इंटरव्यू: पेरेन्ट्स अपने बच्चों को हिन्दुस्तानी भाषाओं से परिचित करवायें -रिचा चड्डा Interview : अभिनेत्री रिचा चड्डा बाल पत्रिका लोटपोट को लेकर बहुत रोमांचित है, क्योंकि जब से उन्हें पता चला कि लोटपोट की लोकप्रियता आज भी वैसी ही है जैसी अड़तालिस साल पहले हुआ करती थी तो उन्हें और ज्यादा खुशी हुई। उन्हें बताया गया कि अब तो टीवी पर लोटपोट के लोकप्रिय कार्टून मोटू पतलू पूरे दिन बच्चों के चैनल निक पर दिखाई देते रहते हैं। सर्वे के अनुसार मोटू पतलू आज बच्चों के बीच सर्वाधिक लोकप्रिय कार्टून काॅरेक्टर्स हैं। लोटपोट के जरिये रिचा उन पेरेन्ट्स को कुछ नसीहत दे रही है जो अंग्रेजी के हिमायती बने हुये हैं। By Lotpot 31 Mar 2020 in Stories Positive News New Update Interview : अभिनेत्री रिचा चड्डा बाल पत्रिका लोटपोट को लेकर बहुत रोमांचित है, क्योंकि जब से उन्हें पता चला कि लोटपोट की लोकप्रियता आज भी वैसी ही है जैसी अड़तालिस साल पहले हुआ करती थी तो उन्हें और ज्यादा खुशी हुई। उन्हें बताया गया कि अब तो टीवी पर लोटपोट के लोकप्रिय कार्टून मोटू पतलू पूरे दिन बच्चों के चैनल निक पर दिखाई देते रहते हैं। सर्वे के अनुसार मोटू पतलू आज बच्चों के बीच सर्वाधिक लोकप्रिय कार्टून काॅरेक्टर्स हैं। लोटपोट के जरिये रिचा उन पेरेन्ट्स को कुछ नसीहत दे रही है जो अंग्रेजी के हिमायती बने हुये हैं। जब बात आई बच्चों से बात करने की तो रिचा का कहना था कि मुझे लोटपोट के जरिये बच्चों से कहीं ज्यादा उन पेरेन्ट्स को-जिनमें मेरी बिल्डिंग में रहने वाले बच्चों के पेरन्ट्स भी शामिल हैं-नसीहत देना चाहती हूं जो अपने बच्चों से सिर्फ अंगे्रजी में बात करते हैं। उन्हें लगता है कि उनके बच्चे अगर अंग्रेजी में बात करने लगे तो वे किला जीत जायेगें या उन्हें लगता है कि उनके बच्चों को अंगे्रजी आनी जरूरी है वरना बाकी की भाषाऐं हिन्दी या मराठी तो वे अपने आप सीख जायेगें। ऐसा सोचना उनकी भारी गलती है। आप खुद सोचिये, कल उनका बच्चा न तो अपने ड्राइवर से बात कर पायेगा और न ही अपने घर के नौकर चाकरों से। दूसरे ये बहुत शर्म की बात है कि वह जिस भाषा से अंजान है वह उसकी अपनी भाषा के अलावा मातृभाषा भी है और जिसे वो अपने पेरेन्ट्स की वजह से नहीं सीख पाया। इससे उसमें कल खुद में ही हीनता का भाव आना शुरू हो जायेगा । अंग्रेजी को लेकर ये भावना सिर्फ बड़े लोगों में ही नहीं बल्कि मिडिल क्लास में भी तेजी से पनप रही है। आज वहां भी अपने बच्चों को शुरूआत में ही मम्मी पापा के बाद टाटा बाॅय बाॅय, गुड माॅनिंग, गुड नाइट जैसे अंग्रेजी के शब्दों से परिचित करवाया जाता है। दरअसल मांइड सैट हो चुका है चाहे इंडिया हो या चाइना, उनमें एक हीनता का भाव पैदा किया गया था कि आपकी अपनी भाषा अच्छी नहीं है। लेकिन वो अभी तक क्यों चल रहा है, ये समझ से बाहर की बात है । मैने बाॅलीवुड में भी सुना है कि यहां कुछ प्रचार एंजेंसियों के लोग हिन्दी को रीजनल भाषा कहते हैं। उनके लिये मुझे यही कहना है कि उन्हें माफ कर दिया जाये क्योंकि उन्हें पता ही नहीं कि वे कितने मूर्ख हैं जो अपनी मातृभाषा को रीजनल कह रहे हैं। मेरा बच्चों के पेरेन्ट्स को कहना है कि उनका बच्चा जितनी भाषाऐं सीखेगा ये उसके दिमाग के लिये उतना ही अच्छा है बजाये जो आजकल फें्रच, जर्मन या इटैलियन भाषाऐं सिखाने की होड़ सी मची हुई है। कितने ही स्कूलों में तीसरी या चैथी लैंग्वेज के तहत कोई विदेशी भाषा सिखाई जाती है। उसकी जगह अगर एक और हिन्दुस्तानी भाषा सिखाई जाये तो कितना अच्छा होगा । मैं काफी सोशल वर्क करती हूं और अब आगे भाषा को लेकर भी जनजागरण शुरू करने वाली हूं । -श्याम शर्मा और ये भी पढ़ें : Health : दिल की बीमारी होने पर क्या करना चाहिए ? Like our Facebook Page : Lotpot #Latest Interview #Richa Chadda Kids Magazine #Richa Chaddha You May Also like Read the Next Article