शत्रुंजय पर्वत का तीर्थ क्यों है प्रसिद्ध?

भारत के गुजरात राज्य में, भावनगर से लगभग 50 किलोमीटर दूर दक्षिण पश्चिम में बसे पलिताना शहर के पास शत्रुंजय नदी के किनारे एक सुंद

By Lotpot
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Why is the pilgrimage of Shatrunjaya mountain famous?

भारत के गुजरात राज्य में, भावनगर से लगभग 50 किलोमीटर दूर दक्षिण पश्चिम में बसे पलिताना शहर के पास शत्रुंजय नदी के किनारे एक सुंदर और पवित्र पर्वत है जिसे शत्रुंजय पर्वत के नाम से जाना जाता है। इतिहास में इसे पुंडरिकगिरी के नाम से भी परिचय दिया गया है। यह समुन्दर तल से पचास मीटर ऊपर स्थित है।

पुरातन काल की मान्यता के अनुसार यह गिरनार पर्वत माला का एक भाग है। यह जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण, विशाल और आध्यात्मिक महत्व रखने वाला स्थान है। यहां लगभग़ 865 से अधिक नक्काशीदार, सुंदर , सफेद संगमरमर से तैयार किए गए मंदिर है, प्रत्येक मंदिर एक अलग जैन संत या देवता को समर्पित है। इन मंदिरों की मूर्तिकला पूरी दुनिया में चर्चित है। ग्यारहवीं शताब्दी में निर्मित इन संगमरमर की मूर्तियों पर जब सुबह सुबह सूरज की रोशनी पड़ती है तो हर मंदिर जगमाते हुए एक अद्भुत छठा प्रकट करते हैं।

यह पहाड़ मोक्ष प्राप्ति का घर माना जाता है। यह वो पूजनीय पर्वत स्थल है जहां जैन तीर्थंकरों (आध्यात्मिक नेताओं) ने धर्मोपदेश दिया था। इसकी बेहद खड़ी चढ़ाई है जिसमें लगभग तीन हजार सात सौ पचास पत्थरों की सीढ़ियाँ, पहाड़ में ही उकेर कर बनाई गई है जिसे पार करके तीर्थ यात्री शिखर तक पहुंचते हैं। यह भूमि से पहाड़ की चढ़ाई तक 3.5 किलोमीटर की यात्रा है। शत्रुंजय पर्वत एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है, जिसमें जैन तीर्थयात्री और सभी धर्मों के लोग एक साथ आशीर्वाद और आंतरिक शांति की तलाश में आते हैं। बारिश के मौसम में चार महीने के लिए पहाड़ियों को तीर्थयात्रियों के लिए बंद कर दिया जाता है।

मंदिरों से आच्छादित इन पहाड़ियों के शांतिपूर्ण वातावरण और अकल्पनीय प्राकृतिक सुंदरता तथा प्राचीन मूर्तियों तथा जटिल नक्काशीदार सफेद संगमरमर के मंदिरों के चमत्कार का अद्वितीय अनुभव पाने के लिए तीर्थ यात्री और देश विदेश से पर्यटक यहां आतें रहते हैं। यहां तीर्थ यात्री दो सौ सोलह किलोमीटर, यानी लगभग एक सौ चौंतीस मील की पैदल यात्रा करके शत्रुंजय पर्वत की परिक्रमा करते हैं और प्रार्थना करते हैं। यहां एक विशाल पुस्तकालय भी है जिसमें प्राचीन पांडुलिपियां और अमूल्य ग्रंथ शामिल हैं जो ज्ञान और शिक्षा के स्रोत के रूप में काम करते हैं।

कई लोगों का मानना है कि शत्रुंजय के दर्शन करने से आत्मा शुद्ध हो सकती है। यही कारण है कि इसे जैन धर्म में अपनी आस्था को गंभीरता से लेने वालों के लिए दुनिया के सबसे पवित्र स्थानों में से एक के रूप में देखा जाता है।

★ सुलेना मजुमदार अरोरा ★