लोटपोट पर्सनालिटी: ‘‘बचपन में मैंने भी अपनी अम्मा और अब्बा से खूब मार खाई है’’ -सैफ अली खान

बाॅलीवुड स्टार सैफ अली खान (Saif Ali Khan) नवाब खानदान से हैं। उनके पिता मंसूर अली खान पटौदी इंडियन क्रिकेट टीम के कप्तान थे। क्रिकेटर पिता और फिल्म अभिनेत्री शर्मिला टैगोर के बड़े बेटे सैफ बचपन में बहुत शैतान हुआ करते थे । जब सैफ से लोटपोट के नन्हें पाठकों से बातचीत करने के लिये कहा तो उन्होंने कुछ देर सोचा और फिर अपने बचपन की कुछ यादें नन्हें पाठकों के साथ शेयर करते हुये कहते हैं कि आप जब शैतानियां करते हैं तो आपको अपनी मम्मी डैडी से पिटाई खानी पड़ती है और स्कूल टीचर से डाॅट। ऐसा सिर्फ आप लोगों के साथ ही नहीं होता, मुझे भी बचपन में इन हादसों से गुजरना पड़ा था। 

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saif ali khan kids interview by mayapuri journalist shyam

Saif Ali Khan

Lotpot Personality : बाॅलीवुड स्टार सैफ अली खान (Saif Ali Khan) नवाब खानदान से हैं। उनके पिता मंसूर अली खान पटौदी इंडियन क्रिकेट टीम के कप्तान थे। क्रिकेटर पिता और फिल्म अभिनेत्री शर्मिला टैगोर के बड़े बेटे सैफ बचपन में बहुत शैतान हुआ करते थे । जब सैफ से लोटपोट के नन्हें पाठकों से बातचीत करने के लिये कहा तो उन्होंने कुछ देर सोचा और फिर अपने बचपन की कुछ यादें नन्हें पाठकों के साथ शेयर करते हुये कहते हैं कि आप जब शैतानियां करते हैं तो आपको अपनी मम्मी डैडी से पिटाई खानी पड़ती है और स्कूल टीचर से डाॅट। ऐसा सिर्फ आप लोगों के साथ ही नहीं होता, मुझे भी बचपन में इन हादसों से गुजरना पड़ा था।

जब सैफ ने खोले अपने बचपन के राज 

सैफ बताते हैं कि बचपन में मैं काफी शैतानियाँ किया करता था इसके लिये मुझे अक्सर पिता द्वारा पिटाई का सामना करना पड़ता था। मुझे याद है जब अब्बा बहुत गुस्से में होते थे तो बेल्ट से मेरी पिटाई किया करते थे और अगर अम्मा की बात की जाये तो वे मेरी ढेर सारी शरारतें तो नजर अंदाज कर देती थी लेकिन जब उन्हें गुस्सा आता था वे मेरे आगे के बाल पकड़ लेती थी जिससे मैं अपने मुँह को इधर उधर न हिला सकूँ, उसके बाद वे मेरे गालों पर तमाचे जड़ा करती थी।

सैफ बचपन में घटी एक घटना की जानकारी देते हुये कहते हैं कि एक बार मैं शायद एग्जाम में फेल हो गया था, उसके बाद अम्मा ने मेरे बाहर जाने पर प्रतिबन्ध लगाते हुये रात दस बजे ही सो जाने का फरमान सुना दिया। उसी दिन मेरे एक दोस्त के यहां रात को पार्टी थी लिहाजा मैं अपने कमरे की खिड़की से बाहर निकल पार्टी में पंहुच गया।

देर रात जब मैं वापस उसी खिड़की से अपने कमरे में आया तो मैने देखा कि मेरे बिस्तर में कोई सो रहा है। मैने करीब जाकर देखा तो वो अम्मा थी ।

मैने उन्हें जगाया, उसके बाद मुझे काफी मार पड़ी थी । बचपन में अम्मां को मैने काफी परेशान किया था । किशोर अवस्था में आने के बाद सैफ एक और घटना का जिक्र करते हुये कहते हैं मैं सतरह साल का था उन दिनों मैं इंगलैंड के एक स्कूल में पढ़ा करता था और होस्टल में रहता था।  होस्टल से हमारे बाहर जाने पर सख्त पाबंदी थी।

जब चुपचाप दोस्तों के साथ निकले 

एक दिन एक दोस्त की पार्टी में जाने के लिये मैं अपने दोस्तों के साथ चुपचाप बाहर निकल गया, बाहर मेरे दोस्त ने गाड़ी का पहले से इंतजाम किया हुआ था।  हमने पार्टी का खूब आनंद उठाया, लेकिन जब हम वापस होस्टल आये तो वहां पहले से तैनात वाॅचमैन हमें सीधा प्रिंसिपल के पास ले गया। प्रिंसिपल ने हमारी एक भी बात सुने बिना हमें सस्पेंड कर दिया था, इसके बाद हमें वापस घर भेज दिया था। इस बार घर आने पर पेरेन्टस से मार तो नहीं पड़ी लेकिन मुझे बहुत शर्मिन्दा किया गया ।

सैफ कहते हैं बच्चों! आज में जब वो सारी बातें याद करता हूं तो भीतर से मन में गुदगुदी होने लगती है। आपसे मेरा कहना है कि बचपन में शरारतें तो बच्चे करते ही हैं, आप सब भी शरारतें करते होगें लेकिन उन शरारतों से किसी का नुकसान या किसी को आघात नहीं पहुंचना चाहिये। इस बात का हमेशा ध्यान रखना ।

-श्याम शर्मा

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