बच्चों की बिगड़ती आदतों के पीछे कौन है जिम्मेदार?

एक ज़माना था जब बच्चों के स्कूल बैग में सिर्फ किताबें, कॉपिंयाँ, जिओमेट्री बॉक्स, पेन, पेन्सिल, लंच बॉक्स होते थे, जिसे उनके पैरेंट्स या टीचर्स कभी भी खोल कर चेक कर सकते थे। लेकिन आज के जमाने में स्कूल जाने वाले बच्चों के बैग में छुपी होती है ऐसी ऐसी वस्तुएँ जो उनकी सोच, आदत और बर्ताव का कच्चा चिट्ठा खोलते हैं।

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Who is responsible for the bad habits of children?

एक ज़माना था जब बच्चों के स्कूल बैग में सिर्फ किताबें, कॉपिंयाँ, जिओमेट्री बॉक्स, पेन, पेन्सिल, लंच बॉक्स होते थे, जिसे उनके पैरेंट्स या टीचर्स कभी भी खोल कर चेक कर सकते थे। लेकिन आज के जमाने में स्कूल जाने वाले बच्चों के बैग में छुपी होती है ऐसी ऐसी वस्तुएँ जो उनकी सोच, आदत और बर्ताव का कच्चा चिट्ठा खोलते हैं।

मासूम से दिखने वाले इन तेरह से अट्ठारह वर्ष के स्कूल जाने वाले किशोर किशोरियों के बैग में आजकल ऐसी वस्तुएँ रहती है जिसे देखकर उनके माता पिता और शिक्षक दंग है। आजकल बच्चों के व्यावहार में भी बहुत बदलाव आ गया हैं। उनकी अपनी एक अलग, छुपी हुई दुनिया है, जहाँ वो अपने पैरेंट्स और टीचर्स को घुसने की इजाजत नहीं देते हैं।

वे अभिभावकों को पुराने ख़यालात के मानते हैं इसलिए उनसे कोई बात शेयर नहीं करते और अपने स्वभाव से मैच करते लोगों से दोस्ती कर लेते हैं। ऐसे में कई बार वे बुरी संगत में फंस कर बिगाड़ जाते हैं। पिछले दिनों बंगलुरु में एक ऐसी घटना हो गई जिससे प्रत्येक माता-पिता और टीचर्स के होश उड़ गये।

हुआ यूँ कि स्कूल में किसी का मोबाईल नहीं मिल रहा था तो सब बच्चों के बैग चेक किया जाने लगा। टीचर यह देखकर हैरान रह गए कि इन बच्चों के बैग में ड्रग्स, शराब, सिगरेट, लाइटर और कुछ ऐसी दवाइयाँ मौजूद थी जो सिर्फ बालिग लोग ही इस्तमाल करते हैं। बंगलुरु की तरह रायपुर में भी एक स्कूली बच्चे को मोबाईल पर अश्लील फिल्म देखने के बाद गंभीर अपराध के जुर्म में पकड़ा गया। हैदराबाद में भी स्कूल के बच्चों के एक ग्रुप द्वारा अश्लील वीडियो शूट करने का मामला सामने आया। सिर्फ यही नहीं, आजकल के बहुत से बच्चे अपने शिक्षक पर झूठे इल्ज़ाम लगाकर उन्हें जेल भेजते भी पाए जाते है। इसके अलावा कई बच्चे अपनी क्लास की लेडी टीचर्स के साथ भी अश्लील छेड़ छाड़ करते देखे गए है। । बच्चों की इन हरकतों और अपराधों से माता पिता और शिक्षक सभी हैरान हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार यह सब डिजिटल दुनिया में आसानी से उपलब्ध एडल्ट शोज़ और अश्लील फ़िल्मों के कारण हो रहा है। टिंडर, डेटिंग ऐप और सोशल मीडिया के जरिए बच्चे गलत तरीके से सेक्स के बारे में सीखते हैं। अक्सर जब कोई बच्चा शराब, सिगरेट या कोई नशीला पदार्थ लेता है तो उसके संगी साथी भी उसका अनुसरण करते हैं।

बच्चों के बिगड़ते आदतों के पीछे जितना डिजीटल एक्सपोज़र जिम्मेदार हैं उतना ही उनका परिवार और समाज भी जिम्मेदार है। कामकाजी माता पिता के पास अब बच्चों के लिए ज्यादा समय नहीं होता है, वहीं समाज में आज भी सेक्स की उचित शिक्षा का कल्चर नहीं है। यह माता-पिता, समाज और शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को प्यार से उचित अनुचित के बीच अन्तर बताकर उनकी उत्सुकता शांत करे और सही राह दिखाए।

★सुलेना मजुमदार अरोरा