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दिवाली का दिन था बिट्टू और मुन्नी दोनों बहुत ही खुश थे, और थोड़े उतावले भी। दोनों को घर में पूजा ख़तम होने का इंतज़ार था, क्यूंकि पूजा ख़तम होने के बाद ही बिट्टू अपने पटाखे जला सकता था।
दिवाली का दिन था बिट्टू और मुन्नी दोनों बहुत ही खुश थे, और थोड़े उतावले भी। दोनों को घर में पूजा ख़तम होने का इंतज़ार था, क्यूंकि पूजा ख़तम होने के बाद ही बिट्टू अपने पटाखे जला सकता था।