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Maharishi Agastya: रोटी कपड़ा और मकान की तरह हमारे जीवन में इलेक्ट्रिसिटी का महत्व भी बढ़ता जा रहा है, जरा सोचिए कि आज के जमाने में बिना बिजली हम जीवन कैसे जी सकते हैं? लेकिन घबराने की बात नहीं, बिजली हमारे जीवन में हमेशा रहेगा क्योंकि यह एक प्राकृतिक शक्ति है, जो दुनिया में मौजूद है। इसे निर्मित करने की जरूरत नहीं बल्कि आविष्कार करने की जरूरत थी जो हमारे पूर्वजों ने किया।
अब जब विद्युत के आविष्कार करने की बात उठती है तो ज्यादातर लोग सोचते हैं कि इसे महान विदेशी विश्वविख्यात वैज्ञानिक बेंजामिन फ्रैंकलीन (Benjamin frankley) ने खोंजा, कुछ लोग सोचते हैं कि अंग्रेजी वैज्ञानिक विलियम गिलबर्ट या फिर थॉमस ब्राउनी या माइकल फैराडे ने किसकी खोंज की है लेकिन यह पूरा सच नहीं है। सच्चाई यह है कि जब सारा विश्व विद्युत यानी इलेक्ट्रिसिटी से अनजान थे तब दसियों हजारों साल पहले हमारे भारत के महान ऋषि मुनियों में से एक महर्षि अगस्त्य (जिनका जिक्र रामायण, महाभारत में भी है) ने विद्युत का आविष्कार किया था, जिसके बारे में ऋषि अगस्त्य ने अपनी 'अगस्त्य संहिता' नामक ग्रंथ में भी लिखा है, जो आज भी उज्जैन के प्रिंस लाइब्रेरी में रखा हुआ है।
महर्षि अगस्त्य ने मिट्टी के बर्तन में तांबे की पट्टी (कॉपर सल्फेट), लकड़ी की गीली बुरादें, पारा (मरक्यूरी) तथा दस्ता लोष्ट (जिंक), के द्वारा बिजली का उत्पादन किया था जिसे आज के देसी विदेशी आधुनिक वैज्ञानिकों ने परिक्षण करके एकदम सही पाया। प्राचीन ग्रथों के अनुसार महर्षि अगस्त्य सप्त ऋषियों में गिने जाते थे, इन्ही ऋषियों ने आसमान में उड़ने वाले गुब्बारें, पैराशूट, वायुयान, अंतरिक्ष यान भी बनाए थे। यही नहीं, प्राचीन काल में महर्षि अगस्त्य के इन्ही इलेक्ट्रिक बैटरी के जरिए तुलसी के पत्तों से चार्ज किए पानी का एलेक्ट्रोसिस करके मेडिकल ओज़ोन भी बनाया गया था लेकिन दुख की बात यह है हमारे प्राचीन भारत मे किए गए तमाम आविष्कारों, उत्पानों को विदेशी वैज्ञानिकों ने अपने नाम पेटेंट कर लिए।
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लेकिन अब, आज का भारत हमारे प्रत्येक इनोवेशन, पावर सेविंग और रिन्यूएबल को भारत के नाम करने की ठान लिया है। साथ ही बिजली बचाने, पर्यावरण की रक्षा करने, क्लाइमेट चेंज को रोकने की कोशिश में क्रांतिकारी कदम के रूप में एलईडी इलेक्ट्रिक ऍप्लिकेन्स को बढ़ावा दे रही है जो सस्ता भी है और एलईडी के बल्ब्स तथा ट्यूब्स घर को ठंडा भी रखता है और बिजली भी बचाती है तथा दूसरे बल्ब्स, ट्यूब्स की तुलना में चालीस गुना ज्यादा चलती है, यानी दूसरे बल्ब्स जहां एक हजार घंटे चलती है, वहीं एलइडी बल्ब्स और ट्यूब्स एक लाख घंटे चलती है, और हाँ विंड पावर के निर्माण में भारत चौथे स्थान पर है। यह विंड पावर भारत में निर्मित सभी ऊर्जाओं में सबसे सस्ती है।