नाम नहीं, बल्कि साहस, कर्तव्यनिष्ठा और मानवता के प्रति सर्वोच्च बलिदान का प्रतीक हैं। अपने 23वें जन्मदिन से ठीक दो दिन पहले, जिस तरह उन्होंने 360 से अधिक यात्रियों की जान बचाने के लिए अपनी जान दाँव पर लगा दी, वह घटना उन्हें भारतीय इतिहास में 'हीरोइन ऑफ हाईजैक' का अमर दर्जा दिलाती है।

1. नीरजा भनोट: एक नजर में (Quick Facts Table)

पैरामीटरविवरण
पूरा नामनीरजा भनोट
जन्म7 सितंबर 1963, चंडीगढ़
मृत्यु5 सितंबर 1986 (आयु 22), कराची, पाकिस्तान
पदवरिष्ठ फ्लाइट परिचारिका, पैन एम एयरलाइंस
प्रसिद्धिपैन एम फ्लाइट 73 हाईजैक के दौरान 360+ यात्रियों की जान बचाना
सर्वोच्च सम्मानअशोक चक्र (1987, मरणोपरांत)
अन्य सम्मानतमगा-ए-इंसानियत (पाकिस्तान), स्पेशल करेज अवार्ड (अमेरिका)
विकिपीडिया लिंकनीरजा भनोट विकिपीडिया

2. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा: एक सशक्त व्यक्तित्व का निर्माण

नीरजा भनोट का जन्म एक पंजाबी हिंदू परिवार में हरिश भनोट और रामा भनोट के घर हुआ था। उनकी शिक्षा मुंबई के स्कॉटिश स्कूल और सेंट जेवियर्स कॉलेज से हुई। बचपन से ही वह आत्मविश्वासी, निडर और कर्तव्यपरायण स्वभाव की थीं। मॉडलिंग और विमान परिचारिका बनने का उनका सपना अंततः तब साकार हुआ जब उन्होंने 1985 में पैन एम एयरलाइंस ज्वाइन की।

3. पैन एम एयरलाइंस में करियर: एक स्टार की शुरुआत

मात्र 22 वर्ष की आयु में नीरजा को पैन एम की सबसे युवा वरिष्ठ फ्लाइट परिचारिका (सीनियर फ्लाइट पर्सर) बनने का गौरव प्राप्त हुआ। उनके प्रशिक्षक और सहयोगी उनकी पेशेवर दक्षता, सौम्यता और नेतृत्व क्षमता की प्रशंसा करते थे। उन्होंने अपनी नौकरी को सिर्फ एक करियर नहीं, बल्कि सेवा का माध्यम माना।

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4. वह भयावह दिन: 5 सितंबर 1986, पैन एम फ्लाइट 73 हाईजैक

यह वह दिन था जिसने नीरजा को इतिहास में अमर कर दिया। पैन एम फ्लाइट 73, जो मुंबई से न्यूयॉर्क जा रही थी, कराची के जिन्नah अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर रुकी।

हाईजैक की घटनाक्रम:

  • सुबह 5:55 बजे: चार अबू निदाल संगठन के आतंकवादियों ने, ग्राउंड स्टाफ के वेश में, विमान पर हमला बोल दिया।

  • तत्काल खतरे की पहचान: नीरजा ने सबसे पहले खतरे को भांपा और कॉकपिट को हाईजैक कोड (CODE 7500) के जरिए सचेत किया।

  • रणनीतिक सफलता: उनकी इस त्वरित कार्रवाई से तीनों पायलट इमरजेंसी हैच से भागने में सफल रहे। इससे आतंकवादियों का विमान को कहीं और ले जाने का मुख्य मकसद पूरी तरह विफल हो गया।

5. 17 घंटे की घेराबंदी: असाधारण साहस की पराकाष्ठा

अगले 17 घंटे नीरजा ने अपनी जान की परवाह किए बिना यात्रियों के बीच रहकर उन्हें संभाला। उनके साहस के प्रमुख पहलू:

  • अमेरिकी यात्रियों की रक्षा: आतंकवादियों का प्राथमिक निशाना अमेरिकी नागरिक थे। नीरजा ने चालाकी से 41 अमेरिकी यात्रियों के पासपोर्ट छुपा दिए, ताकि उनकी पहचान न हो सके।

  • मनोबल बनाए रखना: वह लगातार यात्रियों के बीच घूमती रहीं, उन्हें पानी पिलाया, शांत किया और आश्वस्त करती रहीं

  • प्रशिक्षण का उपयोग: उन्होंने अपने इमरजेंसी प्रोसीजर के प्रशिक्षण को बखूबी याद रखा और आने वाले विस्फोट की स्थिति के लिए यात्रियों को तैयार किया।

