इंदिरा गांधी ने जब राकेश शर्मा से पूछा था कि "ऊपर से हिंदुस्तान कैसा दिखता है" तो ये मिला था जवाब By Lotpot 02 Sep 2021 in Stories Interesting Facts New Update एयरफोर्स पायलट से एस्ट्रोनाॅट बात अप्रैल 1984 की है। तब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) थी। उन्होंने जब अंतरिक्ष में मौजूद राकेश शर्मा से वीडियो काॅलिंग के जरिए पूछा कि ऊपर से हिंदुस्तान कैसा दिखता है, तो स्काॅवर्डन लीडर शर्मा बोलेः मैं बिना किसी हिचक के कह सकता हूँ सारे जहां से अच्छा....। राकेश शर्मा पहले भारतीय थे, जिन्हें अंतरिक्ष में जाने का मौका मिला। उनका जन्म 13 जनवरी 1949 को पंजाब के पटियाला में हुआ था। उन्हें बचपन से ही हवाई जहाजों में दिलचस्पी थी। 1966 में बतौर अफसर उन्होंने इंडियन एयरफोर्स ज्वाॅइन की। 1971 के वाॅर में फाइटर पायलट के रूप में राकेश शर्मा ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। 1984 में उन्हें सोवियत संघ और भारत के ज्वांईट स्पेस प्रोग्राम के लिए चुना गया। 2 अप्रैल 1984 को दो सोवियत एस्ट्रोनाॅट्स के साथ सोयूज टी-11 राकेश शर्मा अंतरिक्ष में गए। वह कुल 7 दिन, 21 घंटे और 40 मिनट अंतरिक्ष में रहे। अंतरिक्ष में जाने से एक साल पहले वह माॅस्को से 70 किमी दूर स्टार सिटी गए थे। यहीं पर अंतरिक्ष-यात्रियों की ट्रेनिंग रूसी भाषा में होनी थी इसलिए वह रोजाना 6-7 घंटे रूसी भाषा सीखते थे और करीब तीन महीने में उन्होंने ठीक-ठाक रूसी सीख ली थी। इसके साथ ही जीरो ग्रैविटी में काम करने की महीनों लंबी ट्रेनिंग भी पूरी की जैसे कि पैर ऊपर और सिर नीचे रखकर सोना, बिना पानी के ब्रश करना आदि। उन्होंने इतिहास रच दिया। हाल में उन पर फिल्म बनाने का ऐलान भी किया गया है। फिल्म का नाम होगा ‘सारे जहाँ से अच्छा’ फिलहाल राकेश शर्मा अलग-अलग संस्थानों में मोटिवेशनल लेक्चर देते हैं। देसी तकनीक से छाए अंतरिक्ष में राकेश शर्मा अंतरिक्ष में रूस की मदद से गए थे लेकिन आप शायद जानते होंगे कि दिसंबर 2021 में भारत पूरी तरह से अपने दम पर अंतरिक्ष में इंसान भेजना चाहता है। इसके लिए प्रोजेक्ट गगनयान पर जोर-शोर से काम चल रहा है। अनुमान है कि इस प्रोजेक्ट पर करीब 10 हजार करोड़ रूपये खर्च होंगे। गगनयान प्रोजेक्ट सफल होने पर इंसान को अंतरिक्ष भेजने वाला भारत चैथा देश बन जाएगा। इससे पइले रूस, अमेरिका और चीन यह काम कर चुके हैं। आप भी बन सकते हैं अगर आप भी तारों भरे आकाश में सैर करना चाहते हैं तो आपको एस्ट्रोनाॅट बनना होगा। हाँ, इसके लिए बड़े होकर आपको मैथ्स, फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलाॅजी, मेडिकल, इंजीनियरिंग या कंप्यूटर साइंस जैसे सब्जेक्ट्स में गै्रजुएशन या मास्टर्स डिग्री (एम एस सी, एक ई) लेनी होगी। अगर प्लेन उड़ाने का एक हजार घंटे या ज्यादा का अनुभव आपके पास होगा, तो भी काम बन जाएगा। साथ ही, अंतरिक्ष-यात्री बनने के लिए फिजिकली और मंेंटली फिट होना बहुत जरूरी है। हेल्थ, फिटनेस, मेंटल, लेवल, दिमागी कुशलता आदि के लिए कई लेवल पर टेस्ट होते हैं। अगर आप इन सबमें पास हो गए और आपका चयन बतौर एस्ट्रोनाॅट हो गया तो करीब 2-3 लंबी ट्रेनिंग लेनी होगी। इसमें प्रेशरसूट पहनने, लाॅचिंग के वक्त पैदा होने वाले भीषण शारीरिक दबाव को सहने, अंतरिक्ष स्टेशन में रूटीन के काम करना, अंतरिक्ष की मरम्मत आदि सिखाया जाता है तो फिर देर किस बात की, तैयारी शुरू की जाए। #facts #Indira Gandhi #Rakesh Sharma You May Also like Read the Next Article