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अखबार तो हम सब रोज पढ़ते हैं और कई बार हमारी नजरें अखबार के पन्नों के नीचे या किनारों पर बने रंगीन गोल या विभिन्न आकार की बिन्दियों पर भी जाती होगी लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया होगा कि यह अखबार के लिए कितना महत्वूर्ण हैं। तो देखिए इसका क्या महत्व है।
पुराने ज़माने के अखबार सिर्फ काले और सफेद रंग में छपते थे। लेकिन वक्त के साथ साथ उसमें तरह तरह के रंगीन तस्वीरों, विज्ञापन, छपने लगे। ये तो हम सब जानते है कि सारे रंगो में सबसे महत्वपूर्ण रंग, लाल, नीला और पीला होता है। यही रंगो का मिलान प्रिंटर में भी कुछ अलग रूप में होता है लेकिन उसमें तीन रंगों के साथ काला रंग भी जोड़ दिया गया है। इन रंगो के जो चार आकार वाले बिंदु बनाए जाते है वो CMYK अनुक्रम से बनाए जाते हैं, C का मतलब है सियान, प्रिंटिंग की भाषा में नीले रंग को सियान कहतें है, M का मतलब है मजेंटा यानी गुलाबी, Y का मतलब है येलो और K का मतलब है ब्लैक।
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इन रंगो को सही अनुपात में मिलाकर कोई भी कलर बनाया जा सकता है। जब अखबार में कोई कलर फोटो छपता है तो इन रंगो के प्लेट्स को पन्ने पर उसी जगह, एक कतार में लगाया जाता है। ऑफसेट प्रिंटिंग में कलर्ड इमेज को प्लेट से एक रबर की चादर में ट्रांसफर किया जाता है, उसके बाद प्रिंटिंग सर्फेस में डाला जाता है। एक फुल कलर पेज सही तरीके से प्रिंट करने लिए ऐसा करना जरूरी होता है।
ऐसा करते हुए अगर पन्नों में छपने वाली तस्वीर धुंधली नजर आती हैं तो इसका मतलब है कि ये चार रंग सही तरीके से, एक लाइन में नहीं रखी गई है या वे एक दूसरे के उपर आ गई है। इसका इतना महत्व होने के कारण ही CMYK को रजिस्ट्रेशन मार्क भी कहा जाता है। ये चार रंगीन बिंदुएं यह जाहिर करता है कि अखबार की छपाई सही तरीके से हुई है। इसलिए इन विभिन्न रंगीन बिंदुओं को प्रिंटर मार्कर कहा जाता है।
किताबों में भी ये मार्कर लगाया जाता है लेकिन उसका आकार छोटा होने की वजह से वो कटिंग में कट जाता है।
आज के समय में अखबारों की छपाई बहुत तेज गति से होती है। एक प्रिंटिंग मशीन, एकघंटे में नब्बे हजार अखबार प्रिंट कर सकता है और आज की आधुनिक प्रिंटर तो गलतियां भी तुरंत पकड़ लेती है।