6. अंतिम बलिदान: 'द फर्स्ट एंड लास्ट लाइन ऑफ डिफेंस'

जब आतंकवादियों ने गोलियाँ चलानी शुरू कीं और विमान में अफरातफरी मच गई, तो नीरजा ने इमरजेंसी एक्जिट के दरवाजे खोल दिए और यात्रियों को बाहर निकालना शुरू किया।

वह मौका जब वह खुद बच सकती थीं: नीरजा एक्जिट के सबसे नजदीक थीं और सबसे पहले कूद सकती थीं। लेकिन उन्होंने "फर्स्ट एंड लास्ट लाइन ऑफ डिफेंस" के अपने कर्तव्य को याद रखा और लोगों को बाहर निकालना जारी रखा।

अंतिम पल: जब वह तीन बच्चों को बचाने में लगी थीं, तभी एक आतंकवादी ने उन पर गोलियाँ चला दीं। नीरजा ने अपने शरीर से बच्चों को ढंक लिया और अपने प्राणों की आहुति दे दी। यह घटना उनके 23वें जन्मदिन से सिर्फ दो दिन पहले की है।

7. पुरस्कार और सम्मान: एक वीरांगना का गौरव

नीरजा भनोट को उनकी वीरता और बलिदान के लिए दुनिया भर से सम्मान मिला।

प्रमुख सम्मानों की सूची:

  • अशोक चक्र (1987): भारत का सर्वोच्च शांतिकालीन वीरता पुरस्कार। इसे पाने वाली सबसे कम उम्र की महिला

  • तमगा-ए-इंसानियत (1990): पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, जो "मानवता के लिए पदक" है।

  • स्पेशल करेज अवार्ड (2005): संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार द्वारा प्रदान किया गया।

  • जीवन रक्षा पदक (1986): पैन एम एयरलाइंस द्वारा, उनकी मृत्यु के बाद।

  • अन्य: उनके नाम पर डाक टिकट जारी, देश भर में सड़कों और भवनों का नामकरण।

8. विरासत और स्मृति: एक सदाबहार प्रेरणा

नीरजा भनोट की विरासत केवल एक घटना तक सीमित नहीं है।

  • फिल्म और साहित्य: उनके जीवन पर आधारित फिल्म 'नीरजा' (2016) बनी, जिसमें सोनम कपूर ने मुख्य भूमिका निभाई।

  • नीरजा भनोट ट्रस्ट: उनके परिवार द्वारा स्थापित यह ट्रस्ट दुर्भाग्यग्रस्त विमानकर्मियों के बच्चों को शिक्षण वृत्ति प्रदान करता है।

  • एक प्रतीक: वह साहस, कर्तव्यनिष्ठा और निःस्वार्थ सेवा की जीती-जागती मिसाल बन गई हैं, जो लाखों युवाओं, विशेषकर महिलाओं को प्रेरित करती हैं।

9. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1: नीरजा भनोट ने किस उड़ान में अपना बलिदान दिया?
A: पैन एम एयरलाइंस की फ्लाइट संख्या 73 (PAN AM Flight 73) में, जो 5 सितंबर 1986 को कराची, पाकिस्तान में हाईजैक हुई थी।

Q2: नीरजा भनोट को कौन-कौन से पुरस्कार मिले?
A: उन्हें मरणोपरांत भारत का अशोक चक्र, पाकिस्तान का तमगा-ए-इंसानियत और अमेरिका का स्पेशल करेज अवार्ड प्रदान किया गया।

Q3: नीरजा भनोट की याद में कौन-सी फिल्म बनी?
A: वर्ष 2016 में 'नीरजा' नामक फिल्म रिलीज हुई, जिसका निर्देशन राम माधवानी ने किया और मुख्य भूमिका सोनम कपूर ने निभाई।

Q4: नीरजा भनोट का जन्म कहाँ हुआ था?
A: उनका जन्म 7 सितंबर 1963 को चंडीगढ़, भारत में हुआ था।

Q5: 'हीरोइन ऑफ द हाईजैक' किसे कहा जाता है?
A: नीरजा भनोट को उनकी वीरता के कारण 'हीरोइन ऑफ द हाईजैक' (Hijack) के उपनाम से जाना जाता है।

निष्कर्ष

नीरजा भनोट की कहानी केवल एक शहादत की दास्तान नहीं है; यह मानवीय करुणा, अदम्य साहस और पेशेवर कर्तव्य की पराकाष्ठा की गाथा है। उन्होंने साबित किया कि वीरता किसी उम्र, लिंग या पद की मोहताज नहीं होती। अपने अंतिम सांस तक दूसरों की सेवा करने का उनका संकल्प आज भी हर भारतीय के लिए एक चमकदार मशाल का काम करता है। नीरजा भनोट अमर हैं।

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