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मोबाइल को NO कहें, जाने इसकी वजह
एक बहुत प्रसिद्ध फिल्मी डायलॉग है '50-50 कोस दूर जब बच्चा रात को रोता है तो उसकी मां कहती है की सो जा नहीं तो गब्बर सिंह आ जाएगा' लेकिन आजकल जब बच्चा रात को रोता है तो उसकी मां उसे कुछ नहीं कहती बल्कि उसके हाथ में मोबाइल थमा देती है जिसे देखते-देखते बच्चा सो जाता है, बात मजाक में जरूर कही गई है लेकिन ​आज के डिजिटल युग में, मोबाइल फोन हमारे साथ-साथ हमारे बच्चों की जीवनशैली का एक अभिन्न अंग बन गया है। जहाँ इसने कई सुविधाएँ दी हैं, वहीं बच्चों में इसका अत्यधिक उपयोग एक गंभीर चिंता का विषय बन चुका है। मोबाइल की यह लत न केवल उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि उनके सामाजिक और शैक्षिक विकास में भी बाधा डालती है।
माता-पिता और अभिभावकों के लिए यह समझना और स्वीकार करना आवश्यक है कि इस आदत को नियंत्रित करने के लिए धैर्य, संयम और सकारात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता है ​बच्चों में मोबाइल की लत अक्सर बचपन से ही शुरू हो जाती है, जब माता-पिता बच्चे को व्यस्त रखने या चुप कराने के लिए फोन दे देते हैं। धीरे-धीरे यह एक आदत बन जाती है। इस लत के कई दुष्परिणाम हो सकते हैं, जैसे लगातार स्क्रीन देखने से आंखों की रोशनी कमजोर होना, नींद की कमी, मोटापा और गर्दन व पीठ में दर्द की समस्या, तनाव, चिंता, अकेलापन और चिड़चिड़ापन पढ़ाई से ध्यान हटना, कमजोर एकाग्रता और दोस्तों व परिवार के साथ क्वालिटी टाइम की कमी। बच्चों में यह सब ना हो इसके लिए​ बच्चों की मोबाइल उपयोग की आदतों को कम करने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने ज़रूरी हैं।
​1. यदि माता-पिता खुद ही हर समय फोन में व्यस्त रहेंगे, तो बच्चों को नियंत्रित करना मुश्किल होगा। इसलिए, सबसे पहले स्वयं के स्क्रीन टाइम को सीमित करें और परिवार के साथ समय बिताते समय फोन को दूर रखें। ​
2. स्क्रीन टाइम की सीमा तय करें ​मोबाइल उपयोग के लिए निश्चित समय सीमा निर्धारित करना सबसे महत्वपूर्ण कदम है। उदाहरण के लिए, पूरे दिन में सिर्फ 30 मिनट से 1 घंटे तक ही फोन इस्तेमाल करने की अनुमति दें। ​
3. रचनात्मक विकल्प प्रदान करें ​जब बच्चे से मोबाइल लिया जाता है, तो वह अक्सर बोरियत महसूस करता है। इस खालीपन को भरने के लिए उन्हें रचनात्मक और शारीरिक गतिविधियों के विकल्प दें उन्हें​ आउटडोर गेम्स खेलने के लिए प्रेरित करें। हो सके तो उनके साथ खेलें। पेंटिंग, ड्राइंग, किताबें पढ़ना, संगीत, डांस क्लास या किसी खेल-कूद (जैसे स्विमिंग) में उनकी रुचि जगाएँ। साथ बैठकर बोर्ड गेम्स खेलें, कहानियाँ सुनाएँ या घर के छोटे-मोटे कामों में उन्हें शामिल करें। ​बच्चे के सोने, खाने, खेलने और पढ़ने का एक निश्चित टाइम टेबल तैयार करें। उन्हें प्यार और समझदारी से समझाएँ कि यह उनकी शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए क्यों ज़रूरी है।
जब हम उन्हें वैकल्पिक, रचनात्मक और स्वस्थ गतिविधियाँ प्रदान करते हैं, तो वे खुद ही मोबाइल से दूर होने लगगे हैं और एक संतुलित व स्वस्थ जीवनशैली अपनायेंगे।
