जब उस एक मुलाकात ने अब्दुल की जिंदगी बदल दी

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When that one meeting changed Abdul's life

चेन्नई के समुद्र किनारे अब्दुल नाम का एक युवक हमेशा घूमने आता था। वह विज्ञान का छात्र था, इसलिए उसने हर चीज को तार्किक, व्यावहारिक और प्रयोगात्मक रूप से लिया। काफी समय से उसने एक आदमी को धोती और शॉल पहने, समुद्र के किनारे बैठे भगवद गीता का पाठ करते देखा। एक दिन जिज्ञासावश अब्दुल उसके पास जाकर खड़ा हो गया।

जब उस सज्जन ने भागवत पाठ समाप्त किया, तो अब्दुल ने उनसे पूछा, "आप एक आधुनिक और शिक्षित व्यक्ति प्रतीत होते हैं, लेकिन आज के वैज्ञानिक युग में, आप अभी भी ऐसी किताबें पढ़ते हैं?" .सज्जन ने मुड़कर अब्दुल की तरफ देखा, लेकिन अब्दुल ने अपनी बात जारी रखी और कहा, "देखिए , हम चाँद पर पहुँच गए हैं, विज्ञान ने कितनी प्रगति की है और आप अभी भी गीता, रामायण में अटके है? "

यह सुनकर सज्जन ने बड़ी गंभीरता से अब्दुल से पूछा, "तुम गीता के बारे में कितना जानते हो?" इस सवाल को इग्नोर करते हुए अब्दुल ने आगे कहा, "इन किताबों को पढ़कर क्या मिलेगा? मैं यह सब इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि मैं एक विज्ञान स्नातक हूँ और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र नामक विश्व प्रसिद्ध विज्ञान संस्थान में कैरियर बनाने आया हूँ।"

यह सुनकर सज्जन धीरे से हँसे लेकिन कुछ नहीं बोले। इसी बीच उनकी कार आ गई, जिसमें से कई कमांडो उतरे और सज्जन को सैल्यूट कर के कार का दरवाजा खोलकर एक तरफ खड़े हो गए। सज्जन कार में बैठे  मुस्कुरा रहे थे। जैसे ही कार धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी, अब्दुल को सज्जन की मुस्कान में छुपा हुआ कुछ रहस्य महसूस हुआ।

वह हैरान था कि वह आदमी कौन है और इतने कमांडो उन्हें लेने रोज क्यों आते हैं। अब्दुल अपने को रोक नहीं पाया, वह तेजी से दौड़ा और कार की खिड़की के पास पंहुच के सज्जन से पूछा, "सर, क्या मैं जान सकता हूं, आप कौन हैं?" उस व्यक्ति ने शांत स्वर में उत्तर दिया, "मैं विक्रम साराभाई, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र का अध्यक्ष हूँ।" अब्दुल अवाक खड़ा रह गया और कार चली गई।

क्या आप जानते हैं वह युवा लड़का अब्दुल कौन था? वह बाद में भारत के 11वें राष्ट्रपति ए. पी. जे. अब्दुल कलाम बने। उस घटना के बाद अब्दुल कलाम ने भगवत गीता, रामायण, महाभारत और कई अन्य पुस्तकें पढ़ीं। गीता पढ़कर उन्होंने मांस-मछली खाना छोड़ दिया और शाकाहारी बन गए। बाद में उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा, "गीता एक विज्ञान है..गीता, महाभारत, रामायण, भारत की अपनी सांस्कृतिक विरासत की गौरवशाली खोज हैं।"

सुलेना मजुमदार अरोड़ा