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दीपिका पादुकोण की कविता : ऐसा नहीं है कि सिर्फ बड़ी उम्र वाले ही अच्छी कहानी या कविता लिख सकते हैं। बच्चे अगर ठान लें तो अपनी कल्पनाओं की उड़ान से अच्छे अच्छे कवि और लेखक को चकित कर सकते हैं। बॉलीवुड की सुपर स्टार दीपिका पादुकोण भी ऐसी ही बच्ची थी। पढ़ाई लिखाई में होशियार होने के साथ साथ वे हर वक्त कुछ नया करने का प्रयास किया करती थी, चाहे वह बैडमिंटन के खेल में हो, चाहे बायो केमिस्ट्री के लैब में हो या कविता लेखन में हो। जब दीपिका केवल बारह वर्ष की बच्ची थी और सातवीं कक्षा में पढ़ती थी तो उन्हें 'आई एम' (I am) इन दो शब्दों पर कविता लिखने को दिया गया था और नन्ही दीपिका ने अपने नोट बुक के पन्ने पर दिल की भावना और कल्पनाओं को बहुत ही खूबसूरती से व्यक्त किया जिसे पढ़कर उनके टीचर्स और क्लास के सहपाठी लोग भी अवाक रह गए। यह कविता हर बच्चे को प्रेरित करता है कि उम्र कोई भी हो, अगर आप कुछ नया और सुंदर काम करना चाहते हैं तो किसी भी फ़ील्ड में जरूर आगे बढ़ते रहेंगे, जिस तरह बारह साल की उम्र में कविता लिखने वाली दीपिका ने अपनी प्रतिभा से भारत का नाम रौशन किया है ।
जरा देखिए, उस नन्ही दीपिका ने कविता के रूप में क्या लिखा था ?
# मैं प्यार और देखभाल से विकसित एक बालिका हूँ। मैं आश्चर्य में हूँ कि तारे कितनी दूर तक पहुँच सकते हैं। मुझे लहरों की तूफानी वेग सुनाई दे रही है, मैं गहरे नीले समुन्दर को देख रही हूँ। मैं ईश्वर की सबसे प्यारी संतान होना चाहती हूं, मैं प्यार और देखभाल से विकसित एक बालिका हूँ। मैं स्वयं को एक खिलती हुई कली महसूस करती हूं, मैं ईश्वर के सुखदायक छुअन को मसहूस कर पा रही हूँ, मैं दूर के पहाड़ों को भी छू रही हूँ, मुझे सबका इतना प्रेम पाकर व्याकुलता होती है, मैं उन सबके लिए रोती हूँ जिन्हें ईश्वर की कृपा की बहुत जरूरत है। मैं प्यार और देखभाल से विकसित एक बालिका हूँ। मैं जानती हूं कि एक ना एक दिन जिंदगी खत्म हो जाती है। मेरे विचार में हमें बहुत मेहनत करनी चाहिए। मैं वही सपने बुनती हूँ जो मुझे बुनना चाहिए। मैं अपना सर्वश्रेष्ठ करने का प्रयास करती हूँ। मैं आशा करती हूँ कि मैं हमेशा सर्वश्रेष्ठ का हकदार बनूँ। मैं प्यार और देखभाल से विकसित एक बालिका हूँ।"