कहानी : कचरे का पहाड़ एक दिन अननु अपने पिता के साथ अपनी मौसी से मिलने जा रही तीजो की उत्तरी दिल्ली मए रहती है। तभी अननु को एक बड़ा सा पहाड़ दिखा ।अननु: पापा प्लीज By Lotpot 10 Oct 2023 | Updated On 12 Oct 2023 16:45 IST in Stories Moral Stories New Update एक दिन अननु अपने पिता के साथ अपनी मौसी से मिलने जा रही तीजो की उत्तरी दिल्ली मए रहती है। तभी अननु को एक बड़ा सा पहाड़ दिखा । अननु: पापा प्लीज देखिये, इतना बड़ा पहाड़। क्या दिल्ली मे भी पहाड़ होते हैं? पापा: नहीं अननु, यह उस तरह का पहाड़ नहीं है जैसा हमने शिमला मए देखा था। यह कचरे का पहाड़ है। अननु: क्या, कचरे का पहाड़?वो क्या होता है पापा पापा: कचरे का पहाड़ यानि...चलो एक काम करते हैं, मे आपको अपने एक दोस्त के पास ले चलता हूं जों वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी DMSWSL मे ही काम करते हैं, वो आपको एस बारे मे बेहतर बता पाएंगे। अननु: वे कौन हैं पापा? पापा: उनका नाम श्री डी पी सिंह है। वह डीएमएसडबल्यूएसएल मे उपाध्यक्ष के पद पर हैं। अननु: ओके पापा। यह जानकारी तो बहुत ही रोचक होगी। कचरे यानि कूड़े का पहाड़। डीएमएसडबल्यूएसएल के ऑफिस मे डी पी : ओह वैल्कम सिंधु जी । साथ मे शायद आपकी बिटिया हे? पापा: हाँ, डीपी । हम भलसवा की तरफ से गुजर रहे थे तो मेरी बेटी ने लैंडफ़िल याने इसकी भाषा मे कूड़े का पहाड़ देखा । ये इसके बारे मे जानने को उत्सुक थी। मैने सोचा भला एसके बारे मए आपसे बेहतर कौन बताएगे इसलिए आपसे मिलने का समय लिया। धन्यवाद की आपने अभी समय दे दिया। डीपी: ठीक है सिंधु। सौभाग्य से मे कार्यालय मे ही था और सभी मीटिंग्स लंच के बाद ही थी। डीपी सिंह अननु के तरफ देखते हैं और कहते हैं, डीपी: जैसा की अपने कहा था यह कचरे का पहाड़ है। लेकिन क्या आप जानते हैं की यह कचरा वह ही कचरा है जो आप फेंक देते हैं और एमसीडी की गाड़ी उसे ले के जाती है। अननु: ऐसा है क्या? लेकिन ये पहाड़... डीपी: बताता हूँ, ध्यान्न से सुनो। हम घर या अनय जघो पर जो कचरा उत्पन्न करते हैं , उसे दो श्रेणियों मे बता जाता है।म्सूखा कचरा और गीला कचरा। गीले कचरे मिस्टर पका और कच्चा भोजन, फलों और फूलों का कचरा , गिरे हुए पत्ते आदि शामिल हैं। दूसरी और प्लास्टिक, रबर, धातु, चमड़ा, कपड़े के चीथड़े, तार, काँच आदि सूखे कचरे की श्रेणियों मे आते हैं। घरेलू कचरे के एक और श्रेणी है, घेरलु खतरनाक कूड़ा जिसमे पैंट, , सफाई के सामान, सोलवेंट, कीटनाशक, चेमिकल्स, दवाइयाँ, सुइयां, थेरमामिटर, कॉस्मेटिक्स आदि शामिल हैं। अननु: हाँ सिर, हमारे स्कूल मे भी मेडम ने बताया था। लेकिन इतने विस्तार से नहीं । कृपया मुझे और बताए। डीपी: हाँ, क्यों नहीं। अभी तो कचरे का सफर शुरू ही हुआ है। लेकिन समस्या यह है की दिल्ली मे स्टीथ तीनों लैंडफ़िल अपने क्षमता से अधिक भर चुके हैं और एस लिए एक बड़े पहाड़ का रूप ले रहे है। हम सब का प्रयास हे की हम एस पहाड़ को कम करे। अननु: वो कैसे सर? डीपी: घर के कचरे को घर पर ही गीले और सूखे मए अलग अलग कर दे। सूखा तो रीसाइकल हो जाता हाई और गीला कचरे से खाद और बिजली बनती है। सरकार द्वारा स्थापित अपसीष्ट प्रभन्धन नियम 2016 है जिसका पालन सभी को करना होता है। हमारे घरो से कचरा घर के नजदीक मे स्थित कॉम्पैक्टर मे आता है। यहाँ गीले कूड़े मे से सूखा कूड़ा अलग करके डाला जाता है। सूखे कूड़े को रिसाइक्लिंग के लिए भेज देते हैं , और गीला कूड़ा आगे की प्रक्रिया के लिए प्लांट मे भेज देते हैं। प्लांट मे फिर इस कचरे को प्रोसैस करके इसका कुछ हिस्सा खाद बन जाता है और प्रिकरिया के दौरान ऊर्जा उत्पन्न होती है जिससे बिजली बनाई जाती है, यही कारण है की एस प्लांट को डबल्यू॰टी॰ई॰ कहा जाता है यानि वेस्ट टु एनर्जि। अननु: अररे वह....फिर तो यह कचरे का नहीं दौलत का पहाड़ है। कचरा बेकार है जब तक घर मे है लिकिन अगर ठीक से अलग अलग होकर प्लांट तक पाहुच जाये तो बहुत काम की चीज़ है। मे तो आज से ही मम्मी से कहूँगी की घर मए गीले और सूके को अकग अलग करके ही मुनीकीपले की गाड़ी वाले को दे। डीपी: एक दम सही बात। अननु: थैंक यू सर। अपने तो आज मेरा कचरे को देखने का नज़रिया ही बदल दिया। पापा: वास्तव मे, डीपी। आज तो मुझे भी कई नयी बातों की जानकारी मिली है। थैंक यू । और पिता और फिर पिता और बेटी अपनी मौसी के घर को चल देते है। You May Also like Read the Next Article