प्रेरक कहानी : साधू की सीख प्रेरक कहानी : साधू की सीख :- एक जंगल में एक विशाल नाग रहता था, वो बड़ा गुस्से वाला था और छोटी छोटी बात पर सबको काटने दौड़ता था। इस कारण जंगल के सारे पशु पक्षी उससे दूर रहते थे। एक दिन जब नाग नदी किनारे सो रहा था तो एक बन्दर के बच्चे ने शोर मचाकर उसकी नींद तोड़ दी। नाग की नींद टूट गई तो गुस्से में उसने बन्दर के बच्चे को पकड़ लिया। बन्दर जोर जोर से रोने लगा, तो बन्दर की मां ने नागराज से विनती की कि वो बच्चे को छोड़ दें, लेकिन गुस्से से भरा नाग तैयार नहीं हुआ। By Lotpot 16 Mar 2022 | Updated On 16 Mar 2022 12:55 IST in Stories Moral Stories New Update प्रेरक कहानी : साधू की सीख :- एक जंगल में एक विशाल नाग रहता था, वो बड़ा गुस्से वाला था और छोटी छोटी बात पर सबको काटने दौड़ता था। इस कारण जंगल के सारे पशु पक्षी उससे दूर रहते थे। एक दिन जब नाग नदी किनारे सो रहा था तो एक बन्दर के बच्चे ने शोर मचाकर उसकी नींद तोड़ दी। नाग की नींद टूट गई तो गुस्से में उसने बन्दर के बच्चे को पकड़ लिया। बन्दर जोर जोर से रोने लगा, तो बन्दर की मां ने नागराज से विनती की कि वो बच्चे को छोड़ दें, लेकिन गुस्से से भरा नाग तैयार नहीं हुआ। बन्दर की मां ने रोते हुए सबसे मदद मांगी लेकिन भला उस नाग को कौन समझाता? आखिर बन्दर की माँ ने जंगल के बाहर रहने वाले एक बूढ़े साधू से जाकर सारी बात बताई और कहा, "बाबा, आप मेरे बच्चे को उस नाग के चंगूल से छुड़ा दीजिए।" साधू को दया आ गई, वो नाग के पास पहुंचा और उसे बहुत प्यार से समझाते हुए बोला, "हे नागराज, क्रोध में रहना बहुत बुरी बात है, छोटी छोटी बातों पर किसी को काटना, डसना नहीं चाहिए, वर्ना सब आपसे नफरत करने लगेंगे और आप जीवन भर अकेले रह जाएंगे।" साधू का उपदेश सुनकर नाग बहुत प्रभावित हुआ और उसने कसम खा ली कि अब वो कभी किसी को नहीं काटेगा। उस दिन के बाद से नाग पूरी तरह बदल गया और शांत रहने लगा। लेकिन नाग को शांत देखकर जंगल के सभी जीव जंतुओ की हिम्मत बढ़ गई। सबने उसे छेड़ना शुरू कर दिया। नाग चुप रहा। फिर तो जंगल के सभी प्राणी नाग को गुस्सा दिलाने की कोशिश में लग गए, कोई उसकी पूंछ खींच लेता तो कोई उसपर पंजा मार देता। नाग चुपचाप सब सहता रहा। एक दिन सबने मिलकर नाग की खूब पिटाई कर दी। नाग घायल होकर पड़ा रहा लेकिन फिर भी उसने किसी को नहीं काटा।। तभी उधर से वही साधू गुज़रा। नाग को घायल पड़े देख उसे आश्चर्य हुआ। उसने तुरंत अपनी जड़ी बूटी से उसका इलाज किया और घायल होने का कारण पूछा। नाग ने सब कुछ बता दिया। साधू ने आश्चर्य से पूछा, "जब अन्य जीव तुम्हे परेशान कर रहे थे तो तुमने अपना बचाव क्यों नहीं किया?" यह सुनकर नाग ने कहा, "बाबा, आपने कहा था न, गुस्सा नहीं करना चाहिए, किसी को काटना नहीं चाहिए, इसलिए मैं चुपचाप सहता रहा।" साधू की आंखो में आंसू आ गए, उसने नाग को दुलारते हुए कहा, "अरे, नागराज, मैंने तुम्हे काटने से मना किया था, फुंफकारने से नहीं मना किया था। अपनी रक्षा और बचाव के लिए तो सबको प्रयास जरूर करना चाहिए।" इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि किसी से बिना कारण लड़ना नहीं चाहिए लेकिन अपनी जान की रक्षा भी हमें खुद करना आना चाहिए। -सुलेना मजुमदार अरोरा और ये भी पढ़ें मोती की भक्ति भावना कामचोर बाल कहानी : बुद्धिमान व्यापारी की समझदारी Like Our Facebook Page #Best Hindi Kahani #Moral Story #Bal Kahania You May Also like Read the Next Article