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पायल नाग (Payal Nag) एक प्रेरणादायक भारतीय पैरा-तीरंदाज हैं, जिन्होंने अपनी असाधारण प्रतिभा और हौसले से दुनिया भर में सुर्खियां बटोरी हैं। 17 साल की पायल ओडिशा के बालांगीर जिले से हैं और वे दुनिया की पहली ऐसी तीरंदाज हैं, जिनके पास न हाथ हैं न पैर। 2015 में, जब वे सिर्फ 5 साल की थीं, एक हादसे में 11,000 वोल्ट की बिजली की चपेट में आने से उनके चारों अंगों ने काम करना बंद कर दिया। इसके बाद उनके परिवार ने, जो आर्थिक रूप से कमज़ोर था, उन्हें बालांगीर के एक अनाथालय में छोड़ दिया। लेकिन पायल की जिंदगी तब बदली जब उनकी प्रतिभा को कोच कुलदीप वेदवान ने पहचाना।
पायल नाग की लेटेस्ट उपलब्धियां (मार्च 2025 तक)
पायल ने हाल ही में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं, जो उन्हें एक उभरती हुई सितारा बनाती हैं:
नेशनल पैरा तीरंदाजी चैंपियनशिप 2025 में स्वर्ण पदक
जनवरी 2025 में जयपुर में आयोजित 6वीं नेशनल पैरा तीरंदाजी चैंपियनशिप में पायल ने दो स्वर्ण पदक जीते। उन्होंने ओपन कैटेगरी में अपनी ही राज्य की मशहूर पैरा-तीरंदाज और पेरिस 2024 पैरालिंपिक में मेडल जीतने वाली शीतल देवी को हराकर यह खिताब अपने नाम किया। यह पायल की पहली राष्ट्रीय प्रतियोगिता थी, और उन्होंने अपनी चमकदार शुरुआत से सबको हैरान कर दिया।
खेलो इंडिया पैरा गेम्स 2025 में रजत पदक
मार्च 2025 में दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित खेलो इंडिया पैरा गेम्स में पायल ने रजत पदक जीता। फाइनल में उनका मुकाबला फिर से शीतल देवी से हुआ, लेकिन इस बार शीतल ने 109-103 से जीत हासिल की। पायल ने इस हार को सकारात्मक रूप से लिया और कहा, "मैं पहली बार खेलो इंडिया में खेल रही थी, इसलिए थोड़ा घबराहट थी। हवा भी तेज थी और मुझे नए डिवाइस के साथ शूट करने में दिक्कत हुई, लेकिन मैं खुश हूँ कि फाइनल तक पहुंची और रजत जीता।"
रेवस्पोर्ट्स ट्रेलब्लेज़र्स 3.0 कॉन्क्लेव में प्रदर्शन
8 मार्च 2025 को कोलकाता में आयोजित रेवस्पोर्ट्स ट्रेलब्लेज़र्स 3.0 कॉन्क्लेव में पायल ने अपनी तीरंदाजी का लाइव प्रदर्शन किया। उन्होंने स्टेज पर दो शॉट्स लगाए—पहला 9 अंक और दूसरा इनर-10 अंक—जिसके बाद दर्शकों ने खड़े होकर तालियां बजाईं। इस इवेंट में पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान सौरव गांगुली और NRAI अध्यक्ष कालिकेश सिंह देव ने पायल को सम्मानित किया। सौरव गांगुली ने कहा, "पायल जैसी कहानियां हमें सिखाती हैं कि कुछ भी असंभव नहीं है।"
कॉरपोरेट सपोर्ट
उसी कॉन्क्लेव में Wow! Momo के फाउंडर सागर दरयानी ने पायल को स्पॉन्सर करने की घोषणा की। उन्होंने कहा, "हम पायल के इस सफर का हिस्सा बनना चाहते हैं और उन्हें सबसे ऊंचे पोडियम तक पहुंचने में मदद करना चाहते हैं।"
पायल की ट्रेनिंग और तकनीक
