जब बिजनेस टाइकून Ratan Tata ने बताई अपनी सबसे बड़ी खुशी भारतीय बिजनेस टाइकून रतन टाटा (Ratan Tata) अपने सफल करियर और खुले हाथों से परोपकार करने के लिए जाने जाते हैं। एक बार उनसे एक रेडिओ इंटरव्यू के दौरान पूछा गया कि उनके जीवन में सबसे ज्यादा खुशी देने वाले पल कौन से थे? By Lotpot 12 Apr 2023 | Updated On 12 Apr 2023 07:25 IST in Stories Lotpot Personality New Update भारतीय बिजनेस टाइकून रतन टाटा (Ratan Tata) अपने सफल करियर और खुले हाथों से परोपकार करने के लिए जाने जाते हैं। एक बार उनसे एक रेडिओ इंटरव्यू के दौरान पूछा गया कि उनके जीवन में सबसे ज्यादा खुशी देने वाले पल कौन से थे? तब विश्व के इस बिलियनर ने अपने जीवन की वो घटना सुनाई जो आज करोड़ो धनवान और सामान्य इंसान के लिए एक प्रेरणास्रोत है। जब पत्रकार ने उनसे पूछा, "सर, आपको अपने जीवन में सबसे ज्यादा खुशी देने वाली घटना कौन सी लगती है ? रतनजी टाटा ने कहा," मेरे जीवन में ऐसी चार घटनाएं हुई जब मैंने खुशी पायी लेकिन सच्ची खुशी क्या होती है वो एक दिल छूने वाली घटना से मुझे समझ में आया। जब मैं युवा था तो मैंने धन कमाने और उसे बचाने को लेकर मेहनत करना शुरू किया और वो दिन भी आया जब मैं इसमें सफल हो गया। लेकिन मैंने यह महसूस किया कि मुझे वो खुशी नहीं मिली जिसकी मैं उम्मीद कर रहा था। फिर मैंने अपने बचाए धन से कीमती सामान और जरूरी वस्तुएं इक्ट्ठा करना शुरू किया, लेकिन वो खुशी भी बहुत थोड़े दिनों के लिए थी। फिर मुझे एक बड़ा प्रोजेक्ट मिला जिसके तहत भारत और अफ्रीका में मेरे पास 95% डीजल की आपूर्ति थी। मैं भारत और एशिया की सबसे बड़ी स्टील फैक्ट्री का भी मालिक बन गया था लेकिन आश्चर्य की बात यह थी कि यहां भी मुझे वह खुशी नहीं मिली जिसकी मैंने कल्पना की थी। फिर एक दिन मेरे एक मित्र ने मुझे लगभग 200 विकलांग बच्चों के लिए व्हीलचेयर खरीदने के लिए कहा। मैंने तुरंत व्हीलचेयर खरीद कर उन्हे दे दी लेकिन मित्र ने मुझे खुद जाकर अपने हाथों से व्हीलचेयर बच्चों को सौंपने के लिए जोर दिया। मैं तैयार हो गया और उनके साथ चला गया। वहां जाकर मैंने अपने हाथों से उन बच्चों को व्हील चेयर बाँट दी और देखा कि बच्चों की खुशी का ठिकाना नहीं था , वे सब व्हीलचेयर पर बैठकर घूमने और खेलने लगे। यह देखकर मैंने अपने अंदर असली खुशी महसूस की। जब मैं वहां से निकलने लगा तो अचानक एक बच्चा मेरी टाँगों से लिपट गया। उसने कसकर मेरी टांग पकड़ रखी थी और मेरा चेहरा देख रहा था। मैंने झुक कर बड़े प्यार से बच्चे को पूछा, "क्या तुम्हें कुछ और चाहिए?" इस पर बच्चे ने मुझे जो जवाब दिया उसने न केवल मुझे चौंका दिया बल्कि जीवन के प्रति मेरे दृष्टिकोण को भी पूरी तरह से बदल दिया। उस बच्चे ने कहा, "मैं आपका चेहरा याद रखना चाहता हूं ताकि जब मैं आपसे स्वर्ग में मिलूं, तो मैं आपको पहचान सकूं और एक बार फिर से धन्यवाद कर सकूं।" रतन टाटा के जीवन की इस घटना से यह प्रेरणा मिलती है कि किसी की मदद करना सबसे बड़ी खुशी है। ★सुलेना मजुमदार अरोरा ★ You May Also like Read the Next Article