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Indigenous wireless EV charger is coming soon in India, which will charge up to 90% battery in 3 hours
स्वदेशी वायरलेस ईवी चार्जर : भारत में ई-मोबिलिटी और हरित ऊर्जा के क्षेत्र में एक बड़ी तकनीकी छलांग लगने वाली है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के अंतर्गत एक अहम पहल के तहत अब देश को जल्द ही एक स्वदेशी वायरलेस ईवी चार्जर मिलने वाला है, जो महज 3 घंटे में इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी का 90% हिस्सा चार्ज कर देगा।
NAMPET कार्यक्रम के तहत बड़े इनोवेशन
MeitY के सचिव एस. कृष्णन ने नई दिल्ली के इलेक्ट्रॉनिक्स निकेतन में आयोजित एक बैठक में इस तकनीकी पहल की जानकारी दी। यह प्रौद्योगिकी राष्ट्रीय विद्युत इलेक्ट्रॉनिक्स प्रौद्योगिकी मिशन (NAMPET) के अंतर्गत विकसित की गई है।
कार्यक्रम में विभिन्न प्रौद्योगिकियों के टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (ToT) और समझौता ज्ञापन (MoU/MoA) पर हस्ताक्षर किए गए। इसमें सरकार, उद्योग और अनुसंधान संगठनों की बड़ी भूमिका रही।
🚗 1. ईवी के लिए वायरलेस चार्जिंग टेक्नोलॉजी
C-DAC तिरुवनंतपुरम और VNIT नागपुर द्वारा मिलकर विकसित किया गया यह 1.5 किलोवॉट वायरलेस चार्जर, EV बैटरियों को 90% तक चार्ज करने में केवल 3 घंटे लेता है।
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यह 230V, 50Hz की एकल फेज एसी सप्लाई पर चलता है।
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4.8kWh ऑनबोर्ड बैटरी को 48V पर 30A करंट से चार्ज करता है।
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7.5 से 12.5 सेंटीमीटर की दूरी में यह लगभग 89.4% चार्जिंग दक्षता देता है।
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इसमें सिलिकॉन कार्बाइड बेस्ड MOSFET टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है।
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डिवाइस में शॉर्ट-सर्किट और ओपन-सर्किट सुरक्षा फीचर्स भी शामिल हैं।
यह चार्जर तकनीक अब Global Business Solution Pvt. Ltd. को ट्रांसफर कर दी गई है जो इसके व्यवसायीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगी।
🚉 2. रेलवे के लिए स्वदेशी प्रोपल्शन सिस्टम
भारत सरकार अब भारतीय रेलवे के लिए भी एक नया कदम उठा रही है।
C-DAC, CLW (चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स) और कुछ उद्योग साझेदार मिलकर एक 3-चरणीय इलेक्ट्रिक इंजन के लिए प्रोपल्शन सिस्टम तैयार करेंगे।
इस सिस्टम में:
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दो 2.5 MVA ट्रैक्शन कन्वर्टर
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तीन 130 kVA सहायक कन्वर्टर
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एक स्मार्ट ट्रेन कंट्रोल मैनेजमेंट सिस्टम (TCMS) शामिल होंगे।
यह परियोजना भारतीय रेलवे के 2030 तक पूर्ण विद्युतीकरण के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगी।
🌱 3. केरल में लागू हो रही है 48V LVDC तकनीक
हरित ऊर्जा की दिशा में C-DAC और केरल विकास एवं नवाचार रणनीतिक परिषद (K-DISC) ने भी समझौता किया है।
C-DAC द्वारा विकसित 48V लो वोल्टेज डायरेक्ट करंट (LVDC) सिस्टम अब K-DISC के मुख्यालय में लागू किया जा चुका है।
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यह तकनीक हरित ऊर्जा, ऊर्जा संरक्षण और किफायती बिजली वितरण में मददगार है।
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इस सिस्टम से 20-30% तक बिजली की बचत हो सकती है।
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यह केरल के 2050 तक कार्बन न्यूट्रल बनने के लक्ष्य और भारत के नेट ज़ीरो 2070 विजन में भी योगदान देगा।
🧠 NAMPET – स्वदेशी तकनीकों को बढ़ावा देने वाला मिशन
NAMPET, MeitY का एक विशेष मिशन-मोड प्रोग्राम है जो पावर इलेक्ट्रॉनिक्स में स्वदेशी अनुसंधान, विकास, और व्यावसायीकरण पर केंद्रित है।
इसका संचालन C-DAC तिरुवनंतपुरम द्वारा किया जा रहा है और इसमें देश के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों, अनुसंधान एजेंसियों और उद्योगों की भागीदारी है।
इसका फोकस है:
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स्मार्ट ग्रिड, माइक्रोग्रिड,
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ई-मोबिलिटी इकोसिस्टम,
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स्मार्ट मीटरिंग,
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और स्टार्टअप्स को टेक्नोलॉजी के जरिए सक्षम बनाना।
🔚 निष्कर्ष:
भारत अब स्वदेशी तकनीकों के सहारे ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
ईवी वायरलेस चार्जर, रेल प्रोपल्शन सिस्टम, और LVDC पावर जैसी टेक्नोलॉजी न सिर्फ हरित ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देंगी, बल्कि मेक इन इंडिया विजन को भी मजबूती प्रदान करेंगी।
यह खबर देश के लिए गर्व की बात है कि भारत अब टेक्नोलॉजी इनोवेशन में दुनिया से पीछे नहीं, बल्कि आगे है।
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