पायल को माता वैष्णो देवी श्राइन तीरंदाजी अकादमी में कोच कुलदीप वेदवान और अभिलाषा चौधरी ट्रेनिंग दे रहे हैं। यह वही अकादमी है जहां शीतल देवी ने भी ट्रेनिंग ली थी। पायल के लिए एक खास प्रोस्थेटिक डिवाइस बनाई गई है, जिसकी मदद से वे तीरंदाजी करती हैं। पहले वे दोनों प्रोस्थेटिक पैरों से तीर छोड़ती थीं, लेकिन वर्ल्ड आर्चरी के नियमों के कारण अब वे सिर्फ एक पैर से शूट करती हैं। इस नए डिवाइस को अपनाने में उन्हें थोड़ी मुश्किल हुई, लेकिन फिर भी उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया।
पायल अपनी तकनीक के बारे में बताती हैं, "मैं अपने कंधे से डिवाइस को सेट करती हूँ और मुंह से तीर को सेट करके शूट करती हूँ। पहले मुझे डर लगा था कि मैं कैसे करूंगी, लेकिन मेरे गुरु ने मुझे हौसला दिया।"
पायल की प्रेरणा और सपने
पायल शीतल देवी को अपनी बड़ी दीदी मानती हैं और उनसे प्रेरणा लेती हैं। शीतल ने भी पायल की तारीफ करते हुए कहा, "पायल बहुत प्रतिभाशाली हैं। सिर्फ डेढ़ साल में उन्होंने इतना अच्छा प्रदर्शन किया है। मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है।"
पायल का सपना है कि वे 2026 टोक्यो पैरा एशियन गेम्स और 2028 पैरालिंपिक्स में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतें। वे कहती हैं, "मेरा सपना है कि मैं अपने देश के लिए गोल्ड मेडल जीतूं। अगर मैं बालांगीर के अनाथालय से निकलकर शीतल दीदी को हरा सकती हूँ, तो मेरा लक्ष्य गोल्ड मेडल से कम नहीं हो सकता।"
पायल की पृष्ठभूमि
पायल का परिवार बहुत गरीब है। उनके पिता एक किसान हैं, और उनकी बड़ी बहन वर्षा नाग उनके साथ अकादमी के हॉस्टल में रहती हैं। वर्षा उनकी हर जरूरत का ख्याल रखती हैं—नहाने से लेकर खाना खिलाने तक। पायल ने बताया कि तीरंदाजी से पहले वे अपने मुंह से चित्र बनाया करती थीं। एक बार उनकी एक पेंटिंग ट्विटर पर वायरल हो गई, जिसके बाद कोच कुलदीप ने उन्हें ढूंढा और जम्मू लाकर ट्रेनिंग शुरू की।
आने वाली चुनौतियां
पायल अभी थाईलैंड में होने वाले वर्ल्ड रैंकिंग टूर्नामेंट की तैयारी कर रही हैं। वे इसे एक बड़े मंच के रूप में देखती हैं ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखा सकें। उनके कोच कुलदीप का मानना है कि पायल में वह प्रतिभा है जो उन्हें वैश्विक स्तर पर भारत का नाम रौशन करने में मदद करेगी।
प्रेरणा का स्रोत
पायल की कहानी इटली की पैरा-फेंसर बियाट्रिस मारिया वियो से मिलती-जुलती है, जिन्होंने भी अपने हाथ-पैर खोने के बावजूद रियो और टोक्यो पैरालिंपिक्स में स्वर्ण पदक जीते। पायल भी उसी रास्ते पर चल रही हैं और अपनी मेहनत और आत्मविश्वास से हर मुश्किल को छोटा साबित कर रही हैं।
पायल नाग की यह कहानी न सिर्फ प्रेरणा देती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि हौसले और मेहनत के आगे कोई बाधा बड़ी नहीं होती।
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