Science News : इस तकनीक से मिटटी में मिल कर गल जायेगा प्लास्टिक

वैज्ञानिकों ने प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से एक विशेष प्रकार के प्लास्टिक का विकास किया है, जिसे “जीवित प्लास्टिक” कहा जा रहा है। यह प्लास्टिक ऐसे जीवित स्पोर्स (बीजाणु) के साथ तैयार किया गया है

ByLotpot
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Science News With this technology plastic will melt by mixing with soil.
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वैज्ञानिकों ने प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से एक विशेष प्रकार के प्लास्टिक का विकास किया है, जिसे “जीवित प्लास्टिक” कहा जा रहा है। यह प्लास्टिक ऐसे जीवित स्पोर्स (बीजाणु) के साथ तैयार किया गया है जो इसके नष्ट होने की प्रक्रिया को स्वाभाविक रूप से तेज करते हैं। दिल्ली के प्रदूषण समस्या को देखते हुए यह तकनीक बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। यह प्लास्टिक उपयोग के बाद कम्पोस्ट या मिट्टी में प्राकृतिक रूप से टूट जाता है, जिससे यह पर्यावरण के अनुकूल विकल्प बन जाता है।

कैसे काम करता है यह जीवित प्लास्टिक?

वैज्ञानिकों ने इस प्लास्टिक में विशेष प्रकार के स्पोर्स को सम्मिलित किया है, जो उपयोग के बाद नमी, मिट्टी या कम्पोस्ट में पहुंचते ही सक्रिय हो जाते हैं और प्लास्टिक को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ना शुरू कर देते हैं। इस प्रक्रिया के चलते यह प्लास्टिक पर्यावरण में जल्दी विघटित हो जाता है और भूमि या जलस्रोतों में प्रदूषण नहीं फैलाता।

दिल्ली के लिए संभावित फायदे

दिल्ली में प्लास्टिक प्रदूषण एक गंभीर समस्या है, जो हर साल बढ़ती जा रही है। ऐसे में यह नई तकनीक कचरे के ढेर को कम करने और प्लास्टिक प्रदूषण को नियंत्रित करने में कारगर साबित हो सकती है। यदि इस तकनीक का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है, तो यह दिल्ली जैसे बड़े शहरों में प्रदूषण कम करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।

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