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आजकल व्हाट्सएप्प में कर्नाटक के एक चौबीस वर्षीय वैज्ञानिक प्रताप एनएम की खूब चर्चा है जिसमें उनकी सफलता की कहानी है, लेकिन खबरों के अनुसार उसमें कुछ बातें सच है और कुछ बातें नहीं।
आइए जानते हैं कौन है प्रताप और क्या है उनकी उपलब्धियां। कर्नाटक के मांड्या गांव के रहने वाले प्रताप एनएम बचपन से ही बेहद बुद्धिमान और हमेशा कुछ न कुछ नया करने के लिए उत्सुक रहते थे।
उन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स में बहुत रुचि थी। छोटी उम्र में ही वे साइबर कैफे में जाकर अंतरिक्ष विमान और ड्रोन्स के बारे में जानकारी लेते थे और दुनिया भर के वैज्ञानिकों को मेल भेजकर उनसे सीखने की इच्छा जताते रहते थे, पर उन्हें कोई जवाब नहीं मिलता था।
उन्होंने मैसूर के जेएसएस कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स से बीएससी की डिग्री हासिल की लेकिन पैसों की तंगी की वजह से आगे की शिक्षा नहीं कर पाए। जब वो सिर्फ सोलह साल के थे तो ड्रोन को लेकर उनकी उत्सुकता बढ़ी। उन्होंने इसके बारे में पढ़ना और इसकी सरंचना के बारे में जानकारी प्राप्त करना शुरू किया।
कहते हैं कि उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक तथा इलेक्ट्रिक दुकानों तथा अपने घर से इकट्ठा किए गए ई-कचरे से खुद एक ड्रोन तैयार कर दिया लेकिन यह इतना आसान नहीं था। अस्सी बार के कठिन प्रयास से आखिर उन्होंने स्टीक ड्रोन बनाने में सफ़लता पाई जो उड़ सकती थी और फोटो खींच सकती थी।
कमाल की बात यह थी प्रताप द्वारा बनाया गया ड्रोन बिल्कुल वैसा ही काम करता है जैसे लाखों रुपये से बनने वाले ड्रोन काम करते है। खबरों के अनुसार, इस सफ़लता से प्रेरित होकर प्रताप ने ई-कचरे से और भी कई ड्रोन तैयार कर लिए। उन्हें देश विदेश से कई अवार्ड्स प्राप्त हुए। उन्हें 87 देशों से निमंत्रण भी मिला।
ड्रोन्स के अलावा उन्होंने सीमा सुरक्षा के लिए टेलीग्राफ़ी, मानव रहित विमान, रेसक्यू ऑपरेशन के लिए यूएवी, हैकिंग से बचने के लिए ड्रोन नेटवर्किंग में क्रिप्टोग्राफी, ऑटो पाइलट ड्रोन, ट्रैफिक मैनेजमेंट करने वाले ड्रोन बनाने का संकल्प भी किया है।
बताया जाता है कि प्रताप को फ्रांस से सोलह लाख रुपये प्रति माह की नौकरी, पांच बीएचके फ्लैट, ढाई करोड़ रुपये की कार की ऑफर की गई थी लेकिन प्रताप ने इसे ठुकरा दिया क्योंकि उन्हें बैंगलुरू में अपना लैब सेट अप करना था। आज प्रताप, भारत का नाम रोशन करने की इच्छा से और भी बहुत कुछ नया करने में दिन रात जुटे हुए हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि उन्हें डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम तथा बाज पक्षी से प्रेरणा मिली।
★सुलेना मजुमदार अरोरा