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"गजानन और भोलू की अनोखी दोस्ती" कहानी में एक शाही हाथी गजानन और एक कुत्ते भोलू की गहरी दोस्ती दिखाई गई है। एक किसान भोलू को ले जाता है, जिससे गजानन उदास होकर खाना-पीना छोड़ देता है। राजा के हस्तक्षेप से भोलू वापस आता है, और गजानन फिर से खुश हो जाता है। यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची दोस्ती अनमोल होती है। (Hathi Aur Kutta Story Summary, Hindi Moral Tale)
कहानी: एक अनजानी दोस्ती की शुरुआत (The Story: The Beginning of an Unlikely Friendship)
कई साल पहले की बात है, एक छोटे से राज्य में राजा विक्रम सिंह का एक विशाल हाथी था, जिसका नाम था गजानन। गजानन अपनी ताकत और शाही ठाठ-बाट के लिए मशहूर था। हर दिन वह राज्य के पास एक हरे-भरे मैदान में चरने जाता था, जहाँ घास के छोटे-छोटे टीले और एक छोटा सा तालाब था। उसकी देखभाल करने वाला महावत, रमेश, उसे सुबह मैदान में छोड़ देता था और शाम को वापस ले जाता था।
एक दिन जब गजानन मैदान में चर रहा था, उसे एक हल्की सी भूखी आवाज़ सुनाई दी। उसने अपनी सूँड उठाकर इधर-उधर देखा। पास ही एक पतला सा कुत्ता, जिसका नाम बाद में भोलू रखा गया, रमेश की थाली से बचा हुआ खाना खा रहा था। रमेश उस वक्त वहाँ नहीं था, और गजानन को अकेले चरने की आदत थी, तो उसे भोलू की मौजूदगी से कोई परेशानी नहीं हुई। भोलू ने डरते-डरते गजानन की तरफ देखा, लेकिन गजानन ने अपनी सूँड हिलाकर उसे पास बुला लिया।
दिन बीतते गए, और गजानन व भोलू की दोस्ती गहरी होती चली गई। दोनों साथ-साथ समय बिताने लगे। भोलू कभी गजानन की सूँड के नीचे से दौड़ता, तो कभी उसकी पीठ पर चढ़ने की कोशिश करता। गजानन भी हल्के से अपनी सूँड से भोलू को हवा में उछालता और दोनों मज़े करते। रमेश को भी उनकी यह दोस्ती पसंद थी। वह हँसते हुए कहता, "देखो गजानन, तेरा नया दोस्त कितना प्यारा है! भोलू, तू तो हमारे शाही हाथी का खास मित्र बन गया।"
दोस्ती में बिछोह (A Separation in Friendship)
एक दिन, मैदान के पास से गुजर रहे एक किसान, जिसका नाम था हरिया, ने भोलू को देखा। उसे भोलू बहुत प्यारा लगा। उसने रमेश से पूछा, "ये कुत्ता तुम्हारा है? मैं इसे अपने साथ ले जा सकता हूँ? मेरे खेत में चूहे बहुत परेशान करते हैं, ये मेरे काम आ जाएगा।" रमेश ने सोचा कि भोलू उसका पालतू नहीं है, और उसने बिना ज्यादा सोचे हामी भर दी। उसने कहा, "हाँ-हाँ, ले जाओ। ये तो यहाँ भटकता रहता है।" हरिया खुश होकर भोलू को अपने साथ ले गया।
लेकिन भोलू के जाने के बाद गजानन उदास हो गया। वह मैदान में चुपचाप खड़ा रहता, न घास खाता, न पानी पीता, और न ही अपनी सूँड हिलाता। उसकी आँखों में एक अजीब सा दुख दिखने लगा। रमेश ने देखा कि गजानन की हालत दिन-ब-दिन खराब हो रही है। वह परेशान हो गया और उसने सोचा, "लगता है गजानन को भोलू की याद सता रही है। लेकिन अब क्या किया जा सकता है?"
राजा का हस्तक्षेप (The King’s Intervention)
एक दिन राजा विक्रम सिंह अपने शाही हाथी को देखने मैदान में आए। उन्होंने देखा कि गजानन बिल्कुल कमज़ोर और उदास लग रहा है। वह एक कोने में पड़ा था और उसने अपनी सूँड भी नहीं उठाई। राजा ने चिंतित होकर रमेश से पूछा, "रमेश, हमारे गजानन को क्या हुआ है? यह इतना उदास क्यों है? क्या यह बीमार है?"
