Positive News : डांस या आत्मरक्षा हमारे समाज में बच्चों को महंगे फोन, टैबलेट और गैजेट देना अब आम चलन बन गया है। जैसे ही बच्चे थोड़ा बड़े होते हैं, उन्हें ये गैजेट्स थमा दिए जाते हैं, जिससे वे दोस्तों के साथ सेल्फी लेना, वीडियो बनाना, और सोशल मीडिया पर व्यस्त रहना शुरू कर देते हैं। By Lotpot 06 Nov 2024 in Positive News New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 डांस या आत्मरक्षा - हमारे समाज में बच्चों को महंगे फोन, टैबलेट और गैजेट देना अब आम चलन बन गया है। जैसे ही बच्चे थोड़ा बड़े होते हैं, उन्हें ये गैजेट्स थमा दिए जाते हैं, जिससे वे दोस्तों के साथ सेल्फी लेना, वीडियो बनाना, और सोशल मीडिया पर व्यस्त रहना शुरू कर देते हैं। इस प्रकार की गतिविधियाँ बच्चों के समय और ऊर्जा का महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाती हैं, और उनका ध्यान पढ़ाई, खेल, और आत्म-विकास से भटक जाता है।बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए जरूरी है कि हम उन्हें समय पर आत्मरक्षा सिखाएँ। आत्मरक्षा न सिर्फ उन्हें शारीरिक रूप से मजबूत बनाती है, बल्कि उनके आत्मविश्वास में भी वृद्धि करती है। कई देशों में बच्चों को स्कूल स्तर से ही आत्मरक्षा और देश सेवा का पाठ सिखाया जाता है। इज़राइल इसका बेहतरीन उदाहरण है, जहाँ 15 साल की उम्र से बच्चों को आर्मी ट्रेनिंग मिलती है। स्कूल खत्म करने के बाद सेना में दो या तीन साल की अनिवार्य सेवा होती है, जिसके चलते इज़राइल के लोग शारीरिक रूप से मजबूत और मानसिक रूप से सशक्त होते हैं। यहाँ तक कि महिलाएँ भी अपनी सुरक्षा के लिए हथियार रखती हैं, जो उनके आत्मविश्वास को और बढ़ाता है।नॉर्वे, रूस, दक्षिण कोरिया और ग्रीस जैसे अन्य देशों में भी आत्मरक्षा और देश सेवा को महत्व दिया गया है। वहाँ बच्चों को बचपन से ही आत्मरक्षा की ट्रेनिंग दी जाती है ताकि वे किसी भी आपात स्थिति का सामना कर सकें। भारत में भी अगर स्कूलों में इस प्रकार की ट्रेनिंग दी जाए तो न केवल बच्चों का शारीरिक विकास होगा, बल्कि वे मानसिक रूप से भी सशक्त बनेंगे और उनका आत्मबल बढ़ेगा। मार्शल आर्ट सीखने से बच्चों को विशेष रूप से लड़कियों को आत्मरक्षा के महत्वपूर्ण तरीके मिलते हैं। यह उन्हें शारीरिक हमलों से बचने की शक्ति देता है और कठिन परिस्थितियों में मानसिक रूप से स्थिर बनाए रखता है। इसके अतिरिक्त, मार्शल आर्ट से बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर होता है, उनका स्टैमिना और फिटनेस स्तर बढ़ता है, जिससे वे हर चुनौती का सामना आसानी से कर सकते हैं।यदि हर भारतीय बच्चा आत्मरक्षा में निपुण हो और उनमें सेवा की भावना हो, तो न केवल हमारे समाज में सुरक्षा बढ़ेगी बल्कि महिला अपराधों पर भी नियंत्रण पाया जा सकेगा। इस प्रकार के कदम न केवल बच्चों के जीवन में बदलाव लाएंगे, बल्कि एक सशक्त राष्ट्र की नींव भी बनाएंगे।इसके लिए केंद्र सरकार को स्कूलों में मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग अनिवार्य कर देनी चाहिए और माता पिता को भी इसे क्रियावंत करने की पहल करनी चाहिए । और पढ़ें : Deepika Kumari : दीपिका कुमारी ने आर्चरी वर्ल्ड कप में जीता रजत पदक गैजेट्स की दुनिया में बच्चों का आगाज़! लोटपोट कॉमिक्स टीम का दौरा- दरबारीलाल DAV मॉडल स्कूल शालीमार बाग में बच्चों के साथ एक यादगार दिन Science News : इस तकनीक से मिटटी में मिल कर गल जायेगा प्लास्टिक #Bal Samachar #Bal Samachar You May Also like Read the Next Article