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भारत के गुजरात स्थित गांधीनगर क्षेत्र में आयोजित ग्लोबल आयुष (आयुर्वेद, योग, नेचुरोपैथी, यूनानी, सिद्धा और होम्योैथी) इन्वेस्टमेंट एंड इनोवेशन इवेंट के दौरान हमारे देश के प्रधान मंत्री तथा, वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के डायरेक्टर जनरल डॉक्टर टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसुस के बीच त्रिदिवसीय मुलाकात हुई जहां डॉक्टर तेड्रोस गुजरात के जामनगर में WHO ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन के उदघाटन के लिए उपस्थित हुए थे।
यह समिट महात्मा मंदिर द्वारा आयोजित किया गया था जहां 90 प्रख्यात वक्ता तथा 100 प्रदर्शक मौजूद थे। इस शुभ अवसर पर प्रधानंत्री मोदी जब दर्शकों को संबोधित कर रहे थे तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि WHO के डायरेक्टर टेड्रोज ने उन्हे बताया कि यहां आकर वे अपने को एक गुजराती महसूस करने लगे हैं इसलिए वे चाहते थे कि उन्हे एक गुजराती नाम से सुस्जित किया जाय और तब प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी ने महात्मा गांधी की उस भूमि पर, डॉक्टर तेड्रोस को बहुत सोच समझ कर एक सुंदर नाम दिया, तुलसी भाई।
ग्लोबल लीडर तेड्रोस को नरेंद्र मोदी जी ने सैकड़ों दर्शकों के सामने, डॉक्टर तेड्रोस को यह नया नाम इसलिए दिया क्योंकि भारतीय ट्रेडिशनल मेडिसिन में तुलसी का बहुत महत्व है। पीएम मोदी ने कहा,"आज मै एक और गुड न्यूज आप सब के साथ बांटना चाहता हूं। WHO के डायरेक्टर जनरल मेरे बहुत अच्छे मित्र हैं, वे जब भी मुझसे मिलते हैं तब हर बार कहते हैं, मोदीजी, मै आज जो कुछ भी हूं वो भारतीय शिक्षकों के बदौलत हूं क्योंकि भारतीय शिक्षको ने मुझे बचपन से शिक्षित किया है और मेरे जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं में उनका बड़ा योगदान है और मुझे भारत के साथ एकजुट होने से गर्व है।
आज जब वे मुझसे मिले तो वे मुझसे बोले, "मै एक पक्का गुजराती बन गया हूं, बस अब आप मेरा एक गुजराती नाम रख दीजिए और आज स्टेज पर पहुंचते ही उन्होंने कई बार मुझे याद दिलाते हुए पूछा कि क्या कोई नाम सूझा है मेरे लिए? इसलिए आज महात्मा गांधी जी के पवित्र भूमि पर, मै खुद एक गुजराती होने के नाते WHO के डायरेक्टर जनरल, डॉक्टर तेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस का नया नाम तुलसी भाई रखता हूं।
तुलसी हमारे देश का वो पवित्र पौधा है जिसके बारे में आज की युवा पीढ़ी भूलती जा रही है, लेकिन पीढ़ियों से इस पौधे को घर घर में लगाया और पूजा जाता है। हमारे देश में तो तुलसी विवाह भी धूमधाम से मनाया जाता है और आयुर्वेद में भी तुलसी का बहुत उपयोग है। अब उनका गुजरात प्रेम देखकर और उनका गुजराती भाषा बोलने के अथक प्रयास को मद्दे नजर रखते हुए और महात्मा गांधी जी के देश के भारतीय शिक्षकों के प्रति उनकी इतनी श्रद्धा के कारण मुझे उन्हें तुलसी भाई नाम देते हुए बहुत खुशी हो रही है।" इस पूरे वाकया से यह सर्व विदित है कि विश्व में हमारा देश भारत कितना सम्मानित और प्रेरक देश है।