अब चीते दिखेंगे भारत के जंगल में भारत के प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी के शुभ जन्मदिवस पर उन्हें मिले साउथ अफ्रीकन चीतों के तोहफ़ो की खूब चर्चा है। नामीबिया से By Lotpot 17 Sep 2022 in Stories Positive News New Update भारत के प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी के शुभ जन्मदिवस पर उन्हें मिले साउथ अफ्रीकन चीतों के तोहफ़ो की खूब चर्चा है। नामीबिया से, 16 घन्टों की यात्रा करके भारत के कुनो पाल पुर नैशनल पार्क (केपीएनपी) पधारे इन आठ चीतों को लेकर सबकी बहुत उत्सुकता है। इसमें पाँच मादा और तीन नर चीते है जिनकी उम्र ढाई साल से बारह साल तक है। मजे की बात तो यह है कि इन नामीबियन चीतों को अफ्रीका से भारत लाने के लिए जिस विशेष चार्टर कार्गो विमान का इस्तमाल किया गया उसकी शक्ल भी चीते जैसी थी और उसपर चीते की पेंटिंग भी की गई थी। दुनिया के किसी भी देश में चीतों को पंहुचाने का काम एयरलाइन्स कम्पनी ने पहली बार किया है जिसके कारण यह परियोजना इस विमान कम्पनी के लिए भी एतिहासिक रहा । एयर क्राफ्ट के अंदर चीतों के पिंजरे को आराम से अंदर रखा गया था और साथ में पशु चिकित्सक की पूरी टीम भी थी। दरअसल चीता इंट्रोडक्शन प्रोजेक्ट के तहत भारत को इस वर्ष बीस अफ्रीकन चीते मिलने थे, नामीबिया से आठ, जो भारत को मिल गए और बाकी बारह बाकी है। विश्व में पहली बार ऐसा हुआ जब कोई बड़े मांसाहारी पशु को एक द्वीप से दूसरे द्वीप रिलोकेट किया गया। प्रधानमन्त्री ने हैंडल घुमाया और पिंजरे का दरवाज़ा खुलते ही चीते कुनो नैशनल पार्क में चले गए। फ़िलहाल ये इस पार्क में कवारेंटाइन के हिसाब से रहेंगे , उसके बाद जंगल में छोड़ दिया जायेगा। अब जानिए कि भारत को अफ्रीका से चीते मंगवाने की जरूरत क्यों पड़ी? दरअसल एक ज़माने में भारत के जंगलों में चीतों की भरमार थी। लेकिन यहाँ के कई राजाओं और बाहर से आए आक्रमणकारियों द्वारा शिकार किए जाने के कारण 1947 तक लगभग सारे चीते खत्म हो गए और 1952 में चीतों को लुप्त घोषित किया गया। जहां भारत के जंगलों में शेर, बाघ, तेंदुए, हाथी, जंगली गाय, जीराफ, भालू, जंगली भैंस, बारहसिंगा, हिरण, चीतल वगैरह जंगली पशुओं की कोई कमी नहीं लेकिन एक भी चीता नहीं बचा। वैसे पिछले साठ सालों से चीतों को दूसरे देश से भारत लाए जाने की कोशिश और अथक प्रयास होता रहा जो आखिर 17 सितंबर 2022 को रंग लाई। दो तीन महीने लगेंगे इन चीतों को, कुनो नदी किनारे बसे जंगल में सहज होकर अपना नया जीवन शुरू करने में, उसके बाद, आज की हमारी पीढ़ी देख पाएंगे कि आखिर चीते होते कैसे है और कुनो क्षेत्र के आसपास का क्षेत्र पर्यटकों के आवाजाही से विकसित होगा। चीते और तेंदुए में फर्क चीते और तेंदुआ लगभग एक से दिखते हैं, लेकिन उनमें कुछ बुनियादी फर्क है, जैसे तेंदुए कम से कम 100 किलो वजन के होते है और चीतों की तुलना में भारी, मांसल और मजबूत होते है। उनके सर बड़े होते है, तेंदुआ छुपकर घात लगाकर शिकार करते हैं, उनके पीले रंग के खाल में अलग अलग आकार के धब्बे होते है। वे ज्यादा ऊँचे नहीं होते। चीते ऊँचे, छरहरे और लगभग 72 किलो के आसपास होते है, उनके कंधे लंबे, चेहरा छोटा और दोनों आँखों से ठुड्डी तक काली लकीर खिंची होती है और वो 120 किलोमीटर प्रति घन्टे की रफ्तार से, हवा से ज्यादा वेग से दौड़कर शिकार करते है। उनके हल्के पीले, या क्रीम रंग के खाल में गोल और अंडाकार धब्बे होते है। ★सुलेना मजुमदार अरोरा★ #Lotpot Positive News You May Also like Read the Next Article