मेरी गुड़िया सबसे प्यारी : इस कविता में बचपन की एक अनमोल याद, गुड़िया के प्रति बच्चे के स्नेह और उसकी मासूमियत को दर्शाया गया है। हर बच्चा अपनी गुड़िया को एक सच्ची साथी मानता है, जिसके बिना उसका बचपन अधूरा लगता है। यह कविता इसी मासूम स्नेह और प्यार को बड़े ही सरल शब्दों में बयां करती है। कविता : मेरी गुड़िया सबसे प्यारी मेरी गुड़िया सबसे प्यारी,उसकी मुस्कान है सबसे न्यारी।रंग-बिरंगी उसकी चूनर,मेरा मन भी है उससे प्यारा। हर दिन मैं उसे सजाऊँ,उसके संग ही खेलूँ, गाऊँ।मिट्टी की हो या हो कपड़े की,मेरी गुड़िया लगती अप्सरा सी। रात को जब सोने जाऊँ,उसको गले लगाकर मैं सो जाऊँ।सपनों में वो मेरे संग हो,मेरी हर ख़ुशी का रंग हो। वो मेरी दोस्त, वो मेरा साथ,उसके बिना सूना है हर रात।मेरी दुनिया उसकी है प्यारी,मेरी गुड़िया सबसे न्यारी। कविता से सीख:गुड़िया केवल एक खिलौना नहीं होती, वह बच्चों की भावनाओं का प्रतीक होती है। इस कविता के माध्यम से यह सिखने को मिलता है कि कैसे छोटी-छोटी चीज़ें हमारे जीवन में बड़ी खुशियाँ लाती हैं और हमें सच्चे स्नेह का महत्व समझाती हैं। ये सुन्दर कविता भी पढ़ें : बाल कविता : मेरा स्कूल सबसे प्याराकविता: बच्चों की पिकनिकहिंदी कविता : बॉल पेन की कहानीनन्हीं कविता : मेरे दोस्त सबसे प्यारे