चरण स्पर्श से क्या मिलता है?

भारतीय संस्कृति में बड़ों के पैर छूना, शुभ संस्कार, विनम्रता और सम्मान का प्रतीक है। हिंदु संस्कार में इस परंपरा को 'प्रणाम' या 'चरण स्पर्श' कहा जाता है। यह भारतीय जीवन शैली में गहराई से जुड़ी हुई है और अक्सर किसी बुजुर्ग या ज्ञानी गुणी व्यक्ति से मिलते समय ज्यादातर हिंदु भारतीय उनके पैर छूते हैं। इस संस्कार के कई सांस्कृतिक और स्वास्थ्य लाभ है।

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What do you get from step touch?

भारतीय संस्कृति में बड़ों के पैर छूना, शुभ संस्कार, विनम्रता और सम्मान का प्रतीक है। हिंदु संस्कार में इस परंपरा को 'प्रणाम' या 'चरण स्पर्श' कहा जाता है। यह भारतीय जीवन शैली में गहराई से जुड़ी हुई है और अक्सर किसी बुजुर्ग या ज्ञानी गुणी व्यक्ति से मिलते समय ज्यादातर हिंदु भारतीय उनके पैर छूते हैं। इस संस्कार के कई सांस्कृतिक और स्वास्थ्य लाभ है।

भारतीय संस्कृति में बड़ों के पैर छूना आदर, सम्मान और समर्पण का भाव दिखाता है। ऐसा माना जाता है कि बड़ों के पैर छूने से उनका आशिर्वाद और मार्गदर्शन प्राप्त होता है। यह प्रथा विशेष रूप से हिंदू धर्म में प्रचलित है, जहाँ इसे गुरुजन या आध्यात्मिक शिक्षक के प्रति श्रद्धा दिखाने के रूप में देखा जाता है।

बड़ों के पैर छूना उनके ज्ञान और अनुभव को मान देने का एक तरीका है। पैर पर झुकना अर्थात बड़ों का आशिर्वाद और मार्गदर्शन प्राप्त करके उनसे कुछ सीखने की इच्छा जताना होता है।

आइए अब जानते है पैर छूने या चरण स्पर्श करने के पीछे के कुछ वैज्ञानिक कारण। वैज्ञानिकों के अनुसार प्रत्येक मानव शरीर में बिजली की नेगेटिव और पॉजिटिव धाराएं होती है। शरीर के बाएं भाग में नेगेटिव धाराएं होती है जबकि शरीर के दाहिने भाग में पॉजिटिव धाराएं होती हैं। यह दोनों धाराएं मिलकर एक सर्किट का निर्माण करते हैं। यह सब जानते है कि मानव के मस्तिष्क में जो नसें होती है वो सर से पाँव की उंगलियों तक जाती है इसलिए जब हम अपनी उंगलियों को बड़ों के पैरों पर स्पर्श करते हैं तो एक सर्किट जैसा बन जाता है और एक पॉज़िटिव ऊर्जा का संचार होता है जिससे दो शरीर और दो आत्माओं के बीच बॉन्डिंग बन जाता है। उधर जब बड़े बुजुर्ग हमारे सर पर हाथ रख कर हमें आशिर्वाद देते हैं तो दोनों शरीरों में ऊर्जा के प्रभाव का आदान प्रदान होता है और तब एक पॉज़िटिव एनर्जी का चक्र शुरू हो जाता है। जब छोटे अपने बड़े बुजुर्गो का चरण स्पर्श करते है तो बड़ो का मन खुशी से गद गद हो जाता है जिसके कारण उनके हृदय और मष्तिष्क में कॉस्मिक यानी ब्रह्मांड एनर्जी का संचार होता है जहां बुजुर्ग व्यक्ति दान करने वाले बन जाते है और चरण छूने वाले प्राप्त कर्ता बन जाते है। ऐसे में चरण स्पर्श करने वाले को आशिर्वाद का फल जरूर मिलता है। इसलिए जब भी अवसर मिले हमें अपने माता पिता, बड़े बुजुर्ग, शिक्षक, गुरु, ज्ञानी, गुणी सबको झुक कर चरण स्पर्श जरूर करना चाहिए।

झुकने और पैर छूने की प्रक्रिया का सांस्कृतिक और ब्रह्मांडीय, लौकिक महत्व के साथ ही यह व्यायाम का भी एक रूप प्रस्तुत करता है जो शरीर को लचीला और गतिशील बनाने में मदद कर सकता है तथा पैरों और पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करने में भी मदद कर सकता है। इसके अलावा झुकने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है, सिर में रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है, जो मस्तिष्क को कई बीमारियों से कुछ हद तक बचाव कर सकता है।

हमारे शास्त्रों में लिखा है

अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धरोपसेविनः ।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो
(मनुस्मृति)
"चत्वारि सम्यग्वर्धन्ते आयुः प्रज्ञा यशो बलम् ॥
भविष्यपुराण, ब्राह्म०४१५०)
"चत्वारि सम्प्रवर्धन्ते कीर्तिरायुर्यशो बलम ॥
(महाभारत, उद्योग०३९ । ७४)

★सुलेना मजुमदार अरोरा ★