जंगल की कहानी : मच्छर का घमंड जंगल की कहानी : मच्छर का घमंड: - एक तालाब के किनारे एक हाथी आराम कर रहा था। उसके विशाल पीठ पर कई पक्षियां बैठी चहचाहा रही थी। तभी पास की झाड़ी से एक बड़ा सा काला मच्छर अपने दल बल के साथ उड़ता हुआ हाथी के सर पर जा बैठा। By Lotpot 10 Oct 2023 | Updated On 12 Oct 2023 17:33 IST in Jungle Stories Moral Stories New Update जंगल की कहानी : मच्छर का घमंड: - एक तालाब के किनारे एक हाथी आराम कर रहा था। उसके विशाल पीठ पर कई पक्षियां बैठी चहचाहा रही थी। तभी पास की झाड़ी से एक बड़ा सा काला मच्छर अपने दल बल के साथ उड़ता हुआ हाथी के सर पर जा बैठा। वो मच्छरों का राजा था, उसने देखा कि पक्षियां हाथी की पीठ पर खुशी से चहक रही है तो उसने सोचा क्यों ना वो भी हाथी के विशाल शरीर पर अपना डेरा जमा ले? और वो हाथी की पीठ पर बैठ गया। अचानक उसके मन में विचार आया कि अगर वो हाथी के सूप जैसे बड़े कान में अपना महल बना ले तो मजे में रह सकता है। लेकिन फिर उसने सोचा कि वह एक राजा मच्छर है, उसे बताना होगा कि हाथी के कान में महल बनाकर वो उसपर कितना उपकार कर रहा है। मच्छर ने हाथी को आवाज लगाई, "अरे ओ हाथी, तुझे जानकर गर्व होगा कि मैं, यानी मच्छरों का राजा तेरे कान में अपना महल बनाने का फैसला कर चुका है। अब तू अपना सूंड उठाकर मुझे सलाम कर और धन्यवाद दे।" लेकिन हाथी ने मच्छर की बातों का कोई उत्तर नहीं दिया। मच्छर को बड़ा गुस्सा आया, घमंड के कारण बार-बार वो अपनी बात दोहराता रहा लेकिन हाथी टस से मस नहीं हुआ। तब मच्छर ने तय किया कि वो हाथी के कान में ही रहकर एक दिन उसे सबक सिखाएगा और वो हाथी के कान में रहने लगा। वो हर रोज हाथी के सर पर सवार रहता, और उसे अपने राजा होने का एहसास दिलाता, लेकिन हाथी ने कभी इसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। आखिर एक दिन मच्छर को बहुत ज्यादा गुस्सा आया, उसने हाथी के कान पर जोर से चिकोटी काटते हुए चींख कर कहा, "मुझ जैसे राजा की बातों का जवाब ना देने का क्या नतीजा निकलता है यह आज मैं तुझे बताता हूँ।" इस बार हाथी को थोड़ी गुदगुदी हुई तो उसने अपने कानों को झटक दिया। मच्छर धड़ाम से गिर पड़ा। गुस्से में लाल होते हुए वो उठा और दोबारा हाथी के कान में घुसकर चिल्लाने लगा, "अरे ओ हाथी, तुम्हारी यह हिम्मत, मैं मच्छरों का राजा हूँ, मैंने तुम्हारे कान में अपना घर बना कर तुम्हारा मान बढ़ाया और तुमने मुझे गिरा दिया?" हाथी को इस बार मच्छर की आवाज सुनाई दे गई तो वो बोला, "माफ करना मच्छर राजा, मुझे तो पता भी नहीं था कि तुम मेरे कान में रहते हो, मुझे तुम्हारी आवाज कभी सुनाई नहीं दी। यह तो अच्छा हुआ कि आज मैंने धीरे से अपने कानों को हिलाया, अगर कही जोर से झटकाया होता तो तुम्हारा तो कचूमर ही निकल जाता।" यह सुनकर मच्छर का सारा घमंड उतर गया और वो अपनी जान बचाकर भाग निकला। सीख : इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है घमंड में आकर कभी किसी को अपनी औकात नहीं भूलनी चाहिए। -सुलेना मजुमदार अरोरा बाल कहानी : जाॅनी और परी बाल कहानी : मूर्खता की सजा बाल कहानी : दूध का दूध और पानी का पानी Like us : Facebook Page #Best Hindi Kahani #Hindi Kahani #जंगल की कहानी You May Also like Read the Next Article