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मोबाइल की लत बनी गंभीर बीमारी- लुधियाना के एक 18 वर्षीय किशोर को मोबाइल की गंभीर लत इस हद तक लग गई कि वह पिछले 6 सालों से स्कूल ही नहीं गया। अब उसकी स्थिति इतनी खराब हो गई है कि उसका इलाज मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में किया जा रहा है।
📱 मोबाइल बना लत, स्कूल और दुनिया से दूरी
शुरुआत में बच्चा सिर्फ गेम और वीडियो देखा करता था, लेकिन धीरे-धीरे वह दिन-रात मोबाइल पर ही रहने लगा। पढ़ाई से उसका ध्यान हट गया और परिवार की लाख कोशिशों के बावजूद वह स्कूल लौटने को तैयार नहीं हुआ।
🏥 मानसिक विशेषज्ञों का हस्तक्षेप
परिवार ने उसे अंततः लुधियाना के एक अस्पताल में भर्ती कराया। मनोचिकित्सकों के अनुसार, यह मामला ‘फोन एडिक्शन डिसऑर्डर’ का है, जिसमें व्यक्ति धीरे-धीरे सामाजिक और भावनात्मक रूप से कटने लगता है।
डॉ. राकेश अरोड़ा के अनुसार:
“मोबाइल की लत न केवल मानसिक रूप से, बल्कि शारीरिक और सामाजिक रूप से भी बच्चों को तोड़ देती है।”
📉 रिसर्च का खतरनाक संकेत
एक शोध के अनुसार, 13 साल की उम्र तक स्मार्टफोन मिलने वाले बच्चों में आत्महत्या की प्रवृत्ति 50% तक अधिक होती है। मोबाइल पर निर्भरता बच्चे के सोचने, समझने और व्यवहार पर बुरा असर डालती है।
🧠 विशेषज्ञों की सलाह
बच्चों को केवल आवश्यकता के समय ही फोन दें।
स्क्रीन टाइम को सीमित करें।
बच्चों को आउटडोर गतिविधियों में शामिल करें।
माता-पिता खुद मोबाइल पर समय कम बिताएं, ताकि बच्चे सकारात्मक आदतें सीखें।
🔔 निष्कर्ष
यह घटना न केवल चिंताजनक है, बल्कि सभी माता-पिता के लिए एक चेतावनी है कि यदि समय रहते मोबाइल की लत पर लगाम नहीं लगाई गई, तो यह आने वाली पीढ़ी को बर्बाद कर सकती है।
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