जब स्वामी विवेकानंद को उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस ने शांत किया स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस भारतीय इतिहास में सबसे ज्यादा सम्माननीय, पूजनीय और विश्वसनीय व्यक्तित्व में से थे। उनके दर्शन और शिक्षाएं दुनिया भर में करोड़ों लोगों को प्रेरित करती है। By Lotpot 12 Jun 2023 in Stories Moral Stories New Update स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस भारतीय इतिहास में सबसे ज्यादा सम्माननीय, पूजनीय और विश्वसनीय व्यक्तित्व में से थे। उनके दर्शन और शिक्षाएं दुनिया भर में करोड़ों लोगों को प्रेरित करती है। रामकृष्ण परमहंस का जन्म 1836 में पश्चिम बंगाल के एक छोटे से गांव में हुआ था। वे एक रहस्यवादी और आध्यात्मिक महापुरुष थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन परमात्मा की खोज में बिताया। उनका मानना था कि सभी धर्म एक ही परम सत्य की ओर ले जाते हैं। स्वामी विवेकानंद का जन्म 1863 में कोलकाता में हुआ था। वे रामकृष्ण के शिष्य थे और अपने समय के सबसे प्रमुख आध्यात्मिक नेताओं में से एक थे। वे एक महान वक्ता और लेखक भी थे, और वेदांत और योग पर उनकी शिक्षाओं का दुनिया पर गहरा प्रभाव पड़ा है। अपने गुरु रामकृष्ण की तरह वे भी सभी धर्मों की एकता में विश्वास करते थे और आपसी सद्भाव और समझ को बढ़ावा देने के लिए अथक प्रयास करते थे। रामकृष्ण और विवेकानंद का रिश्ता बड़ा ही अनोखा था। रामकृष्ण गुरु थे और विवेकानंद उनके शिष्य, लेकिन उनका रिश्ता इससे कहीं बढ़कर था। विवेकानंद रामकृष्ण की शिक्षाओं और अनुभवों से गहराई से प्रभावित थे। दूसरी ओर, रामकृष्ण ने भी विवेकानंद को एक महान आध्यात्मिक नेता के रूप में देखा, जो उनकी विरासत को आगे बढ़ाने के योग्य थे। वेदांत, योग और सभी धर्मों की एकता पर रामकृष्ण परमहंस तथा स्वामी विवेकानंद की शिक्षा का दुनिया पर गहरा प्रभाव पड़ा है। स्वामी विवेकानंद अपने जीवन में हर चीज के बारे में हमेशा जिज्ञासु रहते थे। एक दिन, स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस से पूछा कि जीवन इतना जटिल क्यों हो गया है और वे खुद को हमेशा दुखी क्यों महसूस करते हैं। रामकृष्ण ने उत्तर दिया कि जीवन का बहुत अधिक विश्लेषण करना इसे जटिल बना सकता है, और बहुत अधिक चिंता करना आपको दुखी कर सकता है। स्वामी विवेकानंद ने यह भी पूछा कि अच्छे लोग ही अक्सर क्यों पीड़ित होते हैं। रामकृष्ण ने समझाया कि कठिन समय से गुजरने के बाद ही लोग मजबूत बनते हैंऔर उन्हे बेहतर बनने में मदद मिल सकती है, ठीक वैसे ही जैसे हीरे को पॉलिश करने के लिए घर्षण की आवश्यकता होती है और सोने को आग में तपने की जरूरत होती है। स्वामी विवेकानंद यह भी जानना चाहते थे कि कठिन समय में वे कैसे प्रेरित रह सकते हैं। रामकृष्ण ने उन्हें सलाह दी कि वे इस बात पर ध्यान केंद्रित करें कि वह कितनी दूर तक आगे बढ़े हैं, बजाय इसके कि उन्हें कितनी दूर जाना है, और जो उनके पास नहीं है, उस पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय जो उनके पास है, उसके लिए आभारी रहें। अंत में, स्वामी विवेकानंद ने पूछा कि कभी-कभी उनकी प्रार्थना अनुत्तरित क्यों रह जाती है, यानी ईश्वर उनकी प्रार्थना नहीं सुनते। इसपर रामकृष्ण ने उन्हें आश्वासन दिया कि सभी प्रार्थनाओं का किसी न किसी रूप में उत्तर दिया जाता है, और जीवन के रहस्यों से डरने के बजाय उन पर भरोसा करना चाहिए। रामकृष्ण ने स्वामी विवेकानंद को वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करने, विश्वास रखने और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ जीवन जीने की शिक्षा दी। #स्वामी विवेकानंद You May Also like Read the Next Article