भीख में पैसे देना चाहिए या खाना? या फिर कुछ और? अक्सर हम सड़क के किनारे, रेल्वे स्टेशन, पार्क, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे या चर्च के आसपास गरीब लोगों और बच्चों को भीख मांगते देखते हैं। हम दान धर्म या दया भाव से उन्हें पैसे भी दे देते हैं। लेकिन क्या हमें बार बार इन गरीबों को पैसों की भीख देनी चाहिए। या पैसों के बदले उन्हें और उनके परिवार को कुछ खाने के लिए देना चाहिए? इस सवाल पर अलग अलग लोगों के अलग अलग विचार है। कुछ दानवीरों का कहना है कि गरीबों को पैसे की बहुत जरूरत होती है, दान में मिले पैसों से वे जरूरी सामान खरीद सकते है जैसे कपड़े, चादर, कंबल, दवा वगैरह। By Lotpot 04 Jan 2023 | Updated On 04 Jan 2023 07:47 IST in Stories Interesting Facts New Update अक्सर हम सड़क के किनारे, रेल्वे स्टेशन, पार्क, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे या चर्च के आसपास गरीब लोगों और बच्चों को भीख मांगते देखते हैं। हम दान धर्म या दया भाव से उन्हें पैसे भी दे देते हैं। लेकिन क्या हमें बार बार इन गरीबों को पैसों की भीख देनी चाहिए। या पैसों के बदले उन्हें और उनके परिवार को कुछ खाने के लिए देना चाहिए? इस सवाल पर अलग अलग लोगों के अलग अलग विचार है। कुछ दानवीरों का कहना है कि गरीबों को पैसे की बहुत जरूरत होती है, दान में मिले पैसों से वे जरूरी सामान खरीद सकते है जैसे कपड़े, चादर, कंबल, दवा वगैरह। लेकिन कई लोगों का मानना है कि भीख मांगने वाले गरीबों को कभी भी पैसे दान में नहीं देनी चाहिए। कुछ समाज सेवकों ने ये गौर किया है कि ऐसे बहुत से लोग है जो गरीबों के भेष में भीख मांगते हैं और दान में मिले पैसों का दुरुपयोग करते है। कोई उन पैसों से शराब, सिगरेट खरीदते हैं तो कोई उन पैसों से जुआ खेलते है। कुछ लोग तो उन पैसों से हथियार खरीद कर गलत काम करते है। कई ऐसे गिरोह भी होते है जो बच्चों का अपहरण करके उनसे दिन भर ज़बर्दस्ती भीख मंगवाते है और शाम को उनसे पैसे छीन लेते है। गरीब लाचार और अपाहिज बूढ़े बूढ़ियों से भी ये गिरोह थोड़े से पैसों के एवज में दिन भर भीख मंगवाते है। तो ऐसे में सोचने वाली बात यह है कि क्या हमें भिखारियों को भीख देनी चाहिए? कोई सचमुच जरूरतमंद हो तो अलग बात है लेकिन ये किस तरह से पता चल सकता है कि जिसे हम दान दे रहे हैं वो सचमुच दान के पात्र हैं या नहीं? और फिर भीख में पैसे देने से उनकी गरीबी दूर नहीं हो सकती है बल्कि उसे भीख माँगने की आदत लग जाती है और वो मेहनत करना छोड़ कर भीख मांगने को ही अपना धंधा बना लेते है। इसलिए बहुत से समाज सेवियों का कहना है कि भीख माँगने वालों को पैसे से मदद ना करके उन्हें भोजन, कपड़ा, अनाज, तेल और जरूरत की वस्तुएँ, दान करना ज्यादा अच्छा है। यदि कोई गरीब बीमार हो तो पैसे देने के बदले उसे यदि डॉक्टर के पास ले जाकर उसका सही इलाज कर पाएं और उसे अच्छा भोजन, दूध, फल, नारियल पानी दे सके, तो उसे सही दान माना जा सकता है। आजकल बहुत से दुकानों और रेस्तरां में फूड कार्ड और फूड कूपन का चलन देखा गया है। यदि हम भीख मांगने वालों को पैसा देने के बदले फूड कार्ड या फूड कूपन दान करें तो वे उसे दुकानों और रेस्तरां में जमा करके बदले में भरपेट खाना खा सकते हैं। अगर हो सके तो भिखारियों को भीख मांगने की प्रवृत्ति से छुड़ाकर उसे कोई नौकरी या काम दिलाना ज्यादा अच्छा होता है। ★सुलेना मजुमदार अरोरा★ You May Also like Read the Next Article