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पॉजिटिव थिंकिंग उसे कहते है जो कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी कुछ अच्छा सोच लेकर आए। कभी कभी हमारे सामने ऐसी चुनौतियाँ खड़ी हो जाती है जो हमें तन और मन से परेशान कर देते हैं और ऐसा लगता है जैसे हम ऐसी स्थिति में टूट कर बिखर जाएंगे या मर जाएंगे। लेकिन अगर हम थोड़ा प्रयास करे और अपने अंदर एक पॉजीटिव सोच ले आएँ तो बड़ी से बड़ी चुनौती और संघर्ष पर आसानी से विजय प्राप्त कर सकते हैं तथा नकारात्मकता को भी सकारात्मकता में बदल सकते है।
एक गधे की कहानी में बड़ी ही सुन्दरता से नकारात्मकता ( नेगेटिव ) में सकारात्मकता का व्याख्यान किया गया है। कहानी कुछ इस प्रकार है। एक गांव में एक सूखे कुएँ को बंद करने का काम चल रहा था। दोपहर को जब सब मजदूर खाना खाने चले गए तो वहां एक बूढ़ा गधा चरते हुए आया और उस कुएँ में गिर गया। उसने कूएँ से निकलने की बहुत कोशिश की लेकिन नहीं निकल पाया। गधा बहुत देर तक जोर जोर से चिल्लाता और रोता रहा । तभी वहां मजदूर लोग आ गए और गधे को उस सूखे कूएँ में देख थोड़ी देर तक उसे निकालने की कोशिश करने लगे। लेकिन निकाल नहीं पाए।
तब मजदूरों ने सोचा कि गधा तो बूढ़ा हो गया है, उसका कोई मालिक भी नहीं दिख रहा है, तो उसे ऊपर लाने में मेहनत करना बेकार है और कुएँ को तो वैसे भी पाटना ही है, तो क्यों ना उसके ऊपर मिट्टी डालकर कूएँ को ढक दिया जाए। सबने मिलकर कूएँ में मिट्टी डालने का काम शुरू कर दिया । पहले तो गधा कुछ समझ नहीं पाया और डर के मारे ज़ोर ज़ोर से रोने लगा। फिर उसने रोना बंद कर दिया और शांत हो गया। मजदूरों ने कूएँ में झाँक कर जानना चाहा कि गधा चुप कैसे हो गया। और फिर उन सबने जो देखा तो दंग रह गए। जैसे ही वे लोग गधे के ऊपर मिट्टी डालते, गधा अपनी पीठ झाड़ कर मिट्टी गिरा देता और उसके ऊपर चढ़ जाता। लोग मिट्टी डालते रहे और गधा उसके ऊपर चढ़ता रहा। इस तरह कुछ ही समय में कुआँ मिट्टी से भर गया और गधा अपनी सूझ बूझ से कूएँ से बाहर निकल आया।
अगर गधे ने परिस्थिति से जूझने की सोच ना रखी होती और अगर नकारात्मक विचारों के कारण जिंदगी की उम्मीद छोड़ दी होती तथा सारे प्रयास बंद कर दिए होते तो वो कभी भी कूएँ से बाहर ना आ पाता। इसलिए हम सबको हर हाल में सकारत्मक रहना चाहिए और कठिन परिस्थितियों में भी, ना हताश होना चाहिए ना निराश होना चाहिए और बुरी स्थिति को अच्छे ढंग से पार करना चाहिए। हम सबको अपने पर विश्वास होना चाहिए। बिलीव इन योरसेल्फ। उम्मीद यानी होप कभी नहीं छोड़ना चाहिए। हमेशा याद रखना चाहिए कि दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं जो हम नहीं कर सकते। आई कांट डू ( हम नहीं कर सकते) के बदले, आई कैन डू (हम कर सकते है) की सोच रखनी चाहिए।
★सुलेना मजुमदार अरोरा★