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हर इंसान के जीवन में उनकी माँ उनकी सबसे प्रथम गुरु होती है। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की माताजी, हीराबा भी मोदी जी की सर्वप्रथम गुरु रहीं । उन्होंने ही अपने बेटे श्री नरेंद्र मोदी जी को सादा जीवन जीने और कोई गलत काम ना करने की सीख दी थी। वे हमेशा एक ही मंत्र उनके कानों में डालती थी, , "काम करो बुद्धी से, जीवन जियो शुद्धि से।" प्रधानमंत्री मोदी जी ने अपनी माता जी को प्रेरणा की मूर्ति बताते हुए कहा, " मां से मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की है, जिसमें एक तपस्वी की यात्रा, निष्काम कर्मयोगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहा है।"
हीरा बा का जन्म गुजरात के मेहसाणा के विसनगर स्थित पालनपुर में हुआ था। जब वे बहुत छोटी थी तभी उनकी माताजी का निधन हो गया था। बहुत कष्ट, संघर्ष और गरीबी को झेलते हुए वे बड़ी हुई थी लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी।
वे बेहद अभावों के चलते खुद पढ़ लिख नहीं पाई लेकिन जब बात उनके बच्चों की शिक्षा की उठी तो उन्होंने गरीबी को अपने बच्चों की शिक्षा के आड़े नहीं आने दिया। खुद मोदी जी ने बताया कि उनका बचपन बहुत गरीबी में बीती थी। पिता जी चाय की दुकान चलाते थे और माँ पूरा घर और बच्चों को संभालती थी और बच्चों की पढ़ाई के लिए फीस भर सके इसलिए कई घरों में जाकर बर्तन मांझती थी और दूर दूर से पानी ढोकर लाने का काम भी करती थी, साथ ही चरखा चलाती थी। हीरा बा अपने पूरे परिवार के साथ एक आठ बाई दस स्क्वायर फिट के कमरे में रहती थी जिसमें कोई खिड़की नहीं थी तथा छत और दीवारें मिट्टी और खपरैल की थी। मिट्टी के चूल्हे में खाना बनाती थी तो धुएँ से घर भर जाता था।
जीवन भर उन्होंने कोई सोने चांदी के गहने नहीं पहने, महँगी साड़ी नहीं खरीदी। हीरा बा के असीम धैर्य, कर्मठता, जुझारू प्रवृत्ति, आत्मविश्वास और शुद्ध जीवन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन और व्यक्तित्व को आकार दिया। हीराबा अपने घर और घर के बाहर भी बेहद साफ़ सफाई रखना पसंद करती थी। सब काम खुद करती थी। बारिश से पहले छत पर खुद चढ़कर खपरैल ठीक करती थी, फिर भी जब बारिश में छत टपकता तो वे बर्तनों में उस पानी को इकट्ठा करके घर के काम में इस्तमाल करती थी। वे अपने हाथों से बने रीसाइक्ल्ड चीजों से घर की दीवारें रंगती और सजाती थी। हीराबा पशु पक्षियों से बहुत प्यार करती थी और चिडियों को रोज दाना पानी, गाय को रोटी और सड़क के कुत्ते बिल्लियों को खाना जरूर देती थी।
यही सब गुण और संस्कार उनके सुपुत्र और भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी में भी है। श्री मोदी जी ने कहा, "मेरी माँ जितनी समान्य थी उतनी ही असाधारण भी थी। वे स्वभाव से बेहद एडजस्टेबल थी। ठीक वैसे ही जैसे हर माँ होती है। मां, यह सिर्फ एक शब्द नहीं हैं। जीवन की ये वो भावनाएँ होती है जिसमें, स्नेह, विश्वास और भी बहुत कुछ समाया हुआ है। दुनिया का कोई भी कोना हो, कोई भी देश हो, हर संतान के मन में सबसे अनमोल स्नेह मां के लिए होता है।
मां सिर्फ हमारा शरीर ही नहीं गढ़ती बल्कि हमारा मन, हमारा व्यक्तित्व, हमारा आत्मविश्वास भी गढ़ती है और अपनी संतान के लिए ऐसा करते हुए खुद को खपा देती है खुद को भुला देती है। मां की तपस्या, उसकी संतान को सही इंसान बनाती है। माँकी ममता उसकी संतान को मानवीय सम्वेदनाओं से भरती है। माँ एक व्यक्ति नहीं एक व्यक्तिव है। हमारे यहां कहते हैं, जैसा भक्त वैसा भगवान, वैसे भी अपने मन के भाव के अनुसार हम बाकी स्वरूप को अनुभव कर सकते हैं।"
★सुलेना मजुमदार अरोरा★