सर्जिकल स्ट्राइक: मानवता की मिसाल- अफ्शिन गुल और डॉ. कृष्णन

सर्जिकल स्ट्राइक: मानवता की मिसाल- अफ्शिन गुल और डॉ. कृष्णन- जब हम सर्जिकल स्ट्राइक की बात करते हैं, तो अक्सर दिमाग में भारतीय सेना की बहादुरी और रणनीति आती है, लेकिन आज हम एक ऐसी सर्जिकल

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सर्जिकल स्ट्राइक: मानवता की मिसाल- अफ्शिन गुल और डॉ. कृष्णन- जब हम सर्जिकल स्ट्राइक की बात करते हैं, तो अक्सर दिमाग में भारतीय सेना की बहादुरी और रणनीति आती है, लेकिन आज हम एक ऐसी सर्जिकल स्ट्राइक की कहानी लेकर आए हैं, जो सीमाओं से परे जाकर मानवता की मिसाल पेश करती है। यह कहानी है पाकिस्तान के मिट्टी, सिंध में रहने वाली 13 वर्षीय अफ्शिन गुल की, जो एक दुर्घटना का शिकार होकर जिंदगी की जंग लड़ रही थी।

अफ्शिन गुल की जिंदगी तब बदल गई जब वह मात्र 10 महीने की थी। उनकी एक बहन के हाथ से गिरने से उनकी गर्दन पर गहरी चोट लगी, जिसके कारण उनका सिर 90 डिग्री के कोण पर मुड़ गया। इसके बाद से वह 8 साल तक घर में कैद-सी जिंदगी जीने को मजबूर थीं। वह न चल सकती थीं, न बोल सकती थीं, न ही अपने दैनिक कामकाज कर सकती थीं। दोस्तों के साथ खेलना या स्कूल जाना उनके लिए सपना बनकर रह गया। 2017 में, जब अफ्शिन 8 साल की हुईं, प्रसिद्ध पाकिस्तानी अभिनेता अहसन खान ने उनकी फोटो फेसबुक पर शेयर की, जिससे उनकी कहानी मेनस्ट्रीम मीडिया की नजर में आई।

2019 में एक ब्रिटिश पत्रकार ने उनकी मेडिकल और आर्थिक स्थिति पर रिपोर्ट बनाई, जिसने उनकी मदद के लिए वैश्विक ध्यान आकर्षित किया। इसी बीच, न्यू दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में जटिल स्पाइनल सर्जरी के विशेषज्ञ डॉ. राजगोपालन कृष्णन ने आगे बढ़कर अफ्शिन के केस को संभाला। डॉ. कृष्णन ने उनकी मुफ्त सर्जरी की पेशकश की और नवंबर 2021 में अफ्शिन भारत पहुंचीं। यह सर्जरी बेहद जटिल थी, जिसमें उनकी खोपड़ी को गर्दन से स्क्रू और स्टिक के जरिए जोड़ा गया। छह घंटे की इस सर्जरी को डॉ. कृष्णन ने अपनी कुशलता से सफल बनाया।

सर्जरी के बाद अफ्शिन की जिंदगी में नई रोशनी आई। इस साल ईद पर वह मुस्कुराते हुए, सिर सीधा करके अपने परिवार के साथ उत्सव मना रही थीं। डॉ. कृष्णन अब भी स्काइप के जरिए उनका फॉलो-अप कर रहे हैं और उनकी सेहत में सुधार की निगरानी रख रहे हैं। सबसे खास बात यह है कि इस पूरे इलाज के लिए डॉ. कृष्णन ने कोई शुल्क नहीं लिया, जो मानवता की मिसाल है।

यह सर्जिकल स्ट्राइक न केवल एक चिकित्सा उपलब्धि है, बल्कि भारत और पाकिस्तान के बीच शांति और सहयोग का प्रतीक भी है। अफ्शिन की मुस्कान और डॉ. कृष्णन का त्याग हमें सिखाता है कि मानवीय संवेदना किसी भी सीमा से बड़ी होती है। क्या हम भी नहीं चाहेंगे कि ऐसी सर्जिकल स्ट्राइक्स रोज हों, जो जिंदगियों को बचाएं और दो देशों के रिश्तों को मधुर बनाएं?

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