राइस मैन गुरदेव सिंह खुश ने विश्व की भुखमरी ऐसे मिटाई दुनिया में बहुत से महान, ज्ञानी और गुणी लोगों के बारे में हम इतिहास में पढ़ चुके है लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनके महान कर्मों की चर्चा जन जन तक नहीं पहुंच पाई है, आज हम उन्हीं महान इंसानों में से एक, गुरदेव सिंह खुश के बारे में जानकारी लेते है जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपने प्रयासों से दुनिया की भूख मिटाई By Lotpot 14 Sep 2022 in Stories Lotpot Personality New Update दुनिया में बहुत से महान, ज्ञानी और गुणी लोगों के बारे में हम इतिहास में पढ़ चुके है लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनके महान कर्मों की चर्चा जन जन तक नहीं पहुंच पाई है, आज हम उन्हीं महान इंसानों में से एक, गुरदेव सिंह खुश के बारे में जानकारी लेते है जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपने प्रयासों से दुनिया की भूख मिटाई और जिन्हें दुनिया राइस मैन के नाम से जानते हैं। तो कहानी यह है कि पंजाब के जालंधर, रुड़की गांव में 22 अगस्त 1935 को एक बच्चे का जन्म हुआ। नाम रखा गया गुरदेव सिंह खुश । उनके पिता, एस करतार सिंह अपने गांव के प्रथम दसवीं पास व्यक्ति थे और उन्होंने अपने बेटे गुरदेव को बचपन से ही शिक्षा का मूल्य समझाया था। गुरदेव को अपने स्कूल (खालसा हाइ स्कूल, बुंदाला) पहुंचने के लिए रोज छह किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ता था। स्कूल से लौटकर उसे अपने घर के गाय भैंस के लिए चारा लाना और उनकी देखभाल करना पड़ता था। दसवीं कक्षा पास करने के बाद वे गवर्नमेंट कृषि कॉलेज लुधियाना से ग्रैजुएट हो गए और उन्हें गवर्नमेंट जॉब भी मिल गया। लेकिन गुरदेव उच्च शिक्षा प्राप्त करके देश दुनिया के लिए कुछ बड़ा काम करना चाहते थे। परंतु उनके पास विदेश जाने के लिए पैसे नहीं थे। कड़ी मेहनत करके किसी तरह एयर टिकट का पैसा जुटाकर वे अमेरिका पंहुचे और तीन वर्षो में ही उन्होंने 1960 में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया डेविस यूएसए से पी एच डी कर ली। कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए वे कुछ ऐसा करना चाहते थे ताकि छोटे खेतों में, बिना ज्यादा खाद, पानी और मेहनत के, ज्यादा से ज्यादा धान (चावल) उगाया जा सके। इस दिशा में वे दिन के बारह बारह घन्टे कड़ी मेहनत करने लगे, रात रात जागकर वे इसी विषय पर काम करते थे। उन्हीं वर्षों में देश दुनिया में भयंकर अकाल पड़ा था । भारत से लेकर दुनिया के बहुत सारे देशों में लोग दाने दाने को तरसते तरसते मरने लगे थे। देश दुनिया की ऐसी हालत देखकर गुरदेव दुखी थे, उन्होंने और तेजी से अपना काम जारी रखा और 1973 में वे IR26 वैरायटी के चावल उगाने में कामयाब हो गए। जल्द ही 1976 में वे IR 36 वेरायटी के ऐसे चावल उगाने में सफल हो गए जो उच्च उपज वाले, जल्दी उगने और जल्दी पकने वाले , हाई क्वालिटी गुणवत्ता वाले , कीड़े और रोग ना पकड़ने वाले धान थे। इस वेरायटी के धान ने, 11 मिलियन हेक्टर खेतों में उग कर एक नया रेकॉर्ड बना डाला। उसके बाद वक्त के साथ गुरदेव ने IR 64 और IR 72 वेरायटी के धान उगा कर विश्व में हरित क्रांति का बिगुल बजा दिया। वे अगले 33 वर्षों तक इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (IRRI) में राइस ब्रीडिंग प्रोग्राम के नेतृत्व करते रहे। उन्होंने हाई क्वालिटी के धान उगा कर दुनिया में धान की ऐसी बढ़त बढ़ा दी कि फिर भूखमरी का दौर खत्म हो गया। डॉक्टर की उपाधि से सम्मानित, गुरदेव सिंह खुश ने दुनिया भर के 400 से अधिक धान वैज्ञानिकों, और बहुत से पीएचडी और साइंस के छात्रों को, कम मेहनत और कम लागत में उच्च गुणवत्ता के चावल उगाने की ट्रेनिंग दी तथा 15 नैशनल राइस इम्प्रूवमेंट प्रोग्राम्स में बतौर सलाहकार सेवा भी दी। डॉक्टर गुरुदेव सिंह खुश को , धान के हरित क्रांति लाने के कारण वर्ल्ड रेकॉग्नेशन और वर्ल्ड फ़ूड प्राइज से सम्मानित किया गया जो कृषि क्षेत्र में नोबल पुरस्कार प्राप्त करने के बराबर है। ★सुलेना मजुमदार अरोरा★ You May Also like Read the Next Article