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वेंकैया नायडू का शुरुआती जीवन
आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे भारतीय राजनेता की, जिनका जन्म आज ही के दिन 1949 में हुआ था। मुप्पावरापु वेंकैया नायडू का जन्म आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले के छोटे से गाँव चवतापालेम में हुआ। उनके माता-पिता रंगैया नायडू और रामानम्मा थे। साधारण परिवार से आने वाले वेंकैया ने अपनी शिक्षा स्थानीय स्कूलों से शुरू की और बाद में आंध्र विश्वविद्यालय से विधि में डिग्री हासिल की।
एक छात्र नेता के रूप में, उन्होंने 1970 के दशक में जय आंध्र आंदोलन में हिस्सा लिया और आपातकाल के दौरान 17 महीने जेल में रहे। यह समय उनकी प्रेरक कहानी का पहला अध्याय था, जो दिखाता है कि मेहनत और हिम्मत से कुछ भी हासिल किया जा सकता है।
राजनीतिक सफर: भारतीय राजनेता के रूप में योगदान
वेंकैया नायडू का राजनीतिक सफर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से जुड़ने के साथ शुरू हुआ। 1978 और 1983 में वे आंध्र प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए। बाद में, वे 1998 में कर्नाटक से राज्यसभा के सदस्य बने और तीन बार फिर से चुने गए। उनकी वाक्पटुता और किसानों व पिछड़े क्षेत्रों के लिए काम करने की भावना ने उन्हें बीजेपी का लोकप्रिय चेहरा बनाया।
2002-2004 तक वे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। इसके बाद, 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार में वे शहरी विकास, आवास और सूचना प्रसारण मंत्री बने। 11 अगस्त 2017 को वे भारत के 13वें उपराष्ट्रपति बने और 2022 तक इस पद पर रहे। इस दौरान उन्होंने राज्यसभा के सभापति के रूप में संसद की गरिमा बनाए रखी। उनकी प्रेरक कहानी बताती है कि एक छोटे गाँव से शुरूआत कर भी देश की सेवा कैसे की जा सकती है।
प्रमुख उपलब्धियाँ: प्रेरक कहानी
वेंकैया नायडू की उपलब्धियाँ कई हैं। स्वच्छ भारत मिशन, स्मार्ट सिटी मिशन और अमृत योजना जैसी योजनाओं में उनके योगदान ने भारत के शहरी ढांचे को मजबूत किया। 2024 में उन्हें पद्म विभूषण, भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान, दिया गया, जो उनके सार्वजनिक जीवन के लिए था।
उनकी वाक्पटुता और हास्य ने संसद को रोचक बनाया। कई बार उनकी एक पंक्तियाँ, जैसे "ऑपरेशन डिपेंड्स ऑन को-ऑपरेशन, ऑथरवाइज़ सेपरेशन," ने सभी को हँसाया और एकता का संदेश दिया। यह प्रेरक कहानी बच्चों को दिखाती है कि मेहनत और सकारात्मकता से सफलता मिलती है।
व्यक्तिगत जीवन और विरासत
वेंकैया नायडू का पारिवारिक जीवन सादगी का प्रतीक है। वे अपनी पत्नी उषा नायडू और दो बच्चों के साथ रहते हैं। नेल्लोर में उनकी स्थापना, स्वर्ण भारत ट्रस्ट, गरीब और अनाथ बच्चों के लिए स्कूल चलाता है, जो उनकी सेवा भावना को दर्शाता है। 2022 में उपराष्ट्रपति पद से रिटायर होने के बाद, वे हैदराबाद में रहते हैं और देश सेवा में लगे हैं। उनकी विरासत एक भारतीय राजनेता के रूप में प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।
बच्चों के लिए सीख
दोस्तों, वेंकैया नायडू की कहानी हमें सिखाती है कि छोटी शुरुआत से भी बड़े सपने पूरे हो सकते हैं। उनकी मेहनत, जेल में बिताए दिन, और देश के लिए काम करने का जुनून हमें बताता है कि हिम्मत और लगन से कुछ भी मुमकिन है। तो, अपनी पढ़ाई और अच्छे कामों में मेहनत करो—शायद तुम भी एक दिन इतिहास बनाओ!
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