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‘मैं तिरंगा और आप सभी की दुआएं साथ लेकर आया हूँ’—अंतरिक्ष की ओर रवाना होते हुए शुभांशु शुक्ला ने यह शब्द हर भारतीय के दिल में गूंजाए। शुभांशु शुक्ला एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री हैं, जिन्हें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा गगनयान मिशन के लिए चुना गया है। वह भारतीय वायु सेना के एक अनुभवी पायलट हैं और अपनी उड़ान प्रशिक्षण और अनुभव के दम पर अंतरिक्ष यात्री बनने की योग्यता हासिल की है।
शुभांशु शुक्ला का जन्म उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा लखनऊ से पूरी की और बाद में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) में दाखिला लिया। NDA से स्नातक करने के बाद, उन्होंने 2006 में भारतीय वायु सेना में कमीशन प्राप्त किया और फाइटर पायलट के रूप में सेवा शुरू की। विभिन्न लड़ाकू विमानों जैसे Su-30MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर और हॉक को उड़ाने का उनका अनुभव उन्हें खास बनाता है।
शुभांशु शुक्ला को ISRO द्वारा गगनयान मिशन के लिए चुने गए चार अंतरिक्ष यात्रियों में शामिल किया गया। उन्हें रूस के गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण के लिए भेजा गया, जहां उन्होंने अंतरिक्ष यात्रा के लिए जरूरी कौशल और ज्ञान प्राप्त किया। इस मिशन के लिए ISRO क्रू मॉड्यूल, लॉन्च व्हीकल और जीवन समर्थन प्रणाली जैसी अहम तकनीकों पर काम कर रहा है। शुभांशु की भूमिका में अंतरिक्ष यान का संचालन, प्रयोगों का प्रबंधन और आपात स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया देना शामिल होगा।
शुभांशु शुक्ला ने हाल ही में Axiom Mission 4 (Ax-4) में भारत का प्रतिनिधित्व किया, जो भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। 25 जून, 2025 को फाल्कन 9 रॉकेट से लॉन्च होने के बाद, उन्होंने 26 जून को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर पहुंचकर इतिहास रचा। यह मिशन 18 दिनों तक चला, और 15 जुलाई, 2025 को स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल ‘ग्रेस’ के साथ वे प्रशांत महासागर में सुरक्षित लैंडिंग के साथ पृथ्वी पर लौटे। इस
दौरान उन्होंने 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिसमें ISRO द्वारा डिजाइन किए गए 7 प्रयोग भी शामिल थे, जैसे माइक्रोग्रैविटी में पौधों की वृद्धि और कंप्यूटर स्क्रीन के प्रभाव का अध्ययन।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके लौटने पर ट्वीट कर कहा, “शुभांशु शुक्ला की वापसी भारत के लिए गर्व का क्षण है। उनकी बहादुरी ने 140 करोड़ भारतीयों के सपनों को नई उड़ान दी है और गगनयान मिशन की दिशा में एक और कदम है।” इस मिशन पर ISRO ने लगभग 550 करोड़ रुपये खर्च किए, जो गगनयान की तैयारी के लिए एक महत्वपूर्ण निवेश माना जा रहा है।
प्रेरणा का स्रोत
शुभांशु शुक्ला की कहानी बच्चों और युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी मेहनत, समर्पण और देशभक्ति ने उन्हें राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरा भारतीय बनाया। उनकी यात्रा न सिर्फ तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि यह दिखाती है कि सपनों को पंख देने के लिए कड़ी मेहनत और सही दिशा जरूरी है।