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21 जून को विश्वभर में ज्यादातर जगहों पर योग दिवस मनाया जाता है। दरअसल हमारे देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी ने 27 नवंबर 2014 को, संयुक्त महासभा में, दुनियाभर में योग दिवस मनाने की पहल की थी और उनके इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने स्वीकार करते हुए प्रस्ताव को पारित कर दिया और फिर 21 जून 2015 को पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया और उस दिन से हर साल 21 जून को योग दिवस मनाया जाता रहा। योग भारत की प्राचीन परंपरा है। वो शरीर और दिमाग के स्वास्थ्य को बनाए रखने का एक अनूठा अभ्यास है।
ये सिर्फ व्यायाम के बारे में नहीं बल्कि अपने अंदर एक शक्ति, एकता, ऊर्जा और शांति प्रदान करने का अभ्यास है। योग शरीर को बहुत फायदा पहुंचाता है। योग से तन मन और जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है जिससे शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक बीमारियां दूर होती है। बच्चों को अक्सर पढ़ाई और कई अन्य टेंशन और प्रेशर रहता है लेकिन प्रतिदिन किसी अच्छे योगाचार्य से योग करने पर ये परेशानियां कन्ट्रोल में रहता है। मुंबई के प्रसिद्ध योग गुरु, 'शिव' के अनुसार योग दरअसल आता है महर्षी पतंजली के अष्टांग योग से, जैसे यम, नियम, आसन, प्राणायाम , प्रत्यहार, धारणा, ध्यान, समाधि। उनके योग केंद्र में अष्टांग योग पर आधारित कॉर्पोरेट योग, योग काउंसिलिंग, ऑफिस योग, पर्सनल योग, ग्रुप योग और ऑइलमेंट बेस्ड योगाभ्यास तथा थेरेपी होती है। योगाचार्य शिव के अनुसार योग सिर्फ कोई आसन या प्राणायाम ही नहीं बल्कि ये एक जीवन नियम है।
योग को चाहे आप घर में करें या घर के बाहर करें, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन योग हमेशा शुद्ध वातावरण में करना चाहिए। योग एक ऐसा व्यायाम है जिसे करने के लिए किसी महंगे टूल्स की जरूरत नहीं होती लेकिन एक योगाचार्य की देख रेख में ही योगाभ्यास करना जरूरी है चाहे वो निशुल्क योग शिविरों में योगाभ्यास हो, या फीस देकर। बच्चों और बड़ो के लिए योग अलग अलग नहीं होता, लगभग एक जैसा ही होता है लेकिन प्रैक्टिस की तीव्रता अलग अलग होती है, जो सीखने वाले की कपैसिटी पर आधारित होती है।
योगाचार्य शिव के अनुसार योगासनों में अगर कोई एक आसन सबसे ज्यादा लाभकारी है और सबको करना चाहिए वो है मत्स्यद्र आसन। यह रीढ़ की हड्डी, को इस तरह से मोड़ता है जिससे आपके पेट, गुर्दे, आंत, झिल्ली सब स्वस्थ रहता है। यह आसन कोई भी इंसान रोज कर सकता है।
इस वर्ष अंतराष्ट्रीय योग दिवस का थीम योगा फॉर ह्यूमैनिटी यानी मानवता के लिए योग रखा गया था ।
-सुलेना मजुमदार अरोरा