रमेश ने सिर झुकाते हुए कहा, "महाराज, मुझे समझ नहीं आ रहा। पहले तो गजानन बहुत खुश रहता था, लेकिन कुछ दिनों से यह न खाता है, न पीता है। शायद इसे किसी चीज़ की कमी खल रही है।" राजा ने तुरंत अपने शाही वैद्य, हरि प्रसाद, को बुलवाया।
हरि प्रसाद ने गजानन की अच्छे से जाँच की। उसने उसकी आँखें देखीं, उसकी सूँड को छुआ, और उसकी साँसों को सुना। फिर उसने राजा से कहा, "महाराज, गजानन शारीरिक रूप से बिल्कुल ठीक है। लेकिन मुझे लगता है कि यह उदासी की वजह से बीमार है। शायद इसने अपना कोई दोस्त खो दिया है, जिसके बिना यह अधूरा महसूस कर रहा है।"
भोलू की वापसी (The Return of Bholu)
राजा ने गंभीरता से रमेश की ओर देखा और पूछा, "रमेश, क्या तुम्हें कुछ पता है? गजानन के किसी दोस्त के बारे में?" रमेश ने डरते-डरते सारी बात बताई, "महाराज, कुछ दिन पहले यहाँ एक कुत्ता आया करता था। उसका नाम भोलू था। गजानन और भोलू बहुत अच्छे दोस्त बन गए थे। लेकिन एक दिन एक किसान ने उसे देखा और मुझसे पूछकर अपने साथ ले गया। मुझे लगा वह मेरा कुत्ता नहीं है, तो मैंने उसे दे दिया।"
यह सुनकर राजा थोड़े नाराज़ हुए। उन्होंने कहा, "रमेश, तुम्हें यह सोचना चाहिए था कि गजानन की दोस्ती कितनी गहरी थी। अब तुरंत उस किसान को ढूँढो और भोलू को वापस लाओ।" राजा ने अपने एक सैनिक को रमेश के साथ हरिया के गाँव भेजा।
जब रमेश और सैनिक हरिया के पास पहुँचे, तो उन्होंने देखा कि भोलू खेत में इधर-उधर दौड़ रहा था। हरिया ने कहा, "ये कुत्ता तो बड़ा शैतान है। चूहे तो पकड़ता नहीं, बस खेलता रहता है।" रमेश ने विनती की, "भाई, ये कुत्ता हमारे शाही हाथी का दोस्त है। इसे हमें वापस दे दो, वरना गजानन बीमार पड़ जाएगा।" हरिया ने भोलू को वापस दे दिया।
जब भोलू को मैदान में लाया गया, तो गजानन की आँखें चमक उठीं। उसने अपनी सूँड उठाई और भोलू को हवा में उछाल दिया। भोलू भौंकते हुए गजानन के पास दौड़ा और उसकी सूँड से लिपट गया। गजानन ने फिर से खाना शुरू कर दिया और मैदान में उछल-कूद करने लगा। रमेश ने खुशी से कहा, "महाराज, देखिए गजानन कितना खुश है! भोलू की वजह से इसकी जान में जान आई है।"
दोस्ती की मिसाल (An Example of Friendship)
उस दिन के बाद, गजानन और भोलू की दोस्ती और भी गहरी हो गई। राजा ने आदेश दिया कि भोलू अब हमेशा गजानन के साथ रहेगा। भोलू के लिए एक छोटा सा घर भी बनवाया गया, जहाँ वह गजानन के पास रहता था। दोनों हर दिन साथ खेलते, और उनकी दोस्ती पूरे राज्य में मशहूर हो गई। लोग कहते, "देखो, एक विशाल हाथी और एक छोटा सा कुत्ता कैसे प्यार से रहते हैं। दोस्ती में कोई बड़ा-छोटा नहीं होता।" (Hathi Aur Kutta Ki Kahani, Unconditional Friendship Tale)
सीख (Moral of the Story)
बच्चों, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची दोस्ती में कोई भेदभाव नहीं होता। गजानन और भोलू ने दिखाया कि दोस्ती प्यार और विश्वास से बनती है। हमें अपने दोस्तों की फिक्र करनी चाहिए और उनकी कमी को समझना चाहिए। सच्चा दोस्त वही है जो हमें खुश रखे और मुसीबत में हमारा साथ दे। (Lesson on Friendship, Motivational Story for Kids)
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