एक अच्छी सोच की ताकत - समर्थ खन्ना

कुछ साल पहले की बात है, सोलह साल का समर्थ खन्ना (Samarth Khanna) रोज़ स्कूल जाते हुए सड़क के आसपास फैली गंदगी और कचरे के ढेर को देखता था। उसका मन उदास हो जाता था, स्कूल में पढ़ाया जाता है कि अपने घर, अपने आसपास के क्षेत्रों को साफ़ सुथरा रखो जिससे पूरा देश स्वस्थ रहेगा, लेकिन यहाँ तो हर जगह गन्दगी है।

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Power of a good thought - Samarth Khanna

कुछ साल पहले की बात है, सोलह साल का समर्थ खन्ना (Samarth Khanna) रोज़ स्कूल जाते हुए सड़क के आसपास फैली गंदगी और कचरे के ढेर को देखता था। उसका मन उदास हो जाता था, स्कूल में पढ़ाया जाता है कि अपने घर, अपने आसपास के क्षेत्रों को साफ़ सुथरा रखो जिससे पूरा देश स्वस्थ रहेगा, लेकिन यहाँ तो हर जगह गन्दगी है।

उसने देखा कि किस तरह लोग अपने घर का कचरा बाहर फेंक देते है और जगह जगह कचरे का पहाड़ बन जाता है जिससे बदबू, मच्छर, मक्खी, आवारा जानवरों के कारण वातावरण दूषित हो जाता है। सोलह साल के उस बच्चे ने मन में ठान लिया कि वो स्कूल से लौटकर पहले अपना होम वर्क और पढ़ाई पूरी कर लेगा और फिर गली मुहल्ले की सफाई के बारे में कोई ठोस कदम उठाएगा। सबसे पहले उसने उन जगहों की लिस्ट तैयार की जहां कचरे के ढ़ेर लगे थे।

फिर उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक प्लान बनाया और प्रत्येक वीकेंड को हाथों में ग्लव्स डालकर सारे कचरे साफ़ करने में लग गया। उसकी योजना थी कि कचरे के ढेरों को साफ करके वहाँ तरह तरह के हरे भरे पेड़ पौधे लगाया जाए। इस तरह समर्थ ने अपनी टीम के साथ खूब मेहनत की और कुछ ही समय में सारे कूड़े कचरे साफ़ हो गए, लेकिन वहां की जमीन सख्त और बंजर हो चुकी थी जहां पेड़ पौधे पनप नहीं सकते थे।

समर्थ और उनके दोस्तों ने इसका हल निकालते हुए उन बंजर जमीनों में ढ़ेर सारे केंचुए छोड़े और बायो एंजाइम्स का भी इस्तेमाल किया। साल भर में जमीन स्वस्थ हो गई और वहाँ देसी पौधे बो दिए गए। कुछ ही समय में जहां कुुड़े कचरे के ढेर लगे रहते थे वहाँ हरियाली छा गई और पेड़ पौधे फलने फूलने लगे। समर्थ और उसकी टीम ने वहां के रेसीडेंट्स वेलफेअर एसोसिएशन, बॉम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसाइटी तथा गुडगाँव के अरावली बायोडाइवरसिटी के एक्सपर्ट लोगों से भी मदद ली।

इस तरह समर्थ की सुन्दर सोच और सपने की सफलता से आज वहाँ का वातावरण काफी शुद्ध, स्वस्थ, साफ़ और हरी भरी हो गई। आज भी समर्थ और उसकी टीम साफ़ सफाई के मुहिम में लगातार काम कर रहे हैं। इससे मालूम पड़ता है कि एक सोच की कितनी शक्ति होती है।