Public Figure: प्राचीन समय के सबसे महान गणितज्ञ आर्यभट्ट आर्यभट्ट प्राचीन समय के सबसे महान खगोलशास्त्रियों और गणितज्ञों में से एक थे। विज्ञान और गणित के क्षेत्र में उनके कार्य आज भी वैज्ञानिकों को प्रेरणा देते हैं। आर्यभट्ट उन पहले व्यक्तियों में से थे। By Lotpot 04 Feb 2024 in Lotpot Personality New Update प्राचीन समय के सबसे महान गणितज्ञ आर्यभट्ट Public Figure प्राचीन समय के सबसे महान गणितज्ञ आर्यभट्ट:- आर्यभट्ट प्राचीन समय के सबसे महान खगोलशास्त्रियों और गणितज्ञों में से एक थे। विज्ञान और गणित के क्षेत्र में उनके कार्य आज भी वैज्ञानिकों को प्रेरणा देते हैं। आर्यभट्ट उन पहले व्यक्तियों में से थे जिन्होंने बीजगणित (एलजेबरा) का प्रयोग किया। (Lotpot Personality) आपको यह जानकर हैरानी होगी कि उन्होंने अपनी प्रसिद्ध रचना ‘आर्यभटिया’ (गणित की पुस्तक) को कविता के रूप में लिखा। यह प्राचीन भारत की बहुचर्चित पुस्तकों में से एक है। इस पुस्तक में दी गयी ज्यादातर जानकारी खगोलशास्त्र और गोलीय त्रिकोणमिति से संबंध रखती है। ‘आर्यभटिया’ में अंकगणित, बीजगणित और त्रिकोणमिति के 33 नियम भी दिए गए हैं। आज हम सभी इस बात को जानते हैं कि पृथ्वी गोल है और अपनी धुरी पर घूमती है और इसी कारण रात और दिन होते हैं। मध्यकाल में ‘निकोलस काॅपरनिकस’ ने यह सिद्धांत प्रतिपादित किया था पर इस वास्तविकता से बहुत कम लोग ही परिचित होगें कि ‘काॅपरनिकस’ से लगभग 1 हज़ार साल पहले ही आर्यभट्ट ने यह खोज कर ली थी कि पृथ्वी गोल है और उसकी परिधि अनुमानतः 24835 मील है। सूर्य और चन्द्र ग्रहण के हिन्दू धर्म की मान्यता को आर्यभट्ट ने ग़लत सिद्ध किया। इस महान वैज्ञानिक और गणितग्य को यह भी ज्ञात था कि चन्द्रमा और दूसरे ग्रह सूर्य की किरणों से प्रकाशमान होते हैं। आर्यभट्ट ने अपने सूत्रों से यह सिद्ध किया कि एक वर्ष में 366 दिन नहीं बल्कि 365.2951 दिन होते हैं। (Lotpot Personality) आर्यभट्ट ने अपने ग्रन्थ ‘आर्यभटिया’ में अपना जन्मस्थान कुसुमपुर और जन्मकाल शक संवत्... आर्यभट्ट ने अपने ग्रन्थ ‘आर्यभटिया’ में अपना जन्मस्थान कुसुमपुर और जन्मकाल शक संवत् 398 (476) लिखा है। इस जानकारी से उनके जन्म का साल तो निर्विवादित है परन्तु वास्तविक जन्मस्थान के बारे में विवाद है। कुछ स्रोतों के अनुसार आर्यभट्ट का जन्म महाराष्ट्र के अश्मक प्रदेश में हुआ था और ये बात भी तय है कि अपने जीवन के किसी काल में वे उच्च शिक्षा के लिए कुसुमपुरा गए थे और कुछ समय वहां रहे भी थे। हिन्दू और बौध परम्पराओं के साथ-साथ सातवीं शताब्दी के भारतीय गणितज्ञ भास्कर ने कुसुमपुरा की पहचान पाटलीपुत्र (आधुनिक पटना) के रूप में की है। यहाँ पर अध्ययन का एक महान केन्द्र, नालन्दा विश्वविद्यालय स्थापित था और संभव है कि आर्यभट्ट इससे जुड़े रहे हों। ऐसा संभव है कि गुप्त साम्राज्य के अन्तिम दिनों में आर्यभट्ट वहां रहा करते थे। गुप्तकाल को भारत के स्वर्णिम युग के रूप में जाना जाता है। (Lotpot Personality) आर्यभट्ट का भारत और विश्व के गणित और ज्योतिष सिद्धान्त पर गहरा प्रभाव रहा है। भारतीय गणितज्ञों में सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले आर्यभट्ट ने 120 आर्याछंदों में ज्योतिष शास्त्र के सिद्धांत और उससे संबंधित गणित को सूत्ररूप में अपने प्रसिद्ध ग्रंथ ‘आर्यभटीय’ में प्रस्तुत किया है। (Lotpot Personality) lotpot-e-comics | famous-personality | Facts about Aryabhata | लोटपोट | lottpott-i-konmiks | phems-prsnaalittii | Greatest Mathematician Aryabhata यह भी पढ़ें:- Public Figure: भारत के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई Public Figure: आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द सरस्वती Public Figure: एक स्वतंत्रता सेनानी और लोक नायक थे बिरसा मुंडा Public Figure: भारतीय ट्रैक और फील्ड की रानी पी.टी. उषा #लोटपोट #Lotpot #Public Figure #famous personality #लोटपोट इ-कॉमिक्स #lotpot E-Comics #फेमस पर्सनालिटी #Facts about Aryabhata #आर्यभट्ट #महान गणितज्ञ आर्यभट्ट #Greatest Mathematician Aryabhata You May Also like Read the Next Article